शरीर में पोटैशियम की कमी से बढ़ जाता है मानसिक रोग होने का खतरा

Health

शरीर में पोटैशियम की कमी को हाइपोक्लेमिया कहा जाता है। स्वस्थ रहने और बीमारियों से बचने के लिए हर किसी के शरीर को रोजाना 47000 मिलीग्राम पोटैशियम की जरूरत होती है क्योंकि पोटैशियम दिल, दिमाग और मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को सुचारू ढ़ग से चलाने में मदद करता है

शरीर में पोटैशियम की कमी से हाइपोकैलीमिया और मानसिक रोग होने का खतरा सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। आज हम आपको इसकी कमी के कुछ संकेत बता रहे हैं, जिनकी कमी से होने वाली समस्याओं को आप आसानी से पहचान सकते हैं।

आज की जेनेरेशन को रात में देर तक जागने की आदत है। मगर इसका खामियाजा यह होता है कि उन्हें दिनभर सुस्ती, थकान, और कमजोरी महसूस होती रहती है। आपके आसपास भी किसी को ऐसा हो रहा है, तो इसके लिए वॉट्सएप, फेसबुक या स्मार्टफोन को दोष देने से पहले पोटाशियम का स्तर जरूर चेक करवा लें। अक्सर शरीर में पोटाशियम की कमी से इस तरह की समस्याएं होने लगती हैं।

पोटैशियम की कमी के क्‍या हैं लक्षण

शरीर के लिए पौटैशियम बहुत जरूरी है, यदि शरीर में इसकी कमी हो गई तो कई रोग हो सकते हैं। लेकिन यदि इसकी अधिकता हो गई तो भी वह शरीर के लिए नुकसानदेह है, इसलिए शरीर में पोटैशियम की मात्रा सामान्‍य होनी चाहिए।

शरीर के विभिन्न अंगों, कोशिकाओं और कोशाणुओं को सही तरह से कार्य करने के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में पोटैशियम जैसे खनिज पदार्थ का होना बहुत आवश्‍यक है। यह एक तरह का इलेक्ट्रोलाइट भी है, जो सोडियम, क्‍लोराइड और मैग्नीशियम के साथ मिलकर शरीर में विद्युत शक्ति का संचालन बनाए रखता है।

दिल को सही तरह से कार्य करने और पाचन क्रिया को दुरुस्‍त करने और हड्डियों तथा मांसपेशियों के संकुचन को रोकने के लिए पोटैशियम बहुत जरूरी है।

-एजेंसी