दूसरी पीढ़ी के मुसलमान थे पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना

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पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की आज बरसी है। जिन्‍ना का निधन 11 सितंबर 1948 को हुआ था। आइए इस मौके पर उनसे जुड़ीं कुछ रोचक बातें जानते हैं…

दूसरी पीढ़ी के मुसलमान

मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर 1876 को कराची के एक धनी गुजराती परिवार में हुआ। उनके दादा प्रेमजी भाई ठक्कर गोंडल (गुजरात) के रहने वाले थे। जिन्ना के पिता ने इस्लाम धर्म अपना लिया था। इस तरह जिन्ना दूसरी पीढ़ी के मुसलमान थे।

विवाह

जिन्ना की दो शादी हुई थी। पहली शादी अमीबाई से हुई थी जो उनसे दो साल छोटी थीं। जब वह लंदन में थे तो उनकी पत्नी का देहांत हो गया। 1918 में जिन्ना ने रत्तनबाई से शादी की जिनका संबंध प्रभावशाली पारसी परिवार से था। वह जिन्ना से 24 साल छोटी थीं। इस शादी का रत्तनबाई के परिवार और कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने विरोध किया था।

बेटी की शादी और जिन्ना को बड़ा झटका

उनकी बेटी की शादी का बहुत ही रोचक किस्सा है। उनकी बेटी दिना जिन्ना ने नेवल वाडिया से शादी की थी जो पारसी थे। इस शादी से जिन्ना काफी खफा हुए और बेटी को कहा, ‘भारत में लाखों मुस्लिम युवा थे, तुम उनमें से किसी को चुन लेती।’ इसके जवाब में दिना ने कुछ ऐसा कहा कि जिन्ना खामोश रह गए। पारसी लड़की से शादी को लेकर जिन्ना पर निशाना साधते हुए दिना ने कहा था, ‘भारत में लाखों मुस्लिम लड़कियां थीं, आप उनमें से किसी को चुन सकते थे।’

पक्के मुसलमान नहीं थे जिन्ना?

भले ही जिन्ना ने सांप्रदायिक आधार पर पाकिस्तान की मांग की और उस समय के सबसे बड़े सांप्रदायिक राजनीतिक संगठन मुस्लिम लीग की कमान संभाली लेकिन ऐसा माना जाता है कि वह कट्टर मुस्लिम नहीं थे। इस्लाम में कुछ चीजें खाना-पीना वर्जित माना जाता है लेकिन जिन्ना के बारे में माना जाता है कि उन्होंने सब-कुछ खाया-पिया। स्टैनली वॉलपर्ट की किताब ‘जिन्ना ऑफ पाकिस्तान’ में उल्लेख मिलता है कि जिन्ना सुअर का मांस खाते थे और शराब पीते थे। ये चीजें इस्लाम के बुनियादी सिद्धातों के खिलाफ है।

सेक्युलर पाकिस्तान था जिन्ना का सपना

अभी का पाकिस्तान जिन्ना के सपनों के पाकिस्तान से बहुत अलग है। जिन्ना ने एक सेक्युलर पाकिस्तान बनाने का सपना देखा था। पाकिस्तान बनने के बाद अपने पहले भाषण में उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में सबको अपने धर्म को मानने की आजादी होगी। उन्होंने कहा था कि जाति, धर्म, नस्ल के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा लेकिन पाकिस्तान की हालत ठीक इसके उलट रही।

​…तो टल जाता भारत का बंटवारा

जिन्ना की मौत टीबी की बीमारी से हुई थी। उनकी बीमारी का पता उनके मौत के बाद ही चला। जिन्ना ने अपनी बीमारी को गुप्त रखा था। उनके डॉक्टर और उनके अलावा किसी और को यह पता नहीं था कि जिन्ना बस कुछ दिनों के मेहमान हैं। दरअसल जिन्ना ने यह बात इसलिए छिपाई थी कि अगर माउंटबेटन और कांग्रेस के अन्य लीडरों को पता चल जाता कि जिन्न जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं और कभी भी मर सकते हैं तो वे बंटवारे की चर्चा को कुछ दिन के लिए टाल देते। इस स्थिति में अलग पाकिस्तान का उनका सपना कभी पूरा नहीं होता।

भारत में आकर शांति से मरना चाहते थे

भले ही अलग मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान के गठन में जिन्ना ने अहम भूमिका निभाई हो लेकिन आखिरी दिनों में वह मुंबई आना चाहते थे। वह चाहते थे कि मुंबई में ही शांति से आखिरी समय गुजारें। लेकिन पाकिस्तानी अथॉरिटी ने उनके सपनों को सच नहीं होने दिया। पाकिस्तानी अथॉरिटी का मानना था कि अगर जिन्ना को हिंदुस्तान आने दिया जाता है तो अलग राष्ट्र पाकिस्तान बनाने के मकसद को झटका लगेगा।

-एजेंसियां