4 योगासन, जो थायरॉइड की बीमारी को जड़ से मिटाने में हो सकते हैं फायदेमंद

Health

आयुष मंत्रालय से सर्टिफाइड योगा प्रोटोकॉल इंस्ट्रक्टर गौरव चौहान ने बताया कि थायरॉइड की बीमारी हॉर्मोन के असंतुलन के कारण होती है, जो गृहणियों और ऑफिस में काम करने वाले लोगों को भी परेशान कर सकती है। कुछ योगासन हाइपोथायरॉइड और हाइपरथायरॉइड दोनों में फादेमंद होते हैं।

गले में होती है थायरॉइड बीमारी की जड़

थायरॉइड बीमारी में ग्रंथि कम या ज्यादा हॉर्मोन का उत्पादन करने लगती है। थायरॉइड ग्रंथि आपकी गर्दन के आगे वाले हिस्से में मौजूद होती है। अगर इसे नियंत्रित कर लिया जाए, तो इस बीमारी की जड़ खत्म हो जाती है। योगा इंस्ट्रक्टर गौरव चौहान ने ऐसे योगासन बताए हैं, जो इस जड़ पर सीधा प्रहार करते हैं।

ताड़ासन

खड़े होकर दोनों पंजों, एड़ियों और घुटनों को साथ में मिला लें।
कंधे पीछे की तरफ खींच लें, कमर सीधी और सिर गर्दन के ठीक ऊपर रखें।
दोनों हाथों को उनकी तरफ जांघों से मिलाकर रखें।
सांस भरते हुए सिर को जितना हो सके पीछे की तरफ ले जाएं।
एक सेकेंड रुककर सांस छोड़ते हुए ठुड्डी को छाती की तरफ लाएं।
दांतों को भींचकर और कमर को सीधा रखें।
ऐसा 10 बार करें और अंत में सिर को बिल्कुल गर्दन के ऊपर रखें।

अर्धचक्रासन

ताड़ासन की स्थिति में खड़े हो जाएं या फिर पैरों में थोड़ा सा गैप ले आएं।
सांस भरें और फिर छोड़ते हुए हाथों को कमर पर इस तरह रखें कि अंगूठे पीछे और उंगलियां आगे की तरफ आएं।
अब कोहनियों को पीछे की तरफ ले जाएं।
फिर दांत जोड़कर सांस भरें और कमर को पीछे की तरफ ले जाएं।
जितना संभव हो कमर को पीछे मोड़ें और 5 सांस लें।
अब सांस भरते हुए वापिस सीधे हो जाएं और आराम करें।

भुजंगासन

सबसे पहले वज्रासन की स्थिति में बैठें और फिर आराम से पेट के बल लेट जाएं।
ठुड्डी को मैट पर लाएं और हाथों को आगे की तरफ पूरा फैला लें।
अब सांस भरें और छोड़ते हुए दोनों हथेलियों को छाती की दोनों तरफ जमीन पर टिकाएं।
कोहनियों को आसमान की तरफ रखें।
सांस भरते हुए ठुड्डी, छाती और पेट को आसमान की तरफ उठाएं। ध्यान रखें यहां हाथों पर कम से कम वजन पढ़ना चाहिए।
इस स्थिति में सांस लें और फिर छोड़ते हुए वापिस शुरुआती

हलासन

हलासन के लिए जमीन पर कमर के बल लेट जाएं और हाथों को जांघ के पास जमीन पर रखें।
दोनों पंजों को आसमान की तरफ रखें और सांस भरते हुए दोनों पैरों को एक साथ 90 डिग्री पर उठाएं।
फिर से सांस भरते हुए ही पैरों को बिल्कुल सिर के ऊपर ले जाएं।
जरूरत पड़ने पर हाथों से कूल्हों को सपोर्ट दे सकते हैं, मगर कोशिश करें कि इसकी जरूरत ना पड़े।
अब सांस छोड़ते हुए दोनों पंजों को सिर के ऊपर जमीन पर लगाने की कोशिश करते रहें।
घुटने सीधे रखें और कुछ सांस लें।
वापिस आने के लिए हाथों से जमीन पर सपोर्ट लें और सांस भरते हुए धीरे-धीरे पैरों को नॉर्मल करें।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

Compiled: up18 News