जानिए! तलाक के मामलों में महिलाओं के वित्तीय अधिकार क्या-क्या हैं?

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अगर कोई महिला अपनी शादी से खुश नहीं है और वह पति से तलाक लेना चाहती है तो उसे कानूनी लड़ाई लड़नी होगी लेकिन प्रक्रिया पूरी होने तक महिला को गुजारा भत्ता के रूप में क्या मिलेगा और प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसके पति की संपत्ति से कितना हिस्सा मिलेगा, यह बड़ा सवाल है। इस आर्टिकल में जानेंगे कि तलाक के मामलों में धन का बंटवारा किस तरह होता है और महिलाओं के वित्तीय अधिकार क्या-क्या हैं।

1. हिन्दू मैरेज एक्ट के मुताबिक जब तक तलाक की प्रक्रिया पूरी नहीं होती है, पति को गुजारा भत्ता देना होगा।

2. तलाक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पति को एकमुश्त रकम देनी होगी। पत्नी चाहे तो हर महीने, तीन महीने और सालाना भी यह रकम ले सकती है।

3. पत्नी के नाम से जितनी संपत्ति होगी, उस पर उसका एकल अधिकार होता है। जूलरी भी उसी के हिस्से में आएगी। अगर उसे गिफ्ट में कैश मिला होगा तो उस पर भी उसी का अधिकार होगा।

4. जॉइंट असेट में उसे बराबर हिस्सेदारी मिलेगी। महिला के पास अधिकार है कि वह अपने हिस्से को बेचना चाहती है या उसके साथ क्या करना है।

5. जब इस मामले में कोर्ट फैसला करता है तो पति की कुल संपत्ति में पत्नी का हक एक तिहाई या पांचवां हिस्सा होता है। अगर पति सैलरी से हर महीने देता है तो यह 25 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा।

6. अगर पति की नौकरी चली जाए तो किश्त में देरी स्वीकार्य है। अगर उसकी मौत हो जाती है तो किश्त बंद हो जाएगी। अगर पत्नी एकमुश्त रकम लेती है तो वह टैक्सेबल नहीं होगा।

7. अगर दोनों का बच्चा है तो पति और पत्नी, दोनों को अपनी कमाई से बच्चे के लिए अलग से देना पड़ता है।
8. महिला अगर कमा रही हो और उसने घर में कुछ भी खर्च किया हो तो वह उसे वापस नहीं मांग सकती है।

-एजेंसियां