अगर सही तरीके से जिंदगी मैनेज करें तो हेल्दी रहना बहुत मुश्किल नहीं है। खानपान में संतुलन रखें और सोच व बर्ताव को बेहतर बनाएं।
अच्छी हेल्थ के लिए खुद को किन चीजों से जोड़ें और किन्हें माइनस करें, पूरी जानकारी दे रहे हैं जाने-माने मोटिवेशनल स्पीकर और वेलनेस कंसल्टेंट मिलन सिन्हा:
हर आदमी की जिंदगी में सेहत और खुशी की अहमियत होती है। सेहत और खुशी एक-दूसरे से जुड़े हैं। इन्हें साधने के लिए खानपान से जुड़ी छोटी-छोटी बातों के साथ-साथ संगीत और नींद की अहमियत को जानना और उसके प्रति लगातार जागरूक बने रहना भी जरूरी है। ऐसा करने के लिए हमें अपनी दिनचर्या में बहुत बड़े उलटफेर की जरूरत नहीं है। बस इन पर थोड़ा फोकस करने की जरूरत है और फोकस करना बहुत मुश्किल काम नहीं है। एक बार जब इसमें हम कामयाब हो जाते हैं तो हम लाइफस्टाइल को भी अच्छी तरह से मैनेज कर लेते हैं और बिना दवाई या बहुत कम दवाई के भी कई छोटी-बड़ी बीमारियों से बचे रह सकते हैं।
TBF का फॉर्म्युला
T: Thought
B: Behaviour
F: Food
इन तीनों के प्रति हमारा लगातार जागरूक रहना जरूरी है। इनमें बेहतर सामंजस्य और संतुलन से न सिर्फ हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं बल्कि हमारे रिश्ते भी बेहतर बने रहते हैं। इससे हम ज्यादा खुश रहते हैं और घर-बाहर हर जगह बेहतर परफॉर्म कर सकते हैं। ज्यादातर लोग इनमें से सिर्फ एक या दो को साध पाते हैं जिससे उन्हें वह फायदा नहीं मिलता, जितना मिलना चाहिए।
T: Thought
सकारात्मक सोच के साथ सुबह की शुरुआत हो तो दिन अच्छा गुजरता है। हकीकत यह है कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही बनने लगते हैं। हर समय इस सोच से काम करें कि अच्छे तरीके से कोई भी काम करेंगे तो उसका नतीजा भी अच्छा ही होगा। सुबह का पहला घंटा पूरे दिन की दिशा तय करता है।
दिन की शुरुआत करें ऐसे
सबसे पहले उठते ही बेड पर आराम से बैठें और आंख बंदकर एक मिनट तक गहरी सांस लें। इस दौरान अपने माता-पिता, टीचर, ईश्वर आदि को याद कर उनके प्रति आभार व्यक्त करें। उन्हें मन-ही-मन धन्यवाद दें। अगर हम तीन लिविंग गॉड अर्थात माता-पिता, शिक्षक और सूर्यदेव के प्रति आस्था, विश्वास, समर्पण और सम्मान रखें तो कामयाबी और खुशी, दोनों हासिल होंगी।
कंप्यूटर की तरह लाइफ
कंप्यूटर की प्रोग्रामिंग का बेसिक फंडा है: गार्बेज इन, गार्बेज आउट यानी कचरा अंदर डालेंगे तो कचरा ही बाहर आएगा। कहने का मतलब: जैसा अंदर डालेंगे, वैसा ही बाहर आएगा। कमोबेश यही सिद्धांत इंसान के दिमागी कंप्यूटर पर भी लागू होता है। बुद्धिमान और संयमित लोग ऐसे कचरे को अंदर आने से रोकने के लिए दिमाग के दरवाजे पर एक सशक्त स्कैनर लगा कर रखते हैं। इससे कचरा बाहर ही रुक जाता है।
