श्रीलंका के संकट पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने दिया बयान

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केरल के तिरुवनंतपुरम पहुंचे हैं विदेश मंत्री

तीन दिवसीय यात्रा पर राज्य की राजधानी पहुंचने के बाद तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए, जयशंकर ने कहा कि हम श्रीलंका का बहुत समर्थन करते रहे हैं। हम मदद करने की कोशिश कर रहे हैं और जिस बात को लेकर वहां के नागरिक चिंतित हैं उसके लिए हमारी सरकार हमेशा खडी़ रहेगी। वे अभी अपनी समस्याओं के माध्यम से काम कर रहे हैं, इसलिए हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि वे क्या करते हैं। वहीं जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या कोई शरणार्थी संकट भी है वहां, तो जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा अभी कोई शरणार्थी संकट नहीं है।

विदेश मंत्री ने बताया केरल आने का उद्देश्य

उन्होंने कहा कि वह यहां अपने पार्टी सहयोगियों के साथ समय बिताना चाहते हैं और समझना चाहते हैं कि वे कैसे कर रहे हैं और यहां क्या हो रहा है। यह पूछे जाने पर कि वह दक्षिणी राज्य में भाजपा की संभावनाओं को कैसे देखते हैं, केंद्रीय मंत्री ने जवाब दिया कि पूरे देश में पार्टी की संभावनाएं बहुत अच्छी हैं।

भारत ने संकटग्रस्त श्रीलंका को दिया 44,000 टन यूरिया

भारत ने भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को ऋण सुविधा के तहत 44,000 टन से अधिक यूरिया मुहैया कराया है। भारतीय उच्चायोग ने यहां बताया कि श्रीलंका के किसानों को समर्थन और खाद्य सुरक्षा के लिए द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए जारी प्रयासों की तहत यह मदद दी गई है। श्रीलंका में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा से मुलाकात कर उन्हें 44,000 टन से अधिक यूरिया आने की जानकारी दी।

श्रीलंका संकट पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दी प्रतिक्रिया

कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने श्रीलंका संकट को लेकर अपना बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस गंभीर संकट की घड़ी में श्रीलंका और उसके लोगों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करती है और आशा करती है कि वे इससे उबरने में सक्षम होंगे। हमें उम्मीद है कि भारत श्रीलंका के लोगों और सरकार की सहायता करना जारी रखेगा क्योंकि वे मौजूदा स्थिति की कठिनाइयों से निपटते हैं।

श्रीलंका में भारी आर्थिक संकट से परेशान प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन हुआ उग्र 

बता दें कि श्रीलंका में भारी आर्थिक संकट से परेशान प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। सभी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन को अपने कब्जे में ले लिया है।  वहीं इन सब के बीच राष्ट्रपति ने 13 जुलाई को इस्तीफा देने का एलान कर दिया है। बढ़ती हिंसा को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने पहले ही इस्तीफा दे दिया।

-एजेंसियां