बाल यातना एवं अवैध तस्करी के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य…

अन्तर्द्वन्द

हम लोग बच्चों में परमात्मा देखते हैं| बच्चों से लाड-प्यार व दुलार-पुचकार कर उनसे हंसी-खेल करके खुद आपका मन भी आनंदित और तरोताजा हो जाता होगा परन्तु आप को जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ ऐसे लोग है जो बच्चों को प्यार दुलार कि बजाय उनका यौन शोषण व यातनायें देकर संतुष्ट व आनंदित होते है। यह मनोविकृति है, दिमाग़ का दिवालियापन है|

बाल यातना एवं अवैध तस्करी के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Innocent Children Victims of Aggression) 04 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है| इसकी स्थापना 19 अगस्त 1982 को हुई थी| मूल रूप से 1982 के लेबनान युद्ध के पीड़ितों पर केंद्रित इस दिवस का उद्देश्य “विश्व भर में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण का शिकार बच्चों द्वारा पीड़ित और दर्द को समझना है| यह दिवस बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है|

इस मनोरोग को पीडोफिलिया नाम से जाना जाता है| इससे पीड़ित व्यक्ति विशेषकर बच्चों को अनैतिक कार्य सेक्स या ऐसा यातना पूर्ण कार्य करते हैं जिसकी यातना से बच्चों में दर्द का, डर का जो भाव होता है और उनकी चीख से वह यातना देने वाला बहुत ही आनंद वह सकुन महसूस करता है। इस पीडोफिलिया नामक रोग का शिकार 85 परसेंट बच्चे होते हैं, इन बच्चों के साथ अप्राकृतिक सेक्स करना, काटना, जलाना यहां तक उनके टुकड़े-टुकड़े करके उनके मांस तक खाना शामिल है|

जानकार लोगों का कहना है वैसे तो पूरे विश्व में इस प्रकार के लोग पाए जाते हैं| अगर आप अपने आसपास भी देखेंगे तो आपको अनेक इस तरीके के प्रताड़ित बच्चे मिल जाएंगे जो ज्यादातर अपने ही घरों में शिकार होते हैं लेकिन अरब देश के लोगों का एक विशेष वर्ग का शौक और खेल होता है जिसके लिए वह बच्चों का अपहरण कराते हैं और उनकी ख़रीद फ़रोख़्त कर के शौक पूरा करते हैं|

भारत देश या वह देश जहां पर गरीबी अधिक होती है, ऐसे ग्राहकों के लिए या पीडोफिलिया मनोरोगी का गढ़ माना जाता है। आजकल भारत में गोवा/ बिहार गढ़ बनता जा रहा है| हमारे देश में बहुत से पीडोफिलिक विदेशी सैलानी आते हैं, जिससे कि बच्चों के तस्करों की अच्छी कमाई हो रही है। वैसे तो कुछ देशों में बच्चों को ऊँट की पीठ पर बांधकर ऊँटों को दौड़ाया जाता है जिससे बच्चे की चीत्‍कार से वहां के लोग आनन्द की प्राप्ति करते है| यह भी पीडोफिलिया का ही एक उदाहरण है।

सामाजिक व परिवारिक लोगों को बच्चों के प्रति इस प्रकार की यातना से बचाने के लिए उन्हें बच्चों के ऊपर विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई अड़ोसी या पड़ोसी या रिश्तेदार उसे प्रलोभन देकर या उसके प्रत‍ि असामान्य व्यवहार तो नहीं कर रहा है| यही भी ध्यान दें क‍ि यह लोग उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य या प्राइवेट पार्ट पर हाथ तो नहीं लगा रहा है|

अब प्रश्न उठता है कैसे बाल गोपाल को बचायें—

सत्यमेव जयते रियलिटी टी.वी. शो में बाल यौन शोषण की कुछ सच्ची घटनायें देख कर आप का मन जरुर कौतुहल व हैरानी से भर गया होगा और मन में ये प्रश्न भी उठ रहा होगा क‍ि क्‍या ऐसा भी होता है और आखिर बाल यौन शोषण करने वाले लोग ऐसा क्यों करते हैं| सन् 2018 में हिंदुस्तान टाइम्ज़ के कार्यक्रम वीमेन अवार्ड लखनऊ में उठाया गया तो वहाँ उपस्‍थ‍ित महिलाओं को जानकारी होने पर रो पड़ी। इसकी भयानकता से अनभिज्ञ थीं। तमाम सम्भ्रांत महिलाओं को जानकारी का अभाव था|

हमारे देश मे बहुत से गैंग हैं जो बच्चो की तस्करी यौन शोषण व यातनायें व भिक्षा के लिए बच्चों को उठा लेते हैं, फिर अच्छे दाम में बेच देते है| इसकी रोक थाम के लिए अनेक सामाजिक संस्थाओं ने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण का शिकार बच्चों द्वारा पीड़ित और दर्द को समझा है जो इस जोखिम से भरे काम को कर रही है| आज समाज के हर नागरिक का कर्त्तव्य है बच्चों को समझायें क‍ि क्या सही है क्या ग़लत। इस तरह घर के शोषण को रोका जा सकता है| बाहर बच्चों की निगरानी रखें और उन्हें कभी भी अकेला ना छोड़े जबतक भरोसा ना हो।

-राजीव गुप्ता जनस्नेही
लोक स्वर, आगरा


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.