रहें पॉजिटिव जोन में
इस पर गौर करना जरूरी है कि कौन-से विचार हैं जो हमारे दिमाग को बिना मतलब के उलझाते और परेशान करते रहते हैं। उनकी पहचान कर लेने के बाद उनसे मुक्ति के लिए जरूरी है कि दिनभर अच्छे कामों में व्यस्त रहें। बीच में अगर कोई नेगेटिव विचार या व्यक्ति आ जाए तो उससे जल्द छुटकारा पाकर पॉजिटिव जोन में लौटें। ऐसा मत सोचें कि यह नहीं हो पाएगा। नियमित अभ्यास से यह सब करना आसान होता जाएगा। रात में भी सोने से पहले सकारात्मक सोच-विचार में थोड़ा वक्त गुजारें, उसका चिंतन-मनन करें। कोई मोटिवेशनल किताब पढ़ना भी अच्छा रहेगा। चाहे किताबी ज्ञान की बात हो या प्रैक्टिकल की, अच्छे स्रोतों की संख्या जिंदगी में बढ़ते रहने से हर जगह प्रदर्शन बेहतर होता जाएगा।
B: Behaviour
हमें बचपन से यह बताया और सिखाया जाता है कि न सिर्फ अपने से बड़ों से बल्कि संसार में हर शख्स के साथ पूरी मानवीय संवेदना से पेश आना चाहिए। अपनी बात और बर्ताव से किसी को भी आहत करने की कोशिश न करें।
• खासकर बॉस प्रवृत्ति वाले लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सत्ता या पद आज है, क्या पता कल रहे या न रहे। लोगों के साथ आपके द्वारा की जाने वाली बदसलूकी की बदबू हमेशा आपके आसपास बनी रहेगी। यह उन्हें जिंदगीभर कमजोर करने के साथ-साथ परेशान भी करती रहेगी।
• किसी के साथ भी गलत या अमर्यादित व्यवहार करने से हम खुद सबसे पहले नेगेटिव एनर्जी से भर जाते हैं।
• किसी को नीचा दिखाना बड़े होने की पहचान नहीं है। यह आपके व्यक्तित्व में बड़ी कमी को दिखाता है। अमूमन खुद को सामने वाले की जगह पर रखकर देखेंगे तो आप इससे परहेज करेंगे।
• हर आदमी को स्वाभिमान प्यारा होता है। इंसान अपनी गरिमा और मर्यादा को कायम रखना चाहता है। हमें इसका सम्मान करना चाहिए।
• जैसा व्यवहार दूसरों से चाहते हैं, हमें वैसा ही व्यवहार उनसे करना चाहिए।
• नियमित रूप से खुद को तलाशें और तराशें।
F: Food
फूड बेहद अहम होता है। आखिर जो कुछ भी हमारे मुंह से पेट तक जाएगा, उसका फायदा या नुकसान हमें ही उठाना पड़ेगा। उसका अवशेष भी हमारे शरीर से ही निकलेगा। अगर हम पौष्टिक आहार लेते हैं तो हमारे शरीर को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन, मिनरल आदि पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए जरूरी हैं।
• कहा जाता है कि इंसान को जीने के लिए खाना चाहिए, न कि खाने के लिए जीना चाहिए।
• एक सामान्य इंसान को सुबह का नाश्ता सबसे पौष्टिक और ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए। दोपहर का खाना नाश्ते की तुलना में हल्का और रात का खाना तो बिलकुल ही सादा और हल्का होना चाहिए।
पानी: कब, कितना
