G20 समिट 2023 की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है- इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर। भारत के साथ अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, सऊदी अरब और UAE ने मिलकर यह डील की है। मकसद पश्चिम एशिया और यूरोप तक सस्ता और तेज समुद्री और रेल ट्रांजिट उपलब्ध कराना है। एक तरह से यह चीन के वन बेल्ट वन रोड (OBOR) इनिशिएटिव के जवाब की तरह देखा जा रहा है।
भारत और UAE के बीच दुबई पोर्ट प्राइमरी लिंक बन सकता है। यही बंदरगाह रेल लिंक का शुरुआती पॉइंट हो सकता है जो UAE को सऊदी अरब, तुर्की, इजरायल और यूरोप से जोड़ेगा। एनालिस्ट्स ने G20 में हुए इस समझौते को ‘नया स्पाइस रूट’ करार दिया है।
प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप और यूरोप के बीच व्यापार के लिए खास रूट था। मुख्यतः: मसालों का निर्यात होता था। ‘सिल्क रूट’ के जरिए भी 15वीं सदी तक व्यापार होता रहा। समझिए, प्राचीन भारत में मसालों का व्यापार कैसे और किस रूट से होता था।
प्राचीन भारत में कैसे होता था व्यापार
अथर्ववेद पर व्यापारिक रास्तों का जिक्र है। सिंधु घाटी सभ्यता के समय भारत दुनिया के कई देशों संग व्यापार करता था। उस समय के दो प्रमुख रूट- उत्तरापथ और दक्षिणापथ थे। हड़प्पा के समय में मेसोपोटामिया तक व्यापार होता था। पश्चिम में ईरान और मिस्त्र के साथ भारतीय राज्यों के व्यापारिक संबंध थे।
प्राचीन भारत का सबसे प्रमुख व्यापारिक रूट था ‘सिल्क रोड’, जिसके जरिए यूरोप में रोमन साम्राज्य और चीन से व्यापार होता था। भारत में सिल्क रोड सात प्रमुख राज्यों- बिहार, जम्मू और कश्मीर, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती थी।
हिंद महासागर की ‘खोज’ ने बदल दी व्यापार की सूरत
यूरोपियंस के हिंद महासागर की ‘खोज’ से पहले भी समुद्र के रास्ते खूब व्यापार होता था। तब गुजरात व अन्य तटवर्ती इलाकों के व्यापार पाल लगी नावों के इस्तेमाल और मॉनसूनी हवाओं की मदद से यात्रा किया करते थे।
हिंद महासागर व्यापार में शामिल प्रमुख साम्राज्यों में फारस में अचमेनिद साम्राज्य (550-330 ईसा पूर्व), भारत में मौर्य साम्राज्य (324-185 ईसा पूर्व), चीन में हान राजवंश (202 ईसा पूर्व-220 सीई) और भूमध्य सागर में रोमन साम्राज्य (33 ईसा पूर्व-476 सीई)। थे।
नया स्पाइस रूट से क्या-क्या फायदे
नए ‘स्पाइस रूट’ में दो गलियारे शामिल होंगे – पूर्व-पश्चिम (भारत को पश्चिम एशिया से जोड़ता है) और उत्तरी गलियारा (पश्चिम एशिया से यूरोप तक)। मंशा यह है कि IMEEEC को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ा जाए और व्यापार में कुछ बिल्डिंग ब्लॉक्स का फायदा उठाया जाए।
भारत का आसियान और संयुक्त अरब अमीरात के साथ पहले से ही व्यापार समझौता है, वह यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और खाड़ी सहयोग परिषद के साथ अलग संधियों की संभावना तलाश रहा है। जिसमें क्षेत्र के अन्य देशों के अलावा सऊदी अरब और कुवैत भी शामिल हैं।
इस परियोजना में दुबई बंदरगाह भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच प्राथमिक लिंक हो सकता है। यह बंदरगाह यूएई को सऊदी अरब, तुर्की, इजरायल और यूरोप से जोड़ने वाले रेल लिंक के लिए शुरुआती बिंदु होने की उम्मीद है।
सऊदी अरब और यूएई में कैश-रिच कंपनियों और फंडों सहित आगे के निवेश के लिए एक कैटलिस्ट के रूप में काम करने की उम्मीद है।
अधिकारियों ने कहा कि इस सौदे से शिपिंग समय और लागत कम हो जाएगी, जिससे व्यापार सस्ता और तेज हो जाएगा।
Compiled: up18 News
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.