देहरादून। उत्तराखंड की चारधाम यात्रा 2021 के मुख्य पड़ाव बदरीनाथ धाम के कपाट आज प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में खोले गए, प्रथम पूजा पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से हुई। यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 14 मई को दिन में 12:15 बजे और गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई को सुबह 7:31 बजे और केदारनाथ धाम के कपाट 17 मई को सुबह 5 बजे खुल चुके हैं। आज बदरीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए।
बदरीनाथ धाम के कपाट आज मंगलवार को ब्रह्ममुहूर्त में पुष्य नक्षत्र और वृष लग्न में 4 बजकर 15 मिनट पर खोल दिए गए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए केवल हक-हकूकघारियों, धर्माधिकारी और आचार्य ब्राह्मणों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी गई। मंदिर के कपाट खुलते ही जय बदरीनाथ के जयघोष से धाम गुंजायमान हो उठा। धाम में पहली पूजा और महाभिषेक पीएम नरेंद्र मोदी ओर से किया गया। इस दौरान उनकी ओर से विश्व कल्याण और आरोग्यता की भावना से पूजा-अर्चना एवं महाभिषेक समर्पित किया गया।
सीएम तीरथ सिंह रावत ने भी बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर देश-विदेश के श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दी। उन्होंने प्रार्थना की कि जल्द ही विश्व कोरोना महामारी से मुक्त हो सके। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण चार धाम यात्रा स्थगित कर दी गई है। ऐसे में मैं सभी से प्रार्थना है कि लोग घर में रहकर ही पूजा करें।
बद्रीनाथ धाम- जहां लिखा गया था पांचवां वेद
बद्रीनाथ धाम भगवान श्री हरी का निवास स्थल माना जाता है। यह उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के पर नर-नारायण नामक दो पर्वतों पर स्थापित है। कहते हैं कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना बद्रीनाथ धाम में ही की थी। इस क्षेत्र में एक गुफा है जिसे महाभारत का रचनास्थल माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार महाभारत को पांचवा वेद भी कहा जाता है। साथ ही महाभारत विश्व का सबसे लंबा साहित्यिक ग्रंथ भी माना जाता है। पुराणों की मानें तो बद्रीनाथ धाम की स्थापना सतयुग में हुई थी और ये भगवान विष्णु की तपोभूमि भी है। भगवान विष्णु ने कई सालों तक इस जगह पर तपस्या की थी। इसीलिए कहते हैं कि पांचवें वेद की रचना विष्णु जी की तपोभूमि पर रचा गया।
-एजेंसियां
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