हमारे शरीर में करीब 60 फीसदी पानी है। शरीर में पानी की कमी हो जाए तो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने लगती हैं। लिहाजा हमें हमेशा पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। वैसे पर्याप्त पानी पीना ही नहीं, सही तरीके से पानी पीना भी जरूरी है।
• ज्यादातर लोग पानी पीते नहीं, गटकते हैं जैसे कि उन्हें पानी पीने तक की फुर्सत नहीं है।
• सही तरीका है: धीरे-धीरे पानी पीना और वह भी बैठकर आराम से। खड़े-खड़े बोतल से मुंह में पानी उड़ेलना और उसे फटाफट गटकना सही नहीं है।
• हमें रोजाना 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए। इतना ही नहीं, हम कब-कब और कितना पानी पीते हैं, इसका भी हमारी सेहत से गहरा ताल्लुक है।
• रोज सुबह नींद खुलने के बाद कम से कम 1 गिलास गुनगुना पानी पीना चाहिए। ज्यादा फायदे के लिए गुनगुने पानी में आधा नीबू निचोड़ लें।
• खाने के फौरन पहले, खाने के बीच में और खाने के फौरन बाद पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे पाचन क्रिया प्रभावित होती है। बेहतर पाचन के लिए खाना खाने के कम-से-कम 30 मिनट पहले और खाना खाने के 45 मिनट बाद पानी पीने की सलाह दी जाती है।
• सेहत के लिहाज से गिलास में मुंह लगाकर आराम से चाय या कॉफी की तरह सिप करते हुए पानी पीना और यह महसूस करना कि इससे हमारा शरीर हाइड्रेटेड हो रहा है, सबसे अच्छा माना गया है।
• शरीर जितना हाइड्रेटेड रहेगा, हम उतना ही स्वस्थ रहेंगे। खासकर रात में सोने से पहले थोड़ा पानी जरूर पीना चाहिए, इससे हार्ट प्रॉब्लम और ब्रेन स्ट्रोक की आशंका कम हो जाती है। सच तो यह है कि पानी के माध्यम से ही हमारे शरीर से हानिकारक पदार्थ बाहर निकलता है। ऐसे में कम पानी शरीर के लिए परेशानी ही बढ़ाता है।
• आप खुद भी महसूस कर सकते हैं कि मानसिक तनाव हो तो पानी के दो-चार घूंट भी सुकून का अहसास करवाते हैं।
• दूसरों को ‘पानी पिलाने’ के मुहावरे को सही साबित करने के बजाय खुद पानी पीने की कला में पारंगत होना हर दृष्टि से बेहतर हेल्थ की गारंटी है। जब तक खुद पानी पीने का सही तरीका नहीं अपनाएंगे, समस्याएं बनी रहेंगी।
म्यूजिक बहलाए मन
आज हर आम आदमी की जिंदगी में शोर, अनिश्चितता और कंफ्यूजन बढ़ रहा है। कारण एक नहीं, कई हैं: जाने, पहचाने और अनजाने भी। मनुष्य आम बुनियादी समस्याओं के बीच शांति और सुकून को तलाशता रहता है।
• जीवन में शांति, सुकून और संगीत का बेहद करीबी रिश्ता रहा है। मानसिक तनाव की वजह से परेशान रहने वाले लोगों के लिए तो म्यूजिक किसी दवा से कम नहीं।
• म्यूजिक हमारी पर्सनैलिटी को निखारता है और हमें शारीरिक और मानसिक रूप में फिट रखने में अहम भूमिका अदा करता है।
हर मर्ज की दवा है नींद!
