करीब छह साल पहले मिस्त्री विवाद में टाटा ग्रुप की साख को बट्टा लगा था लेकिन अब भविष्य में ऐसे विवादों से बचने के लिए टाटा ग्रुप ने पक्का इंतजाम कर दिया है। टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की मंगलवार को एजीएम हुई। इसमें कंपनी के आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की धारा 118 में बदलाव को मंजूरी दी गई। इसके मुताबिक अब कोई एक व्यक्ति टाटा संस और टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन नहीं बन सकता है। हालांकि टाटा संस के सबसे बड़े माइनोरिटी स्टेक होल्डर्स एसपी ग्रुप (SP Group) ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) के एसपी ग्रुप की टाटा संस में 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है।
हालांकि 2013 से ही टाटा संस और टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन अलग-अलग व्यक्ति हैं। रतन टाटा एक साथ यह दोनों संभालने वाले आखिरी शख्स थे लेकिन अब कंपनी के नियमों में बदलाव से इस कानूनी रूप दे दिया गया है। इससे जुड़े प्रस्ताव को पारित करने के लिए 75 फीसदी शेयर होल्डर्स की मंजूरी की जरूरत थी। टाटा संस में टाटा ट्रस्ट, टाटा ग्रुप की कंपनियों और उनसे जुड़ी कंपनियों की 75 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है। यही वजह है कि यह प्रस्ताव मैज्योरिटी वोट्स से पारित हो गया। इसका मतलब यह है कि रतन टाटा के बाद जो भी व्यक्ति टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनेगा, वह टाटा संस का चेयरमैन नहीं बन सकता। टाटा ग्रुप का कारोबार 103 अरब डॉलर का है और इसकी होल्डिंग कंपनी टाटा संस है।
कौन चुनेगा चेयरमैन
टाटा संस के चेयरमैन की नियुक्ति और उसके हटाने के लिए एक सेलेक्शन कमेटी गठित की जाएगी। कमेटी के चेयरमैन की नियुक्ति सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट करेंगे। यह नियुक्ति ट्रस्ट द्वारा तय नॉमिनीज में से की जाएगी। सेलेक्शन कमेटी के लिए दोनों ट्रस्ट मिलकर तीन लोगों को नॉमिनेट करेंगे जबकि टाटा संस का बोर्ड एक व्यक्ति को नॉमिनेट करेगा। साथ ही इसमें एक इंडिपेंडेट डायरेक्टर होगा। एजीएम में यह प्रस्ताव भी पारित किया गया कि सर दोराबजी ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट का चेयमैन टाटा संस का चेयरमैन नहीं बन सकता है। टाटा संस के चेयरमैन की नियुक्ति के लिए सभी डायरेक्टर्स की सहमति जरूरी है।
टाटा ट्रस्ट में करीब एक दर्जन चैरिटेबल ऑर्गेनाइजेशन शामिल हैं। इनमें से सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट की टाटा संस में 28 फीसदी और सर रतन टाटा ट्रस्ट की 24 फीसदी हिस्सेदारी है। इस कंपनी की दुनियाभर में 286 कंपनियां हैं। जानकारों का कहना है कि इससे भविष्य में मिस्त्री जैसे विवाद से बचने में मदद मिलेगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि ग्रुप में किसी एक व्यक्ति का दबदबा नहीं रहेगा और ग्रुप प्रोफेशनल तरीके से काम कर सकेगा।
टाटा-मिस्त्री विवाद
शापूरजी पलौंजी समूह की टाटा संस में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है। पालोनजी मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था लेकिन चार साल बाद 2016 में उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया था। तभी से उनकी टाटा समूह के साथ ठनी हुई थी। टाटा समूह ने टाटा संस में एसपी ग्रुप की हिस्सेदारी खुद खरीदने का प्रस्ताव दिया था, जिसके लिए मिस्त्री परिवार तैयार नहीं था। यह मामला कोर्ट में भी पहुंचा था जिसने टाटा के पक्ष में फैसला दिया था।
-एजेंसी
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