विक्रम साराभाई पुण्यतिथि विशेष: साराभाई की मौत एक रहस्य…

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30 दिसंबर की तारीख कई अहम घटनाओं को समेटे हुए है। उन्हीं अहम घटनाओं में से एक है देश को इसरो जैसी संस्था देने वाले और भारत को अंतरिक्ष के शिखर पर ले जाने वाले विक्रम साराभाई का निधन। उनका निधन बहुत ही रहस्यमय परिस्थिति में हुआ। आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम उस रहस्यमय परिस्थिति और उनकी मौत को लेकर दी जाने वाली कॉन्सपिरेसी थिअरी के बारे में बताने जा रहे हैं…

साराभाई की मौत एक रहस्य

आम दिनों की ही तरह 30 दिसंबर 1971 का भी दिन था। लेकिन उस दिन को खास बना दिया एक घटना ने। और वह घटना थी देश के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का इस दुनिया से चले जाना। किसी को यकीन नहीं था कि भारत के स्पेस प्रोग्राम के पिता कहे जाने वाले विक्रम साराभाई हमें यूं छोड़कर चले जाएंगे। एक दिन पहले तो सबकुछ ठीक-ठाक था। उन्होंने वैज्ञानिकों के साथ बैठकें की थीं और अहम विषयों पर चर्चाएं भी हुई थीं। ऐसे कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे जिससे लगे कि उनकी तबीयत खराब है। लेकिन अगली सुबह केरल के तटीय शहर कोवलाम के एक होटल रूम में उनका शव मिला। उनकी इस अचानक मौत ने सबको झिंझोड़ कर रख दिया था।

नांबी नारायण की आत्मकथा और साजिश का शक

जासूसी के गलत मामले में फंसाए गए पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक नांबी नारायणन की मानें तो साराभाई अंतर्राष्ट्रीय साजिश का शिकार हुए। इसरो के जासूसी मामले में फंसे और फिर बाद में बेदाग साबित हुए एस. नांबी नारायणन की 2017 में मलयाली भाषा में आत्मकथा आई थी जिसका नाम Ormakalude Bhramanapatham है। उस किताब से विक्रम साराभाई की मौत के रहस्य पर फिर से चर्चा गर्माया।

मौत पर यकीन नहीं

नांबी नारायणन ने साराभाई के साथ मिलकर उनके जूनियर के तौर पर इसरो में काम किया है और उनके काफी करीब रहे हैं। उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है, ‘उनकी मौत से कई सवाल उठे हैं। अगर उनकी मौत साजिश थी तो पूरी संभावना है कि उसके पीछे अंतरराष्ट्रीय शक्तियों का हाथ हो। नहीं तो उनके जैसे वैज्ञानिक का इस तरह अचानक निधन कैसे हो सकता है?’

सेहत पर देते थे बहुत ध्यान

नांबी नारायणन ने अपनी आत्मकथा में एक पूरा चैप्टर साराभाई के निधन को समर्पित किया है। उन्होंने इसमें उनके निधन पर कई सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि साराभाई अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखते थे। नांबी लिखते हैं, ‘एक आदमी जिसने जिंदगी में कभी सिगरेट को छुआ तक नहीं। फिर उनकी ऐसे मौत कैसे हो गई? यह जानते हुए भी कि मृतक एक महान वैज्ञानिक थे, उनका अंतिम संस्कार उनकी ऑटोप्सी कराए बगैर क्यों किया गया?’ उन्होंने कहा कि साराभाई के निधन को प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री होमी जहांगीर भाभा की मौत से जोड़कर देखा जाना चाहिए जिनका 1966 में एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था।

सीआईए का हाथ?

उन्होंने पत्रकार ग्रेगरी डगलस की किताब Conversations with the Crow का हवाला दिया है जिसमें सीआईए अफसर रॉबर्ट क्रॉली ने भाभा की मौत के पीछे सीआईए के हाथ होने के संकेत दिए थे। किताब में क्रॉली के हवाले से लिखा है, ‘1965 में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में भारत की जीत से अमेरिका बेचैन हो गया। भारत को एक न्यूक्लियर ताकत के तौर पर उभरते हुए देखने से भी अमेरिका की चिंता बढ़ गई।’

-एजेंसियां