दिनभर की सक्रियता, व्यस्तता और भागदौड़ के बाद हम रात में सोना चाहें, लेकिन नींद न आए तो इससे बड़ी परेशानी क्या हो सकती है! तमाम रिसर्च और सर्वे बताते हैं कि नींद संबंधी समस्याओं से ग्रस्त तमाम लोग शराब या नींद की गोली का सेवन करते हैं लेकिन यह सेहत के लिए सही नहीं है।
• नींद स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरूरी चीज है।
• नींद के दौरान हमारे शरीर रूपी जटिल, लेकिन अद्भुत मशीन की सफाई और रिपेयरिंग होती रहती है। तभी तो दिनभर की थकान के बाद रात की अच्छी नींद से थकान दूर हो जाती है।
• अच्छी नींद न मिलने के कारण स्ट्रेस हॉर्मोन्स काफी बढ़ जाते हैं, जिस कारण शरीर कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसलिए रात में 7-8 घंटे जरूर सोएं। रात की अच्छी नींद सुबह आपके लिए ताजगी, उमंग व उत्साह का उपहार लेकर आती है।
• मोबाइल नींद के मामले में विलन है। इसलिए सोने से घंटे भर पहले अपना मोबाइल बंद कर लें या फिर साइलेंट मोड पर डाल दें।
• बेहतर तो यह है कि मोबाइल को सोने के स्थान से कुछ दूर रखें।
• आवाज और रोशनी अच्छी नींद में खलल डालती है। सोने से पहले इसका ध्यान रखें तो बेहतर रहेगा।
खुशी के खास सूत्र
• योग करते हैं तो लाइफ में प्लस ही प्लस है, वरना वियोग यानी माइनस ही माइनस।
• जीवन में संतुलन जरूरी है। बुद्ध के बताए मध्य मार्ग पर चलना सबसे बढ़िया।
• यह मानकर जीवन पथ पर आगे बढ़ने की लगातार कोशिश करें कि अगर कहीं या कभी इस यात्रा में समस्या या परेशानी आई तो उसके साथ समाधान भी होगा।
• वर्तमान में जीना सीखें। सच्चे दिल और खुले दिमाग से अपने अतीत के अनुभवों से सीख लेकर वर्तमान का सम्मान करने वाला काम तो मजे में करता ही है, भविष्य भी शानदार बनाता है। इस तरह की सोच और आदत डालें।
• दुनिया में शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा, जिसके जीवन में सिर्फ मजा ही मजा हो, कोई सजा, गम या समस्या न हो।
• जिसे हम कंट्रोल कर सकते हैं उस पर फोकस करें। जिसे कंट्रोल करना असंभव हो या जिसे कंट्रोल करना जरूरी न हो, उस पर फोकस न करें।
• छोटी-मोटी शारीरिक दिक्कतों को घरेलू उपायों से ठीक करने का प्रयास करें। अगर ठीक न हो तो बिना समय नष्ट किए डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर जो सलाह दें, उसमें अपनी ओर से कोई बदलाव न करें।
• कोशिश करें कि जहां तक पैदल जा सकते हैं, वहां तक पैदल ही जाएं।
• दूसरे की बातों से ज्यादा परेशान और खुश होने की बजाय अपनी समीक्षा खुद ही करें। आज के लिए जितनी प्राथमिकताएं तय की थीं, उन्हें पूरा किया है या नहीं। अगर कमी रही है तो सुधार की जरूरत कहां है, यह भी देखें।
• अच्छी बातें सबसे सीखें, उन्हें जीवन में भी उतारें लेकिन किसी के पिछलग्गू न बनें। जिंदगी अपने तरीके से जिएं। इससे तानव कम होगा, सफलता और खुशी ज्यादा मिलेगी।
शुगर से दूरी जरूरी
सुबह से रात तक हम सभी किसी-न-किसी रूप में चीनी का प्रयोग करते हैं। चाय, कॉफी, कोल्ड्रिंक्स, पैकेज्ड फ्रूट जूस, मीठे बिस्किट, केक, मिठाई आदि के बहाने हम दिन भर शुगर लेते रहते हैं। चीनी मिठास का आनंद लेने और शरीर में कार्बोहाइड्रेट की जरूरत को पूरा करने के लिए खाते हैं और यह कैलरी का बड़ा और आसान स्रोत है लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि चीनी को मीठा जहर कहा जाता है।
