आगरा: अधिवक्ता सुनील शर्मा की पुलिस दबिश के दौरान आठवीं मंजिल से गिरकर मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मृतक की पत्नी की तहरीर पर थाना न्यू आगरा के प्रभारी, चौकी इंचार्ज समेत दस पुलिस वालों पर हत्या का केस दर्ज किया गया। इस बीच मृत वकील की पत्नी व अन्य परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
रविवार को वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील शर्मा का शव घर पहुंचा तो पत्नी सुनीता बिलख पड़ीं। कहने लगीं कि पति को पुलिसवालों ने मारकर मेरी मांग उजाड़ दी। सुबह करीब 11:30 बजे सुनील शर्मा का शव शास्त्रीपुरम के निकट स्थित मंगलम आधार अपार्टमेंट लाया गया।
पत्नी पति के शव से लिपट गईं। इस दौरान बेहोश भी हो गईं। परिवारवालों ने एसीपी हरीपर्वत आदित्य सिंह के सामने पुलिस पर कई आरोप लगाए, कहा कि 40 करोड़ की जमीन में से पुलिस को चार करोड़ मिलने वाले थे। मनोज ने यह आफर पुलिस वालों को दिया था। उसे पता था कि जमीन में सुनील ही रोड़ा हैं। इसलिए उसने पुलिस से सेटिंग की। उन्हें रास्ते से हटाने का प्लान बनाया। फर्जी मुकदमा दर्ज कराया।
पुलिस ऑफर की वजह से बहुत तेजी दिखा रही थी। सुनील अधिकारियों से मिलकर आए थे। दीवानी में बैठ रहे थे। तब किसी ने थाने नहीं बुलाया। वह थाना न्यू आगरा पहले भी जा चुके थे। पुलिस ने अचानक दबिश क्यों दी? इसके बाद सुनील को मार दिया। वारंट तक नहीं लेकर आई थी।
परिवार वालों का कहना था कि सुनील के तीन भाई देश सेवा कर रहे हैं। इनमें एक अर्द्ध सैन्य बल से डीआईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। देश की सेवा करने वालों के भाई के साथ पुलिस ने ऐसा सलूक किया। उसकी जान ले ली।
पत्नी बोल रही थीं कि योगी, मोदीजी तक खबर पहुंचा दो। वही न्याय दिलाएंगे। वह ईमानदार हैं। पुलिस को सजा दिलाएंगे। एक बार पुलिस ने अंतिम संस्कार करा दिया तो फिर किसी की नहीं सुनेगी। परिवार वालों को थाने चौकियों के चक्कर काटने पड़ेंगे। अधिकारी भी नहीं पहचानेंगे। केस में एफआर लगा दी जाएगी। न्याय सिर्फ योगी जी दिला सकते हैं।
वकील सुनील शर्मा पर बंधक बनाकर बैनामा कराने का आरोप था। मृतक की पत्नी सुनीता शर्मा ने तहरीर दी कि देर रात 10 पुलिसकर्मी उनके घर का दरवाजा तोड़कर घुस गए। उनके पति के साथ मारपीट की। फिर उन्हें घसीटते हुए ले गए और हत्या कर 8वीं मंजिल से नीचे फेंक दिया।
मृतक वकील के परिजनों ने हत्या का मुकदमा दर्ज न होने पर पंचनामे के कागज पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने देर रात 12 बजे परिजनों को समझाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद अधिकारियों ने थाना प्रभारी राजीव कुमार और दयालबाग चौकी इंचार्ज अनुराग सिंह को सस्पेंड कर दिया। साथ ही 10 पुलिसकर्मियों पर नामजद हत्या का मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद परिजनों ने पंचनामे पर साइन किए और 25 घंटे बाद पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया शुरू हुई।
-agency
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