साफ-सुथरा और व्यवस्थित घर भरने लगता है जीवन में सकारात्मक ऊर्जा

Life Style

जीवन की धुरी घर है तो घर की धुरी स्त्री, यानी स्त्री के हाथों घर और घर के ज़रिए जीवन के व्यवस्थित होने की शुरुआत हो रही होती है। दीप पर्व दूसरे सारे त्योहारों की तरह हमें उमंग-तरंग से तो भरता ही है, साथ ही पूरे एक वर्ष के लिए हमारे जीवन का नवीनीकरण कर जाता है, इसीलिए ये हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा त्योहार है।

दीपावली आती है तो घर की हर चीज़ पर नज़र ज़रूर डाली जाती है। उसे धोया या झाड़ा-पोंछा जाता है। उसकी सही जगह पर रखा जाता है। देखा जाता है कि फलां वस्तु अब काम की रही भी कि नहीं! वह वहीं ठीक रहेगी जहां रखी है या किसी और जगह पर उसका होना मुनासिब होगा? अगर वह अब अपने मूल काम की नहीं रही, तो क्या किसी और काम आ सकती है? और ये भी नहीं तो उसे किसे दे दिया जाए कि वह उसके कोई काम आ जाए? यह सब नहीं हो पाता, तब जाकर हम उसके फेंके जाने पर पहुंचते हैं। इस गुण ने ही तो इस प्राचीन सभ्यता को यूं जीवंत बनाए रखा है। हम किसी भी चीज़ के सदुपयोग की कोशिश अंत तक करते हैं।

घर में स्वच्छता और व्यवस्था का असर क्या होता है, यह शोध-अध्ययन के बजाय महसूस करने की बात है। हर किसी ने दिवाली की सफ़ाई के बाद में अतिरिक्त सकारात्मकता, उमंग और उत्साह का अनुभव किया ही होगा। जहां तक रिसर्च की बात है, तो उनसे भी पुष्टि होती है कि साफ़-सुथरा और अच्छी तरह व्यवस्थित घर रहने वालों के जीवन पर कई तरह से असर डालता है। सबसे बड़ा प्रभाव तो मन की उलझन और जकड़न दूर होने के रूप में पड़ता है। आप स्पष्ट ढंग से सोच पाते हैं। यही वजह है कि सुव्यवस्था को रचनात्मकता बढ़ाने वाला तत्व भी माना जाता है। तनाव और चिड़चिड़ापन भी कम हो जाता है। इसके अलावा, सामाजिक मामलों में आपका आत्मविश्वास बढ़ता है, क्योंकि अब आपको चिंता नहीं होती कि कोई अचानक आ धमकेगा तो घर की हालत देखकर क्या सोचेगा! बल्कि आप तो लोगों को आमंत्रित करना चाहते हैं। यह भी मानी हुई बात है कि अस्त-व्यस्त, कबाड़ख़ाने जैसी जगह में नींद ढंग से नहीं आती, सो दिवाली के लिए की गई मेहनत आपकी नींद, सुकून, चैन और आराम में भी बढ़ोतरी करती है।

व्यवस्था में प्रवाहित होती है ऊर्जा

विज्ञान में रुचि रखने वाले पाठक ज़रूर जानते होंगे कि अणुओं का व्यवस्थित होना ही विद्युत के प्रवाह को संभव बनाता है। अणु व्यवस्थित क्रम में हुए नहीं कि बिजली अपने उद्‌गम से उपयोग तक निर्बाध बहने लगती है। ठीक इसी तरह हमारे घर का व्यवस्थित होना हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरने लगता है और तब यही ऊर्जा हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की वाहक बनती है। मां लक्ष्मी की हम पर कृपा बरसने लगती है।

यही तो है दीपावली, दीपों की अवली, दीपों की पंक्ति। अमावस की उस रात हमारे घरों की चारदीवारी और मुंडेर पर लगे पंक्तिबद्ध दीये इसी बात की ही तो घोषणा कर रहे होते हैं कि देखो! हमने अपना जीवन व्यवस्थित कर लिया है। अब इसमें ऊर्जा प्रवाहित होगी।

– एजेंसी


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