शिमला, कांगड़ा घाटी, पश्चिम बंगाल में चलने वाली टॉय ट्रेनों के बारे में तो हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि तमिलनाडु के ऊटी में भी टॉय ट्रेन पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है। इस विचित्र टॉय ट्रेन को 2005 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। ट्रेन की यात्रा 1899 में शुरू हुई थी और तब से यह पर्यटकों का मनोरंजन कर रही है
नीलगिरि माउंटेन रेलवे 5 घंटे में कुल 46 किमी की दूरी तय करती है। इसलिए इसे भारत की सबसे धीमी ट्रेन के रूप में जाना जाता है। भाप से चलने वाली इस ट्रेन के यात्रा के दौरान आप खूबसूरत वादियों, ऊंचे पहाड़ों के मनोरम दृश्यों को देख सकते हैं। तो आइए जानते हैं नीलगिरी माउंटेन रेलवे के बारे में दिलचस्प बातें।
ट्रेन की सवारी
ट्रेन की सवारी मेट्टुपालयम से शुरू होती है। मेट्टुपालयम तमिलनाडु में नीलगिरि पहाड़ों की तलहटी में स्थित एक छोटा सा शहर है। शुरुआती 5 किमी तक ट्रेन सीधे रास्ते चलती है, लेकिन अगले 12 किमी में तेजी से 4,363 फीट की ऊंचाई तक चढ़ती है। यह ट्रेन अंधेरी और घुमावदार सुरंगों, हरे-भरे जंगलों और पहाड़ी ढलानों से होकर गुजरती है। यात्रा के दौरान आप केलर, कुन्नूर, वेलिंगटन, लवडेल और ऊटाकामुंड जैसी आकर्षक जगहों से गुजरेंगे। जैसे ही आप धीरे-धीरे आगे बढेंगे, धुंध और कोहरे के साथ ट्रेन का सफर रोमांचक होता जाएगा।
अंग्रेजों ने बनवाई थी ये ट्रेन
नीलगिरि माउंटेन रेलवे का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था। स्टीम इंजन की सिग्नेचर सीटी की आवाज को आप आसानी से सुन सकते हैं। कानों में यह आवाज जाते ही आपको किसी न किसी पुरानी फिल्म की याद जरूर आ जाएगी।
मेट्टुपालयम से ऊटी का रूट
नीलगिरि माउंटेन रेलवे के सात मेन स्टॉपओवर हैं- कल्लार, एडरली, हिलग्रोव, रननीमेड, कटेरी रोड, कुन्नूर और लवडेल। मेट्टुपालयम से कल्लर तक एक लाइन में सुंदर धान के खेत दिखााई देंगे। वहीं आगे चलकर कल्लार से कुन्नूर तक 21 किमी की दूरी तक फैली एक ट्रेल शामिल है। इस रूट पर कई मोड़ हैं, जहां कई सुरंगों से होकर गुजरना पड़ता है। ट्रेन जल्द ही कुन्नूर से फ़र्न हिल तक एक खड़ी चढ़ाई चढ़ती है। बता दें कि कुन्नूर नीलगिरि पर्वत का दूसरा सबसे बड़ा हिल स्टेशन है। कुन्नूर से होकर गुजरने वाले नीलगिरि माउंटेन रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ चाय के बागान देखने को मिलेंगे।
इंजीनियरिंग का चमत्कार है माउंटेन रेलवे
पहाड़ी इलाकों की चुनौतियों को देखते हुए रेलवे ट्रैक बनाना कोई आसान काम नहीं था। इसलिए नीलगिरि माउंटेन रेलवे ट्रैक को इंजीनियरिंग का चमत्कार कहते हैं। नीले और क्रीम रंग की इस ट्रेन के डिब्बे लकड़ी के बने हैं, जिनमें बड़ी खिड़कियां हैं। ट्रेन में फर्स्ट क्लास और जनरल कैटेगरी दोनों के डिब्बे हैं।
एशिया का सबसे कठिन ट्रेक
नीलगिरि माउंटेन रेलवे एशिया का सबसे कठिन ट्रैक है। यह समुद्र तल से 1,069 फीट से लेकर 7,228 फीट तक है। आपको बता दें कि नीलगिरि माउंटेन रेलवे 46 किलोमीटर लंबी है, जो कई सुरंगों और सैकड़ों पुलों से होकर गुजरती है। सबसे शानदार सुंदर नजारे आपको मेट्टुपालयम से कुन्नूर तक देखने को मिलेंगे। बता दें कि नीलगिरि माउंटेन रेलवे की यात्रा के लिए गर्मियों का समय सबसे अच्छा है।
यात्रा के दौरान याद रखने वाली बातें
रास्ते में ट्रेन में गंदगी करना सख्त मना है। मानसून के दौरान और सर्दियों में कोहरे में ज्यादा सावधानी बरतें। अगर आप पीक सीजन में यात्रा कर रहे हैं, तो अपने टिकट पहले से बुक कर लें। वरना आखिरी मौके पर अनरिजर्व सीटों वाले जनरल डिब्बे में भी टिकट नहीं मिलती।
ट्रेन की सवारी के अलावा आप एडवेंचर के शौकीन लोग आसपास के क्षेत्रों में कुछ ट्रेकिंग और हैंड ग्लाइडिंग का भी मजा ले सकते हैं। मानसून के दौरान भी यह रूट बेहद खूबसूरत होता है।
Compiled: up18 News
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