आगरा। ताजनगरी में छठ पूजा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की छठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है। यह पर्व चार दिन मनाया जाता है।
पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना और तीसरे और चौथ दिन क्रमश: अस्त होते और उदय होते सूर्य को नदी या तालाब में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है।
सोमवार को पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के साथ हो गई। इस दिन घर की साफ-सफाई की जाती है।
छठ का प्रसाद और पकवान बनाने के लिए मिट्टी लेपकर चूल्हा तैयार किया जाता है। उपवास रखा जाता है। इसके बाद लौकी की सब्जी और भात-चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। छठ का मुख्य प्रसाद ठेकुआ बनाया जाएगा।
आगरा में पूर्वांचल समाज के लोगों ने छठ पूजा की तैयारियां पूरी कर ली हैं। पं. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि छठ पर्व के लिए यमुना हाथी घाट पर सफाई की गई है। सोमवार को भी सफाई का काम चल रहा है। हाथी घाट के साथ जौहरा बाग, बल्केश्वर घाट और दशहरा घाट पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
कल होगा खरना
पूर्वांचल सांस्कृतिक सेवा समिति के अध्यक्ष शंभूनाथ चौबे ने बताया कि खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस दिन व्रत रखा जाता है। व्रती रात को पूजा करने के बाद गुड़ से बनी खीर खाकर 36 घंटे निर्जला व्रत शुरू करते हैं।
इसी दिन छठ पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है। इसके बाद छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद चौथे दिन व्रत रखने वाले उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
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