डायबीटीज से लेकर अस्थमा तक में फायदेमंद है गूलर के फल

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गूलर में पर्याप्त मात्रा में आयरन होता है और यह शरीर से आयरन की कमी को दूर करने में मदद करता है। गूलर को क्षेत्रीय भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, इसलिए हो सकता है कि गूलर नाम से यह फल याद न आ रहा हो। गूलर का वैज्ञानिक नाम फाइकस रेसमोसा है और अंग्रेजी भाषा में इसे क्लस्टर फिग के नाम से जाना जाता है।

रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद

गूलर भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, मलयेशिया और चीन के कुछ हिस्सों में उगता है। गूलर में विटमिन बी 2 होता है जो रेड ब्लड सेल्स के प्रॉडक्शन में मदद करता है। इसके अलावा यह ऐसी ऐंटीबॉडीज को बनाने में मदद करता है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सिजन पहुंचाने में मदद करता है।

डायबीटीज से लेकर अस्थमा में फायदेमंद

गूलर में ऐंटी-डायबीटिक, ऐंटी-ऑक्सिडेंट और ऐंटी-अस्थमैटिक प्रॉपर्टीज होती हैं, जिनकी वजह से यह डायबीटीज से लेकर अस्थमा और अन्य बीमारियों से बचाव में कारगर है।

नींद की कमी दूर

नींद न आने की समस्या से निपटने में भी गूलर कारगर है। इसकी वजह है इसमें मौजूद आयरन। यह न सिर्फ अच्छी नींद लाने में मदद करता है बल्कि स्ट्रेस भी दूर रखता है।

पित्त में लाभदायक

पित्त की बीमारी में गूलर की पत्तियों को शहद के साथ पीसकर खाने से राहत मिलती है। गूलर को हार्ट संबंधी बीमारियों से बचाव में भी लाभदायक माना गया है।

ये लोग न खाएं

अगर गूलर से एलर्जी है तो फिर बिल्कुल भी न खाएं। गर्भवती महिलाएं गूलर खाने से पहले डॉक्टर से जरूरी सलाह लें।

-एजेंसियां