मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान द्वारा मोक्षदा एकादशी पर आज गीता जयन्ती पर्व बड़े अनूठे ढंग से मनाया गया। इस अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के प्रांगण में स्थित श्रीकृष्ण शोधपीठ/पुस्तकालय में श्रीमद्भगवत गीता का निःशुल्क वितरण किया गया।
पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्ण के परम पवित्र सन्देशों की संवाहक, विभिन्न तापों का शमन करने वाली श्रीमद्भगवत गीता जन-जन के हृदय में विराजमान हों एवं भक्तजन गीता के पवित्र श्लोकों का पाठ कर उसके सार को अपनी जीवन में धारण करें। इसी उद्देश्य से श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान द्वारा विगत वर्षों की भांति गीता-जयन्ती के अवसर पर आज जन्मस्थान प्रांगण में स्थित श्रीकृष्ण शोधपीठ/पुस्तकालय में दोपहर 12बजे से भगवान श्रीकृष्ण की प्रसादी स्वरूप पवित्रतम ग्रन्थ गीता, प्रसाद एवं पीत पटुका का वितरण उपस्थित भक्तों को किया गया ताकि वे सभी यथासंभव नियमित रूप से गीता का पाठ कर अपने जीवन को सुखमय बनाकर विश्व में सुख-शान्ति की स्थापना के लिए अपना योगदान दे सकें।
गीता जयन्ती के इस पावन अवसर पर विचार व्यक्त करते हुऐ कामेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने किस प्रकार कुरूक्षेत्र में कर्तव्य से विमुख धनुर्धारी अर्जुन को मित्रवत, गुरूवत व ईश्वरवत रूप में उपदेश देकर मोहपाश से मुक्त करने संबंधी जानकारी देकर सर्वपापनाषिनि श्रीमद्भगवद्गीता के महत्व के संबंध में बताया।
गीता-प्रसाद की अभिलाषा रखने वाले श्रद्धालुओं के समक्ष कामेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने गीता के सार एवं महत्व पर विस्तृत प्रकाश डाला।
इससे पूर्व पूर्व संस्थान की प्रबंध समिति के सदस्य गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने श्रीमद्भगवद्गीता जी पर प्रवचन हेतु पधारे कामेश्वरनाथ चतुर्वेदी का माल्यार्पण एवं शॉल ओढ़ाकर, ठाकुरजी का चित्र भेंट किया तथा कार्यक्रम का संचालन विशेष कार्याधिकारी विजय बहादुर सिंह ने किया।
इस अवसर पर उप मुख्य अधिषाषी अनुराग पाठक, ओएसडी विजय बहादुर सिंह, अनुरक्षण अधिकारी नारायन राय, भगवान स्वरूप वर्मा, मंदिर के पूजाचार्य एवं श्रीकृष्ण सेवा मण्डल के अतुल शोरावाला आदि सहित संस्थान के कर्मचारियों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही।