धर्म एक ऐसा नशा बन चुका है, जब यह जेहन में घुसता है तो सोचने समझने की सारी शक्तियों को खत्म कर देता है। इस नशे का आदी बन चुका शख्स अच्छा बुरा सोचने की क्षमता को खो देता है और वहीं करने लगता है जो धर्म के नशे बांटने वाला कारोबारी चाहता है। आजकल देश में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। इस नशे की गिरफ्त में फंसा व्यक्ति चंदी लोगों की गुलामी पर उतर आया है। उसे न अपने परिवार की चिंता है और न ही समाज की। इसी नशे का फायदा उठाकर लूलू मॉल के मालिक यूसुफ अली की टीम ने ऐसी शातिराना चाल चली कि मुफ्त में ही लूलू माल मालामाल हो गया। करोड़ों रूपये का विज्ञापन खर्च करके भी माल को उतनी प्रसिद्धि नहीं मिलती जितनी नमाज और हनुमान चालीसा की नौटंकी ने दिला दी।
गौर करने वाली बात है कि भारत में पिछले कई वर्षों से लव जेहाद, हिजाब, सड़क पर नमाज और उसके विरोध में हनुमान चालीसा पढ़ने का विवाद होता आ रहा है। रोजाना कोई न कोई मुद्दा गरमाया ही रहता है। अभी गत माह भाजपा की निष्कासित प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर लेकर की गयी कथित टिप्पणी के बाद इस्लामिक कट्टरवादियों द्वारा नुपुर शर्मा को जान से मारने की धमकी दी जा रही थी कि राजस्थान में नुपुर का थित समर्थन करने के मामले में इस्लामिक कट्टरवादियों द्वारा कन्हैया नामक व्यक्ति की गला रेतकर हत्या कर दी गयी। चर्चा है कि उपरोक्त घटनाओं को देखते हुये लूलू माल के प्रबंधकों द्वारा बिना कुछ खर्च किये प्रचार का नया रास्ता अख्तियार कर लिया गया।
हिन्दुत्व के कट्टर पैरोकार व यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा लखनउ में 10 हजार करोड़ खर्च करके बने दुबई के व्यवसायी युसुफ अली अपने माल का उद्घाटन कराया। एक मुस्लिम के व्यवसायिक प्रतिष्ठान का उद्घाटन करने पर योगी को भी कुछ लोगों ने निशाने पर लिया। 10 जुलाई को योगी माल का उद्घाटन करते हैं और दूसरे दिन चंद लोग बाहर से आते हैं और नमाज पढ़ने का ढोंग करके वीडियो बनाने के बाद चले जाते हैं। ढोंग इसलिये कह सकते हैं कि सात से आठ मिनट में खत्म होने वाली नमाज मात्र कुछ सेकण्ड में ही खत्म हो जाती है। जिससे साफ दिखता है कि कथित नमाजियों को मकसद नमाज पढ़ना नहीं था बल्कि विवाद पैदा करना था। वीडियो वायरल होते ही कथित हिन्दू संगठन भी आवेश में आ जाते हैं और माल में हनुमान चालीसा पढ़ने की घोषणा कर देते थे। मामला संजीदा हो जाता है। इसलिये सुरक्षा के दृष्टिगत भारी संख्या में फोर्स की तैनाती कर दी जाती है।
उद्घाटन के दिन से ही लूलू माल चर्चा में आ जाता है। एक तो यूपीसीएम यागी द्वारा उद्घाटन और नमाज व हनुमान चालीसा का विवाद इतना बढ़ता है कि देश में नामी गिरामी न्यूज चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया में लूलू माल की चर्चा होने लगती है। जिसके परिणाम स्वरूप लाखों की संख्या में भीड़ माल में उमड़ने लगती है। फ्री में विज्ञापन का यह फंडा पूरी तरह कामयाब हो जाता है।
