टाइप-7 सरकारी बंगले के लिए हाई कोर्ट पहुंचे AAP सांसद राघव चड्ढा

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निचली अदालत ने खारिज कर दी थी राघव चड्ढा की दलील

सचिवालय का कहना था कि सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 80(2) का पालन किए बिना चड्ढा को अंतरिम राहत दी गई थी। सचिवालय के अनुसार, प्रावधान के तहत ऐसी राहत देने से पहले दोनों पक्षों की सुनवाई की जानी चाहिए थी। अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए अदालत ने चड्ढा की इस दलील को खारिज कर दिया कि एक बार किसी सांसद को आवास आवंटित हो जाने के बाद इसे उनके पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी परिस्थिति में रद्द नहीं किया जा सकता।

अदालत ने कहा कि अदालत को दोनों पक्षों को सुनना होगा, मुकदमे की प्रकृति पर विचार करना होगा और मामले की तात्कालिकता का आकलन करना होगा, अंतिम निर्णय लेने से पहले। इसमें कहा गया कि चड्ढा के मामले में दी गई अंतरिम राहत एक गलत थी और 18 अप्रैल के आदेश को वापस ले लिया गया और रद्द कर दिया गया।

अप्रैल में अदालत ने सचिवालय को निर्देश दिया था कि आवेदन लंबित रहने के दौरान कानून की उचित प्रक्रिया के बिना चड्ढा को बंगले से बेदखल न किया जाए। चड्ढा की इस दलील पर भी विचार किया गया कि सचिवालय जल्दबाजी में काम कर रहा है और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना उन्हें बेदखल किए जाने की संभावना है।

न्यायाधीश ने निष्कर्ष निकाला था कि कानून की उचित प्रक्रिया के बिना चड्ढा को बंगले से बेदखल करने से रोकने के लिए निर्देश जारी करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला स्थापित किया गया था।

Compiled: up18 News