• प्राकृतिक रूप से अन्न, फल, सब्जी आदि से भी हमारे शरीर को कार्बोहाइड्रेट मिल जाता है इसलिए चीनी बहुत जरूरी नहीं है।
• एक एडल्ट को दिनभर में चीनी या मीठी चीजों से करीब 200 कैलरी मिले, यही काफी है।
• आपको ध्यान रखना चाहिए कि एक चम्मच चीनी में करीब 50 कैलरी होती है यानी दिनभर में औसतन चार चम्मच चीनी पर्याप्त है। हम एक कप चाय में एक चम्मच चीनी ले लेते हैं। अब आप देखिए कि दिन भर में कितने कप चाय पीते हैं। फिर हम अलग से भी मीठी चीजें खाते हैं।
• चीनी के अवगुण कई हैं। मसलन, चीनी एसिडिक गुण वाली होती है इसलिए यह कई शारीरिक परेशानियों और बीमारियों मसलन, मोटापा, डायबीटीज, दांत और आंत की तकलीफ आदि का कारण बनती है।
• चीनी के बदले गुड़ का सेवन करें। गुड़ में बेशक चीनी की सफेदी और चमक नहीं होती, लेकिन कार्बोहाइड्रेट और मिठास के अलावा कई अच्छे तत्व प्राकृतिक रूप से मौजूद रहते हैं।
• गुड़ खाने के बाद हमारे शरीर में पाचन क्रिया के लिए जरूरी क्षार पैदा होता है जबकि चीनी एसिड पैदा करती है जो शरीर के लिए नुकसानदेह है।
• गुड़ में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम रहता है जो हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होता है।
• गुड़ में फॉस्फोरस भी होता है जो शरीर में कफ को संतुलित करने में भी मदद करता है।
नमक पर करें कंट्रोल
खाने में नमक न हो तो भोजन बेस्वाद लगता है। यह हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। इसमें 40 प्रतिशत सोडियम और 60 प्रतिशत क्लोरीन होता है। सोडियम हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। नमक के अलावा सोडियम प्राकृतिक रूप से अनाज, सब्जियों, दूध, फल आदि चीजों में अलग-अलग मात्रा में मौजूद होता है। जो लोग संतुलित आहार लेते हैं उन्हें कई स्रोतों से सोडियम मिल जाता है।
• खाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल करना बेहतर है। इसमें कई मिनरल प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं।
• नमक का इस्तेमाल खाने की चीजों में प्रिजर्वेटिव के रूप में भी किया जाता रहा है। मक्खन, अचार और पैकेट में मिलनेवाली नमकीन चीजों में सोडियम की मात्रा ज्यादा होने का एक कारण यह भी है।
• इन दिनों नमक कई बीमारियों को बढ़ाने वाला साबित हो रहा है क्योंकि लोग नमक और नमक वाली चीजें कुछ ज्यादा ही खा रहे हैं। इससे हृदय रोग, हाइपरटेंशन, दमा, किडनी स्टोन जैसी कई घातक बीमारियों हो रही हैं।
• कई बार डॉक्टर के कहने पर हम नमक तो खाना कम कर देते हैं, लेकिन मीठे बिस्किट, केक या डिब्बाबंद पेय का ज्यादा सेवन करने लगते हैं। इन सबमें भी बेकिंग सोडा या प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल होता है, जिसमें सोडियम मौजूद रहता है।
• एक औसत भारतीय एडल्ट के रोज के खाने में अमूमन 8 ग्राम नमक होता है यानी करीब 3 ग्राम सोडियम और 5 ग्राम क्लोरीन, जबकि बेहतर सेहत के लिए 4-5 ग्राम नमक ही काफी है।
• जागरूकता से नमक का फालतू इस्तेमाल रोका जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में जागरूकता अभियानों की वजह से 2003 से 2011 के बीच नमक के इस्तेमाल में 15 फीसदी की कमी आई। इसका फायदा यह हुआ कि स्ट्रोक और हृदय रोगों के मामले 40% तक घट गए।
