ऊँ शब्द का जाप शरीर में करता है नव चेतना का संचार

Religion/ Spirituality/ Culture

ऊँ शब्द त्रिदेव का प्रतीक है। अ उ म इन तीनों अक्षरों में अ से अज यानी ब्रह्मा जो ब्रांह्माण्ड के निर्माता हैं सृष्टि निर्माण का कार्य जिनके पास है, उ से उनन्द यानी विष्णु जी जो ब्रह्माण्ड के पालनकर्ता है और सृष्टि को पालने का कार्य करते हैं म से महेश यानी भगवान शिव जो ब्रह्माण्ड में बदलाव के लिए पुराने को नया बनाने के लिए विघटन का कार्य करते हैं।

मंत्रों में किसी भी इच्छा को पूरा करने की अद्भुत शक्ति समाहित होती है। उन्हें बोलने के लिए सही उच्चारण का भी होना आवश्यक है। तभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है। विभिन्न ग्रंथों में ऊँ शब्द का अलग-अलग महत्व बताया गया है। एक अक्षर का मंत्र है ऊँ जिसमें सम्पूर्ण ब्राह्मांड की शक्तियां समाई हैं। किसी भी मंत्र के आरंभ में ऊँ लगा दिया जाए तो वह शक्ति संपन्न हो जाता है और उसकी शक्तियों में बढ़ौतरी हो जाती है। ऊँ धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों का प्रदायक है। ऊँ शब्द का जाप मिटाता है जीवन से संताप और शरीर में करता है नव चेतना का संचार।

जहां इस मंत्र का जाप होता है वहां नकारात्मकता का अंत हो सकारात्मकता का आरंभ होता है। ब्लड प्रेशर एवं हृदय संबधी रोगों से निजात मिलता है। सूर्योदय या सूर्यास्त के समय पीले वस्त्र पहनकर पीले आसन पर समाधि लगाकर पीले रंग के ऊँ का ध्यान करने से जीवन में आने वाले संकटों से निजात मिलता है। असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त करने के लिए ऊँ महामंत्र का जाप करें। रोगी इस जाप को लेटे हुए भी कर सकता है। गृह क्लेश को दूर करने के लिए शनिवार को पीपल पेड़ की छाया में बैठकर, सफेद रंग के ऊँ का ध्यान एवं जाप करें।

-Celebrity astrologer ashima sharma


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.