मथुरा/वृंदावन: धूमधाम से मनाया गया भगवान राधारमण लाल जू का 480वां प्राकट्योत्सव

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वृंदावन। श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख शिष्य श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा प्रकटित ठाकुर राधारमण लाल जू का आज 480वां प्राकट्योत्सव मनाया गया। पंचामृत के साथ 100 जड़ी-बूटियों के मिश्रित दिव्य जल से महाभिषेक हुआ। सोमवार सुबह महाभिषेक के बाद बधाई गायन हुआ।

ब्रजभूमि में ठाकुर राधा रमण लाल के दर्शन करने से गोविंद देव, गोपीनाथ, मदन मोहन और चैतन्य महाप्रभु के दर्शन ठाकुर राधा रमण लाल के श्री विग्रह में भक्तों को प्राप्त होते हैं और संपूर्ण विश्व में शालिग्राम के श्रीविग्रह के रूप में केवल ठाकुर राधारमण लाल ही विराजित हैं।

वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को श्री सालिगराम शिला से स्वयं प्रकटित हुए ठाकुर राधारमण लाल जू के 480वें प्राकट्योत्सव पर परंपरानुसार सेवायत गोस्वामी जन द्वारा ठाकुर जी के श्री विग्रह का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य 51 किलो दुग्ध, दही, मधु, घृत, शहद, विभिन्न पवित्र नदियों के जल, जड़ी बूटियों से महाभिषेक किया गया। लगभग दो घंटे तक हुए महाभिषेक के दौरान भक्त खासे उत्साहित नजर आये ।

पंचामृत अभिषेक के बाद ठाकुर राधा रमण लाल जी का नवीन वस्त्र धारण करके विशेष श्रृंगार किया गया । कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन के कारण दो वर्ष तक आम दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के पट बंद रखे गए थे। यहां तक कि केवल सेवायत गोस्वामी परिवार के अलावा अन्य किसी गोस्वामी को भी मंदिर प्रवेश की अनुमति प्रदान नहीं की गई थी। मगर, इस बार श्रद्धालुओं के लिए किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं हैं।

सालिगराम शिला से भक्त की पुकार पर बने थे राधारमण लाल

श्री चैतन्य महाप्रभु के प्रमुख शिष्यों में से एक श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी जी दक्षिण भू-भाग स्थित गंडक नदी में स्नान के दौरान श्री सालिगराम जी शिला प्राप्त हुई थी। इसकी श्री भट्ट गोस्वामी जी पूर्ण श्रद्धा एवं तन्मयता से पूजा सेवा करते थे। एक दिन गोस्वामी जी के ह्रदय में विचार उत्पन्न हुआ कि अगर यह शिला भी विग्रह रूप में होती, तो वह भी अपने लाडले आराध्य का अलौकिक श्रंगार करते।

ठाकुर जी ने भी अपने भक्त की पुकार तत्काल सुन ली और स्वयं श्री विग्रह स्वरूप में प्रकट हो गए। तभी से वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर ठाकुर राधारमण लाल जू का प्राकट्योत्सव परंपरागत रूप से मनाया जाता है।

-एजेंसी