यूपीआई पर फिदा हुआ वर्ल्ड बैंक
विश्व बैंक के दस्तावेज के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% के बराबर मूल्य का यूपीआई ट्रांजैक्शन हुआ है। डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्राक्चर ने नए ग्राहक पर बैंकों का खर्च लगभग खत्म कर दिया है। इसमें कहा गया है कि डीपीआई के उपयोग से भारत में बैंकों के ग्राहकों को शामिल करने की लागत 23 डॉलर (करीब 1,900 रुपये) से घटकर 0.1 डॉलर (करीब 8 रुपये) हो गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यूपीआई को बड़े पैमाने पर अपनाया गया है, जिसे यूजर अनुकूल इंटरफेस, ओपन बैंकिंग सुविधाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी का फायदा मिला है। यूपीआई प्लेटफॉर्म ने भारत में जबर्दस्त लोकप्रियता हासिल की है। मई 2023 में ही 9.41 अरब लेनदेन हुए, जिनकी कीमत लगभग 14.89 लाख करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यूपीआई ट्रांजैक्शन का कुल मूल्य भारत की नॉमिनल जीडीपी का लगभग 50% था।’
डीबीटी से भारत को भारी बचत
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत ने पिछले एक दशक में डीपीआई का लाभ उठाते हुए दुनिया के सबसे बड़े डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। रिपोर्ट कहती है, ‘इस पहल ने 53 केंद्रीय मंत्रालयों से 312 प्रमुख योजनाओं के माध्यम से सीधे लाभार्थियों के खाते में 361 अरब डॉलर (करीब 30 हजार अरब रुपये) का ट्रांजैक्शन सुलभ कर दिया। मार्च 2022 तक, इसने कुल 33 अरब डॉलर (करीब 2,738 अरब रुपये) की बचत की, जो जीडीपी के लगभग 1.14% के बराबर है।’
जी20 डॉक्युमेंट में वर्ल्ड बैंक ने बांधे तारीफों के पुल
वर्ल्ड बैंक ने वित्तीय समायोजन के लिए वैश्विक साझेदारी (GPFI) के एक इम्प्लेमेंटिंग पार्टनर के रूप में जीपीएफआई डॉक्युमेंट तैयार किया है। इसमें भारत के वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से उपलब्ध कराई गईं जानकारियां शामिल हैं। भारत जी20 शिखर सम्मेलन में डिजिटल पेमेंट और फाइनैंशल इन्क्लूजन के मोर्चे पर अपनी सफलताओं की गाथा भी बताने जा रहा है।
डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भारत के बचाए 41 साल!
विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने डिजिटल आईडी, अंतर-संचारी भुगतान, डिजिटल क्रेडेंशियल्स लेजर और खाता एकत्रीकरण जैसी व्यवस्थाओं को मिलाकर डिजिटल पेमेंट का शानदार इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसने छह साल में 80% का जबर्दस्त फाइनैंशल इन्क्लूजन रेट हासिल किया है। यह ऐसी उपलब्धि है जिसे डीपीआई की पहल के बिना हासिल करने में लगभग पांच दशक लगता।’
तीन गुना बढ़ा जन-धन खाता
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) बैंक खातों की संख्या, लॉन्चिंग के वक्त से तीन गुना से ज्यादा हो गई है। मार्च 2015 में 14.72 करोड़ जन-धन बैंक खाते थे जो जून 2022 तक 46.20 करोड़ हो गए। इनमें 56% यानी 26 करोड़ से अधिक बैंक खाते महिलाओं के हैं। इससे पता चलता है कि इस ‘छलांग’ में डीपीआई की भूमिका असंदिग्ध है, लेकिन इस पर आधारित बना अन्य इकोसिस्टम की काफी महत्वपूर्ण है। डॉक्युमेंट में कहा गया है कि यूपीआई जैसा फास्ट पेमेंट सिस्टम (FPS) की जड़ें भारत में बहुत तेजी से जम गईं।
डीपीआई से प्राइवेट संस्थानों को भी खूब लाभ
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर निजी संगठनों की क्षमता बढ़ा सकता है, जिससे व्यावसायिक कार्यों में जटिलता, लागत और समय में कमी आती है। भारत में कुछ गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए अकाउंट एग्रीगेटर इकोसिस्टम ने एसएमई लोन में 8% अधिक रूपांतरण दर, डेप्रिसिएशन कॉस्ट में 65% की बचत और धोखाधड़ी का पता लगाने से संबंधित लागत में 66% की कमी की।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है, ‘उद्योगों के अनुमानों के अनुसार भारत में बैंकों के ग्राहकों को जोड़ने की लागत डीपीआई के उपयोग से $23 से घटकर $0.1 हो गई है। भारत के स्टैक ने केवाईसी प्रक्रियाओं को डिजिटल और सरल बना दिया है, जिससे लागत कम हो गई है; ई-केवाईसी का उपयोग करने वाले बैंकों ने अनुपालन की लागत को $0.12 से घटाकर $0.06 कर दिया है।’
Compiled: up18 News
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