आज निर्जला एकादशी मनाई जा रही है। हालांकि एकादशी तिथि 10 और 11 जून दोनों दिन है इसलिए बहुत से लोग कल भी निर्जला एकादशी का व्रत रखेंगे। इसी के साथ कल Gayatri Jayanti भी मनाई जाएगी। एक ओर जहां ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष यानी निर्जला एकादशी पर व्रत, अनुष्ठान किए जा रहे हैं तो वहीं मां गायत्री के प्राकट्य Gayatri Jayanti को भी श्रद्धालुगण मनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस दिन किए गए पूजन व दान-पुण्य से अक्षय पुण्य की प्रप्ति होती है।
ऐसा है मां गायत्री का स्वरुप
धर्मग्रंथों की मानें तो माँ गायत्री को ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों स्वरुप माना जाता है और त्रिमूर्ति मानकर ही इनकी उपासना की जाती है। माँ गायत्री के पांच मुख और दस हाथ है। उनके इस रूप में चार मुख चारों वेदों के प्रतीक हैं एवं उनका पांचवा मुख सर्वशक्तिमान शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। माँ के दस हाथ भगवान विष्णु के प्रतीक हैं एवं त्रिदेवों की आराध्य भी माँ गायत्री को ही कहा जाता है। ये ही भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी हैं।
ब्रह्मा के मुख से हुआ था प्राकट्य
शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी के मुख से गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। माँ गायत्री की कृपा से ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की थी। आरम्भ में माँ गायत्री की महिमा सिर्फ देवताओं तक ही थी, लेकिन महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या कर माँ की महिमा अर्थात् गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचाया।
शास्त्रों के अनुसार Gayatri Jayanti ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में ग्यारहवें दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि गुरु विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र को इस दिन पहली बार सर्वसाधारण के लिए बोला था, जिसके बाद इस पवित्र एकादशी को गायत्री जयंती के रूप में जाना जाने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार इसे श्रावण पूर्णिमा के समय भी मनाया जाता है। चारों वेद, पुराण, श्रुतियाँ सभी गायत्री से उत्पन्न हुए हैं, इसलिए इन्हें वेदमाता भी कहा गया है।
24 एकादशियों का मिलता है फल
सनातन परंपरा में रखे जाने वाले तमाम व्रतों में निर्जला एकादशी का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली सभी एकादशी व्रत में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होती है। अगर आप साल की 24 एकादशी का व्रत नहीं पाते तो इस एक व्रत को करने मात्र से ही आप सारा पुण्य कमा सकते हैं।
निर्जल रहने वाली इस एकादशी व्रत के बारे में मान्यता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को विधि-विधान से पूरा कर लेता है, उसे 24 एकादशियों का पुण्य मिल जाता है। निर्जला एकादशी में बिना खाए पिएं पूरे दिन उपवास रखा जाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा होती है। इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार दान दक्षिणा करना ना भूलें।
-एजेंसी
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.