अभी गणेश उत्सव चल रहा है। इन दिनों में गणेशजी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। राजस्थान के सवाई माधौपुर के पास रणथंभौर में का एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त चिट्ठी लिखकर दुखों को दूर करने की प्रार्थना करते हैं। यहां रोज भगवान के नाम से सैकड़ों चिट्ठियां आती हैं। पुजारी इन चिट्ठियों को भगवान के चरणों में रखते हैं। यहां मान्यता प्रचलित है कि गणेशजी भक्तों की चिट्ठी में लिखी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। गणेश उत्सव के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं।
गणेश प्रतिमा की खास बातें
रणथंभौर में विराजित गणेशजी के त्रिनेत्र हैं, यानी उनकी तीन आंखें हैं। भगवान के साथ उनकी पत्नियां रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ की मूर्तियां भी स्थापित हैं। साथ ही, गणेशजी का वाहन मूषक भी है। गणेशजी की सपरिवार पूजा करने पर भक्तों की पूजा जल्दी सफल हो जाती हैं। ये मंदिर सवाई माधौपुर से लगभग 10 कि.मी. की दूरी पर रणथंभौर के किले में स्थित है।
10वीं सदी का है मंदिर
ये मंदिर रणथंभौर के राजा हमीर ने 10वीं सदी में बनवाया था। एक बार राजा किसी युद्ध में थे। उस दौरान एक रात राजा के सपने में गणेशजी आए और उन्हें आशीर्वाद दिया। राजा की युद्ध में जीत हुई। इसके बाद राजा ने किले में ही गणेशजी मंदिर बनवाया था।
ऐसे शुरू हुई चिट्ठी भेजने की परंपरा
यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार ये मंदिर मुगल काल से भी पहले का है। उस समय लोग अपने घर के मांगलिक कार्यों के लिए गणेशजी आमंत्रित करने के लिए निमंत्रण पत्र अर्पित करते थे। घुड़सवार राजाओं के निमंत्रण पत्र लेकर आते थे। इसके बाद अंग्रेजों के शासन काल में डाक व्यवस्था शुरू हुई तो गणेशजी के भक्तों ने घर बैठे ही निमंत्रण पत्र और अपनी मनोकामनाएं लिखकर भेजना शुरू कर दिया। तभी से ये परंपरा चली आ रही है।
कैसे पहुंच सकते हैं मंदिर
हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको पहले जयपुर पहुंचना होगा। यहां से 150 किमी दूर रणथंभौर है।
जयपुर से रणथंभौर रेल या बस से पहुंच सकते हैं। रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो रणथंभौर से लगभग 10 कि. मी. की दूरी पर सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन है।
यहां तक रेल से पहुंच सकते हैं। इसके बाद सड़क मार्ग से रणथंभौर पहुंचा जा सकता है। राजस्थान के लगभग सभी बड़े शहरों से रणथंभौर के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं।
-एजेंसियां
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