मथुरा: श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान पर धूमधाम से मनायी पं. महामना मदन मोहन मालवीय जयन्ती

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मथुरा। हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान विचारधारा के ध्वजवाहक पं. महामना मदन मोहन मालवीय की 159वीं जयन्ती हिन्दी पंचांग के अनुसार पौष कृष्‍ण अष्‍टमी तद्नुसार दिनांक 27 दिसम्बर 2021 सोमवार को पूर्वान्ह में श्रीकृष्‍ण-जन्मभूमि स्थित भागवत-भवन में उनकी मानवाकार प्रतिमा का पूजन कर परंपरागत रूप से मनायी गयी।

कार्यक्रम के आरंभ में पुजारियों द्वारा स्वस्ति वाचन व पंचोपचार पूजन कराये जाने के उपरान्त श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान की प्रबंध समिति के सदस्य गोपेश्‍वरनाथ चतुर्वेदी द्वारा प्रतिमा का माल्यार्पण कर उत्तरीय धारण कराया गया।

श्री चतुर्वेदी ने कहा कि राष्‍ट्रभाषा हिन्दी और देवनागरी के प्रति मालवीय जी का अटूट प्रेम था ही, वे एक दूरदर्शी श‍िक्षाशास्त्री व महान गौभक्त भी थे। महामना मालवीय जी के ही प्रयासों से उस समय न्यायालयों में प्रचलित फारसी व अंग्रेजी के साथ देवनागरी लिपि को मान्यता मिल सकी थी, हिन्दू जन जागरण के अग्रणी नायक के रूप में उनका नाम सदैव स्मरण किया जाता रहेगा, हिन्दू समाज की जाति, वर्ण संबंधी रूढ़ियों पर प्रहार करते हुये उन्होंने दलित वर्ग को मंत्र दीक्षा देने का ऐतिहासिक कार्य किया था। काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय की स्थापना कर उन्होंने विद्यालय में दलित छात्रों को निःषुल्क षिक्षा की व्यवस्था की थी, काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय उस समय का पहला पूर्णतः आवासीय विश्‍वविद्यालय था।

योगिराज भगवान श्रीकृष्‍ण की पुण्य जन्मस्थली के अन्तिम मंदिर का 1669 ई. में औरंगजेब द्वारा ध्वस्तीकरण किये जाने के उपरान्त इसके पुनरुद्धार की पहल भी 1940 ई. में उनके मथुरा प्रवास के समय ही हो सकी, जिसका परिणाम आज हमारे समक्ष श्रीकृष्‍ण-जन्मभूमि पर निर्मित उन्नत मस्तक किये खड़े भागवत-भवन सहित अन्य मन्दिरों के रूप में विद्यमान है।

पूजन कार्यक्रम के उपरान्त संस्थान द्वारा प्रसाद भण्डारे का आयोजन भी किया गया था। इस अवसर पर संस्थान के सं. मुख्य अधिशाषी राजीव श्रीवास्तव, गिर्राजशरण गौतम, अनुराग पाठक, विजयबहादुर सिंह, नारायन राय, ब्रजेन्द्र कौश‍िक आदि सहित अन्य संस्थान कर्मचारियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।