आगरा: छत्रपति शिवाजी महाराज की 392 जयंती को शिव सैनिकों ने श्रद्धा भाव के साथ मनाया। शिवसेना के जिला प्रमुख वीनू लवानिया अपने कार्यकर्ताओं के साथ आगरा किला स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर पहुंचे। उन्होंने प्रतिमा पर माल्यार्पण किया, फिर सभी ने उन्हें नमन करते हुए उनके पद चिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।
बताया जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की कैद में रहते हुए ही हिंदू स्वराज्य की स्थापना का संकल्प ले लिया था। यहां से बच निकलने के बाद उन्होंने इस संकल्प को पूरा भी किया।
101 दिन आगरा में रहे थे शिवाजी
शिवाजी 101 दिन आगरा में रहे थे, जिनमें से 99 दिन उन्होने औरंगेजब की कैद में बिताए थे। इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब ‘औरंगजेब’ में लिखा है कि राजा जयसिंह से पुरंदर की संधि करने के बाद शिवाजी 11 मई, 1666 को आगरा पहुंचे थे। शहर की सीमा पर उन्होंने सेवला सराय के नजदीक स्थित मुलक चंद की सराय में डेरा डाला। 12 मई को आगरा किला के दीवान-ए-खास में औरंगजेब के दरबार में शिवाजी गए। यथोचित सम्मान नहीं मिलने पर वो नाराज हो गए, जिस पर औरंगजेब ने शिवाजी को राजा जयसिंह के बेटे राम सिंह की छावनी के निकट सिद्धी फौलाद खां की निगरानी में नजरबंद करने का आदेश किया।
16 मई, 1666 को शिवाजी को रदंदाज खां के मकान पर ले जाने का आदेश हुआ। बीमारी का बहाना बनाकर शिवाजी ने गरीबों को फल बांटना शुरू कर दिए। 18 अगस्त को उन्हें राम सिंह की छावनी के निकट स्थित फिदाई हुसैन की शहर के बाहर टीले पर स्थित हवेली में रखने का आदेश औरंगजेब ने किया। 19 अगस्त, 1666 को शिवाजी अपने पुत्र संभाजी के साथ यहीं से फलों व मिठाइयों की टोकरी में बैठकर निकल गए। उनकी जगह हीरोजी फर्जंद पलंग पर लेटे रहे। शिवाजी के बचकर निकलने की जानकारी औरंगजेब को 20 अगस्त, 1666 को मिली। इस तरह आगरा में शिवाजी का प्रवास 101 दिन का रहा था।
शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद शिव सैनिकों ने उनके पद चिन्हों पर चलने का संकल्प भी लिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से शिवाजी महाराज ने हिंदुत्व की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। वे भी इसी तरह हिंदुत्व की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे और किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
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