सांस लेना सीखें
ऑक्सिजन को प्राण वायु कहा जाता है। इसके कारण शरीर में मौजूद करोड़ों सेल एक्टिव रहते हैं। इन्हीं पर हमारा मेटाबॉलिजम निर्भर करता है।
• गहरी या लंबी सांस लेने से ऑक्सिजन का समुचित उपयोग कर हमारा शरीर लंबी उम्र तक स्वस्थ रह सकता है।
• प्राणायाम की विभिन्न विधियों से आप सही तरीके से सांस लेना सीख सकते हैं।
• बेहतर सेहत के लिए जरूरी है कि सारा दिन घर के अंदर ही घुसे न रहें। सुबह कम से कम आधा घंटा पार्क में अपना वक्त जरूर गुजारें।
सांस लेने का सही तरीका
सही तरीके से सांस ले रहे हैं या नहीं, इसे पहचाने का आसान तरीका है। अभी आप सांस भरें और देखें कि आपका पेट अंदर जा रहा है या बाहर। कमर सीधी करके बैठें। फिर पेट पर हाथ रखें। सांस लेने और निकालने के साथ पेट भी बाहर और अंदर जाएगा। लेटकर चेक करना चाहते हैं तो पेट पर कोई किताब रख लें। किताब के ऊपर-नीचे जाने से सांस का अंदाजा लगा सकते हैं।
अगर सांस भरते वक्त पेट बाहर जाए तो आप ठीक तरीके से सांस ले रहे हैं। अगर पेट अंदर जाए तो गलत। इसी तरह सांस निकालते हुए पेट अंदर की तरफ जाना चाहिए।
दरअसल, जब सांस लेते हैं तो लंग्स फैलते हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे कि हवा भरे जाने पर बैलून फैलता है। सांस बाहर निकालते हैं तो लंग्स सिकुड़ते हैं, वैसे ही जैसे हवा निकलने पर बैलून सिकुड़ जाता है। वैसे, जब तक सांस लेने का सही तरीका मालूम न हो या फिर इस पर गौर न करें तो ज्यादातर लोगों का पेट सांस लेते हुए अंदर आता है और छोड़ते हुए बाहर। ऐसा तनाव की वजह से होता है। ऐसे में चेस्ट टाइट होती है और डायफ्राम कड़क होकर ऊपर हो जाता है। इससे पेट बाहर को जाता है। यह गलत तरीका है। इससे लंग्स और हार्ट पर दबाव पड़ता है।
ये हैं डाइट के चंद खास टिप्स
• सुबह के नाश्ते में सबसे पहले एक चम्मच शहद लें। उसके बाद एक छोटी कटोरी भर अंकुरित चना, मूंग आदि के साथ थोड़ा-सा गुड़ और ड्राई फूट्स लें और खूब चबाकर खाएं। नाश्ते में चना या जौ का सत्तू, चूड़ा-दही, रोटी-दाल/हरी सब्जी-सलाद, टोस्ट-ऑमलेट आदि भी ले सकते हैं।
• सबसे बड़ी बात, जब भी खाने बैठें, चिंतामुक्त रहें। जो भी खाएं, आराम से खूब चबाकर और स्वाद लेकर खाएं। खाते वक्त टीवी न देखें, मोबाइल पर बात न करें और न ही कुछ पढ़ें।
• दोपहर के खाने में चावल या रोटी के साथ दाल, मौसमी हरी सब्जी, दही, सलाद का सेवन करें।
• रात के खाने को सादा और हल्का रखें और खाना जल्दी यानी रात के 8 बजे तक खा लें। सोने से पहले एक कप या एक गिलास गुनगुने दूध का सेवन करें।
• खाने में फल और सब्जियां बेहद जरूरी हैं। पर्याप्त सब्जी और फल न खाने से हार्ट, किडनी, लिवर से जुड़ी बीमारियों के शिकार होने का अंदेशा रहता है।
• जिस इलाके में रहते हैं, वहीं पर उगने वाले फल और सब्जियां खाएं। आपको ताजा मिलेंगे और सस्ते भी। मौसमी फल-सब्जियां ही खाएं। कोल्ड स्टोरेज में रखे चीजें खाने पर कम पौष्टिकता मिलती है।
• सुबह नींद से जगने के अधिकतम 2 घंटे के अंदर नाश्ता कर लेना अच्छा रहता है।
