आइए जानते हैं किन्नर समाज से जुड़ा वो सच जिससे आप अभी तक थे अनजान…

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किन्नर समाज के बारे में अक्सर लोगों की जिज्ञासा बनी रहती है। अक्सर किसी मांगलिक अवसर या सड़कों और ट्रेन में मिलने वाले ये किन्नरों कहां रहते हैं? क्या इनका भी होता है विवाह? इनके देवी-देवता कौन होते हैं? ऐसे कई सवाल हैं जो अक्सर किसी किन्नर को देखते ही हमारे मन में कौंधने लगते हैं। आइए जानते हैं किन्नर समाज से जुड़ा वो सच जिससे आप अभी तक थे अनजान-

राम से मिला था आशीर्वाद

प्रभु श्रीराम जब 14 वर्ष का वनवास काटने के लिए अयोध्या छोड़ने लगे, तब उनकी प्रजा और किन्नर समुदाय भी उनके पीछे-पीछे चलने लगे थे। तब श्रीराम ने उन्हें वापस अयोध्या लौटने को कहा। लंका विजय के पश्चात जब श्रीराम 14 साल वापस अयोध्या लौटे तो उन्होंने देखा बाकी लोग तो चले गए थे, लेकिन किन्नर वहीं पर उनका इंतजार कर रहे थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने किन्नरों को वरदान दिया कि उनका आशीर्वाद हमेशा फलित होगा। तब से बच्चे के जन्म और विवाह आदि मांगलिक कार्यों में वे लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

किन्नरों के भी होते हैं गुरु

किन्नरों समुदाय में भी गुरु-शिष्य की परंपरा का निर्वहन पूरी तरह होता है। किन्नर समुदाय का गुरु भी खुद पैदाइशी किन्नर होता है| मान्यता है कि किन्नर के गुरु को इस बात का आभास हो जाता है कि उसके कौन से शिष्य की मौत कब होगी। किन्नरों की मृत्यु के बाद उनकी शव यात्रा रात में निकाली जाती है| कुंभ मेले में भी किन्नर समुदाय विशेष रूप से शामिल होते हैं। वैसे तो देश में साधुओं के 13 अखाड़ें हैं लेकिन अब किन्नरों ने भी अपना एक अलग से अखाड़ा बना लिया है। जिसकी महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी हैं।

किन्नर भी करते हैं विवाह

किन्नर समाज में किसी नए सदस्य को शामिल करने के भी नियम है। मसलन किन्नरों के समूह में नए सदस्य को शामिल करने से पहले नाच-गाना और सामूहिक भोज होता है। वहीं आम लोगों की तरह किन्नर समाज भी वैवाहिक बंधनों में बंधते हैं। किन्नर अपने अराध्य देव अरावन से विवाह करते हैं लेकिन इनका विवाह मात्र एक दिन के लिए होता है। मान्यता है कि शादी के अगले दिन किन्नरों के अरावन देवता की मृत्यु के साथ ही इनका वैवाहिक जीवन खत्म हो जाता है।

ऐसे होता है अंतिम संस्कार

किन्नरों से जुड़े तमाम बातों में लोग आज भी इस बात से अनजान हैं कि आखिर उनका अंतिम संस्कार कैसे और कब होता है। किन्नर अपने परिवार के किसी भी सदस्य की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार आधी रात को अंधेरे में करते हैं ताकि कोई उसे देख न सके। इसके पीछे मान्यता है कि यदि कोई मृत किन्नर का अंतिम संस्कार देख ले तो वह अगले जन्म में एक बार फिर किन्नर के रूप में जन्म लेता है। मृतक किन्नर को जलाने की बजाए उसे जमीन में दफनाया जाता है और इससे पहले उसे चप्पलों से पीटा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक किन्नर के उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है। किसी सदस्य की मौत के बाद किन्नर समाज उसका मातम नहीं मनाता क्योंकि उसका मानना है कि मृतक किन्नर को नारकीय जीवन से मुक्ति मिल गई। किन्नर बहुचरा माता की पूजा करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि अगले जन्म में वह किन्नर के रूप में न पैदा हों।

न लें कभी बद्दुआ

कभी भी भूलकर किन्नर समुदाय की बद्दुआ मोल लें क्योंकि ऐसा होने पर तमाम तरह की विपत्ति का सामना करना पड़ता है। बुजुर्ग लोग भी बता गए हैं कि यदि आप खुश न कर सकें तो कभी उन्हें नाराज न करें। शास्त्रों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किन्नरों का अपमान करता है या उनका मजाक उड़ाता है तो उसे अगले जन्म में किन्नर बनना पड़ता है और ऐसा ही अपमान सहना पड़ता है। यदि आपके घर या दुकान में किन्नर आए तो उसे अपनी क्षमता के हिसाब से दान करने के बाद बोलें फिर आइएगा।

इन चीजों का कभी न करें दान

किन्नरों को दिया गया दान अक्षय पुण्य प्रदान करता है लेकिन ज्योतिषविदों के मुताबिक किन्नरों को दिए गए दान से जहां किस्मत संवरती है, वहीं उन्हें कुछ वस्तुओं का दान आपके जीवन में दुर्भाग्य लाता है। यदि आप अपने घर में सुख-शांति चाहते हैं तो कभी भूलकर भी किन्नरों को स्टील का बर्तन, पुराने कपड़े, तेल और प्लास्टिक से बनी वस्तुएं दान में न दें। किन्नरों को दिया गया ऐसा दान न सिर्फ आपके घर में दुर्भाग्य लाएगा बल्कि परिजनों की सेहत पर भी बुरा असर डालेगा।

वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए

यदि आपके वैवाहिक जीवन में दिक्कतें आ रही हैं और आप अपने अनमोल रिश्ते को पटरी में लाना चाहते हैं तो किन्नरों से जुड़ा यह उपाय आपके लिए वरदान साबित हो सकता है। चूंकि किन्नरों को श्रृंगार का बहुत शौक होता है, ऐसे में उन्हें खुश करने के लिए सुहाग की सामग्री दान में दें। जीवनसाथी के साथ आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र और मेंहदी का दान भी कारगर माना गया है।

धन संबंधी दिक्कत को दूर करने के लिए

यदि खूब मेहनत करने के बावजूद आपसे लक्ष्मी रूठी हुई हैं तो आप बुधवार वाले दिन किसी किन्नर के हाथ में पूजा की सुपारी के उपर सिक्का रखकर दान दें। यह उपाय धन के आगमन में आ रही सभी बाधाओं को दूर करके आपको सुख-समृद्धि प्रदान करेगा।

-एजेंसियां