सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसकी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग अदालत को आम नागरिकों के घरों और दिलों तक ले गई है और वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की कोशिश कर रहा है कि लाइव-स्ट्रीम की गई सामग्री अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं में एक साथ उपलब्ध कराई जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इसका अनुसरण कर सकें।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर आठवें दिन दलीलें सुनने के दौरान यह टिप्पणी की। मध्य प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि कार्यवाही का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह है कि समाज में मंथन हो रहा है। देश के विभिन्न कोनों में इस बहस और लाइव स्ट्रीमिंग के कारण लोग इन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं।
सीजेआई बोले, तकनीक की मदद से क्षेत्रीय भाषाओं में भी स्ट्रीमिंग की चल रही तैयारी
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ”अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग वास्तव में हमारी अदालत को पूरी तरह से घरों और आम नागरिकों के दिलों तक ले गई है और मुझे लगता है कि यह प्रक्रिया का हिस्सा है।” बेंच में चीफ जस्टिस के अलावे जस्टिस एसके कौल, एसआर भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल थे।
द्विवेदी ने कहा कि इस मामले में एकमात्र बाधा यह है कि अदालत में बहस अंग्रेजी में होती है और यह एक ऐसी भाषा जिसे गांवों में रहने वाले अधिकांश लोग नहीं समझते हैं। इसपर सीजेआई ने कहा, ‘आपको आश्चर्य होगा द्विवेदी जी कि हम उस पर भी काम कर रहे हैं। यह विषय सुप्रीम कोर्ट के प्रशासन के संज्ञान के बाहर नहीं है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “हम इस पर काम कर रहे हैं, आपके पास जो प्रतिलिपि हैं उस पर हम अब यह सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं कि लाइव स्ट्रीमिंग सामग्री को एक साथ उन भाषाओं में उपलब्ध कराया जा सके, जिन्हें सभी नागरिक समझ सकें।”
इस मामले में ‘जमीयत-उलेमा-ए-हिंद’ का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रौद्योगिकी अब एक व्यक्ति को अंग्रेजी में क्या बोला जा रहा है उसे जापानी सहित विभिन्न भाषाओं में सुनने की सुविधा देती है।
समलैंगिक जोड़ों की शादी से जुड़ी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने की अहम टिप्पणी
समलैंगिक जोड़ों की शादी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। केंद्र ने तीन मई को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी जो समलैंगिक जोड़ों की ‘वास्तविक मानवीय चिंताओं’ को दूर करने के लिए उठाए जा सकने वाले प्रशासनिक कदमों की जांच करेगी।
शीर्ष अदालत ने 27 अप्रैल को पूछा था कि क्या संयुक्त बैंक खाते खोलने, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी और पेंशन योजनाओं में जीवन साथी नामित करने जैसे सामाजिक कल्याण लाभ समलैंगिक जोड़ों को उनकी शादी को कानूनी मंजूरी के मुद्दे पर जाए बिना दिए जा सकते हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तीन मई को पीठ से कहा था कि पिछली सुनवाई में ऐसे दंपतियों की कुछ वास्तविक मानवीय चिंताओं के बारे में चर्चा हुई थी। उस दौरान इस पर भी मंथन किया गया था कि क्या प्रशासनिक रूप से उनके समाधान के लिए कुछ किया जा सकता है?
मेहता ने बेंच से कहा था कि उन्होंने कहा, ‘मैंने निर्देश ले लिए हैं और इस मामले में सरकार सकारात्मक है। हमने जो निर्णय लिया है, वह निश्चित रूप से आपके लॉर्डशिप की मंजूरी के अधीन है। इसके लिए एक से अधिक मंत्रालयों के बीच समन्वय की आवश्यकता होगी। इसलिए, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा।
Compiled: up18 News
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