• नीबू, आंवला, लहसुन, अदरक, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, जीरा, अजवाइन, खीरा, टमाटर, मूली, गाजर, हरी पत्तेदार मौसमी सब्जियां, केला, पपीता, नारियल, मौसमी फल। इन चीजों को किसी न किसी रूप में हर दिन खाने की कोशिश करें, भले ही मात्रा कम ही क्यों न हो।
1. गेहूं
• नए गेहूं से बेहतर होता है पुराने गेहूं का आटा।
• आटे से चोकर को हम निकाल देते हैं लेकिन चोकर यानी फाइबर को बाहर निकालना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। चोकर के साथ-साथ कई जरूरी पोषक तत्व आटे से निकल जाते हैं। मैदे का सेवन इसलिए अच्छा नहीं माना जाता।
• खाली गेहूं की रोटी खाने से बेहतर है कि मिक्स्ड ग्रेन की रोटी खाना। 5 किलो अनाज (गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, जौ) में 1 किलो दाल (चना, मटर) मिलाएं।
2. चावल
• सेहत के लिहाज से सफेद चावल सही नहीं है क्योंकि पॉलिश के दौरान आम चावल से विटामिन-बी सहित कई पोषक तत्व निकल जाते हैं। फाइबर भी घट जाता है।
• सेहत के लिए ब्राउन चावल या उसना या सेला चावल या बिना पॉलिश किया हुआ चावल लाभदायक होता है। इसमें प्राकृतिक रूप से फाइबर के साथ-साथ विटामिन-बी और मिनरल्स
• इसमें मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, आयरन आदि मौजूद होते हैं।
3. दाल
• दाल प्रोटीन का बहुत अच्छा और सस्ता स्रोत है।
• पॉलिश की हुई दालें देखने में अच्छी लगती हैं, लेकिन इससे बचना चाहिए।
• साबुत दाल यानी छिलकायुक्त दाल सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद है। हर दिन के खाने में शामिल करें।
• दालों में मौजूद पोषक तत्वों को हमारा शरीर अच्छे से एब्जॉर्ब कर लेता है। इसलिए इसका सेवन रोजाना करना चाहिए।
• अंकुरित दाल अपेक्षाकृत अधिक पौष्टिक होती है।
4. तेल
• पेड़-पौधों से हासिल तेल हेल्थ के लिए अच्छे होते हैं। यही कारण है कि भारत में सरसों, नारियल और मूंगफली के तेल का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। तिल, जैतून और सूरजमुखी का तेल भी अच्छा है।
• रिफाइंड तेल के सेवन से बचें।
• तेल के उपयोग के मामले में इस बात का ध्यान जरूर रखें कि दो बार से ज्यादा तलने में इस्तेमाल किए गए तेल का प्रयोग न करें। इससे यूज्ड तेल की बर्बादी तो होगी, लेकिन आप ह्रदय रोग, एसिडिटी जैसी बीमारियों से बच जाएंगे।
5. फल और सब्जी
• मौसमी फल, हरी मौसमी सब्जी और साग (पालक, मेथी, चना, सरसों आदि) यानी वे फल, सब्जी या साग जो मौसम विशेष में बाजार में बहुतायत में उपलब्ध होती हैं, का सेवन हमारे शरीर के लिए सबसे लाभकारी होता है। बेमौसम की सब्जियां हों या फल, उनसे हमारे शरीर को अपेक्षित पोषण नहीं मिलता। फिर ये जेब पर भी भारी पड़ते हैं।
• एक्सपर्ट्स मानते हैं कि लोग जहां रहते हैं, वहां के स्थानीय फल और सब्जियों को ही ट्राई करें।
6. ड्राई फ्रूट्स
• ड्राई फ्रूट्स बेहतर पोषण देते हैं। बादाम, अखरोट, किशमिश, अंजीर, मूंगफली, पिस्ता, खजूर आदि को भी नियमित रूप से खाएं।
• मिक्स्ड ड्राई फ्रूट्स खाएं तो मात्रा 30 ग्राम से ज्यादा न हो। इसमें आप 7-8 बादाम, 7-8 काजू, 1-2 अखरोट, 10 किशमिश या 5 मुनक्के और कुछ दूसरे ड्राई फ्रूट्स जैसे खजूर, अंजीर आदि भी 1-2 मात्रा में मिला सकते हैं।
• मिक्स्ड ड्राई फ्रूट्स नाश्ते के रूप में लें और इन्हें खाने के करीब 1 घंटे बाद तक कुछ न खाएं।
-एजेंसियां