विवादित बयानों के बीच अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मां काली का जिक्र किया है। उन्होंने कहा है कि भारत पर मां काली का आशीर्वाद है। ऐसे मौके पर पीएम मोदी का मां काली का जिक्र लाना बंगाल की सियासत से सीधे जोड़कर देखा जा रहा है। बंगाल में बीजेपी लगातार अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश में जुटी है। वह राज्य में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार को उखाड़ फेंकने का इरादा रखती है।
पीएम ने कहा कि बंगाल की काली पूजा में मां की चेतना दिखती है। यही चेतना बंगाल पर भी दिखाई देती है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस का जिक्र करते हुए पीएम बोले, वह एक ऐसे संत थे जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था। उन्होंने मां काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था। वह कहते थे कि यह सम्पूर्ण जगत, यह चर-अचर, सब कुछ मां की चेतना से व्याप्त है। यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यही चेतना पूरे भारत में दिखती है।
पीएम ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को भी मां काली की जो अनुभूति हुई, उनके जो आध्यात्मिक दर्शन हुए, उसने विवेकानंद में असाधारण ऊर्जा का संचार किया। उनकी बातों में भी मां काली की चर्चा होती रहती थी। पीएम बोले कि उन्हें याद है कि जब भी वेल्लूरमठ जाना हो, गंगा के तट पर बैठे हो और दूर मां काली का मंदिर दिखाई देता हो तो स्वाभाविक है कि एक लगाव बन जाता था। मां काली का असीम आशीर्वाद हमेशा भारत के साथ है।
पीएम के बयान का सियासी कनेक्शन समझिए
बीजेपी बंगाल में जमीन बनाने की कोशिश कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसने राज्य में पूरा जोर लगा दिया था। यह और बात है कि ममता बनर्जी की अगुआई में तृणमूल कांग्रेस उस पर भारी पड़ी थी। बंगाल में बीजेपी को सत्ता भले नहीं मिली हो लेकिन वह हारी भी नहीं थी। इसे ऐसे समझ सकते हैं। 2016 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिली थीं। पिछले साल हुए चुनाव में इन सीटों की संख्या बढ़कर 77 पर पहुंच गई। बीजेपी की चुनौती ने कांग्रेस और वामपंथी दलों को बंगाल की धरती से उखाड़ फेंका।
दिलचस्प यह है कि 2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम दलों को 77 सीटें ही मिली थीं। इसने राज्य में सारे समीकरण उलट-पुलट कर रख दिए हैं। आज की तारीख में बीजेपी बंगाल में एक बड़ी ताकत बन चुकी है। राज्य में अगर कोई एक पार्टी ममता के सामने खड़ी है तो वह बीजेपी ही है।
बीजेपी नहीं चूकती मौका
बीजेपी मौकों को भुनाने में माहिर है। वह इन्हें हाथ से नहीं जाने देती। महाराष्ट्र, असम, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और गोवा में वह अपनी इस महारत को साबित कर चुकी है। 2014 में केंद्र की सत्ता में भी वह कांग्रेस के खिलाफ विरोध की लहर को भुनाकर ही आई थी। बीजेपी जानती है कि बंगाल में मां काली के साथ लोगों की आस्था कैसे जुड़ी है।
महुआ मोइत्रा का बयान आते ही तमाम स्थानीय बीजेपी नेता सक्रिय हो गए थे। अक्सर ऐसे बयान लोगों को मोबलाइज करने में मदद करते हैं। बीजेपी को भी इसका एहसास है। महुआ मोइत्रा ने फिल्ममेकर लीना मणिमेकई के बचाव में बयान दिया था। मणिमेकलई ने एक विवादित पोस्टर जारी किया था। इसमें देवी काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया था।
मोइत्रा के बयान के बाद टीएमसी ने उनके बयान से किनारा कर लिया था। बीजेपी नहीं चाहती कि उसे बैठे-बैठाए जो मुद्दा हाथों में लग गया है, वह उसे यूं ही जाने दे। वह पूरे दमखम के साथ इसे उठाने में लगी है। उसने महुआ मोइत्रा को गिरफ्तार करने की मांग करने के साथ उनके निलंबन की मांग की है।
काली मां पर विवादित (Kali Maa Controversy) बयानों को लेकर सियासत गरम है। इसके केंद्र में खासतौर से बंगाल (West Bengal Politics) है। राज्य में देवी का खास महत्व है।
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) ने हाल में देवी को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने मां काली को मांसाहारी और शराब पीने वाली देवी बताया था। इसके बाद बंगाल सहित पूरे देश में एक सुर में उनका विरोध हुआ। पहली बार टीएमसी भी बैकफुट पर दिखी। उसने मोइत्रा के बयान से किनारा कर लिया।
-एजेंसियां
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