देखा जाय तो देश में खुलने वाला यह पहला माल नहीं है। बल्कि हर शहरों में माल खुले हुये हैं। कारोना काल में भारी नुकसान के चलते कई माल आर्थिक मंदी के कारण बंद भी हो गये। ऐसे में लूलू माल के प्रचार के इस नये तरीके ने बच्चों बच्चों के जुबान पर यह नाम ला दिया। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि जो लोग शायद ही कभी लूलू माल में जाने की सोचते वे घूमने के बहाने ही वहां पहुंच रहे हैं। 20 हजार वर्गफृट में फैले इस माल में एक साथ 50 हजार लोग खरीददारी कर सकते हैं। अब 10 हजार करोड़ की पूंजी लगाने वाले युसुफ अली भला प्रचार का नया फंड क्यों नहीं अपनाते।
देखा जाय तो लूलू माल के प्रचार का यह अनोखा तरीका उद्घाटन से पहले ही सोच लिया गया था। सोशल मीडिया पर अफवाह फैली थी कि लूलू माल में 70 प्रतिशत मुस्लिम युवा और 30 प्रतिशत हिन्दू लड़कियों को नौकरी दी जा रही है। यहीं नहीं बल्कि यह भी कहा जा रहा था कि यदि माल में काम करने वाली कोई हिन्दू लड़की मुस्लिम लड़के से शादी कर लेती है तो उसे कंपनी परमानेंट करने के साथ पूरी सुरक्षा देगी। यानि प्रचार किया गया कि लूलू माल लव जेहाद का नया अड्डा बन रहा है। हनुमानगढ़ी अयोध्या के महंत राजू दास ने भी बयान दिया कि लूल माल लव जेहाद का अड्डा है। इसमें 80 प्रतिशत मुस्लिम लड़के और 20 प्रतिशत हिन्दू लड़किया रखी जा रही है।
लव जेहाद भारत में एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। सोशल मीडिया में लूलू माल को लव जेहाद का अड्डा प्रचारित किया गया। किन्तु माल का प्रबंधन पूरी तरह मौन रहा और कोई भी खंडन नहीं किया। इसी बीच फायर ब्राण्ड हिन्दू नेता व यूपीसीएम लूलू माल का उद्घाटन भी करते हैं। माल के मालिक युसुफ अली के साथ गाड़ी पर बैठकर माल घूमते हैं। फिर माल में नमाज पढ़ी जाती है और उसके विरोध में हनुमान चालीसा का पाठ करने की कोशिस होती है। किन्तु तबतक न माल के प्रबंधन द्वारा कोई बयान आता है और न ही यूपी सरकार कोई बयान देती है। एक सप्ताह तक न्यूज चैनल, अखबार और सोशल मीडिया पर मनमाने ढंग से कुछ भी दिखाया, लिखा गया। उसके बाद लूलू माल के प्रबंधक समीर वर्मा बयान देते हैं कि माल में 80 प्रतिशत हिन्दू कर्मचारी और 20 प्रतिशत में मुस्लिम, इंसाई सहित अन्य धर्मों के लोगों को नौकरी दी गयी है। फिर यूपीसीएम भी धर्म के नाम पर फसाद खड़ा करने वालों को कड़ी चेतावनी और फसाद करने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात करते हैं।
यदि पूरे घटनाक्रम पर गौर करें तो साफ दिखता है कि लूलू माल को प्रचारित करने के लिये बकायदा हर एपीसोड की सोची समझी सिक्रप्ट लिखी गयी थी। जिस तरह बिना एक रूपया खर्च किये माल का प्रचार हुआ और करोड़ों रूपये बचाये गये उससे यहीं लगता है कि प्रचार के इस अनोखे तरीके का प्लान बनाने वाला कोई शातिर दिमाग का ही व्यक्ति होगा। अब मामले का खुलाशा होने पर सारा मामला टायं टायं फिस्स ही नजर आ रहा है। जो साबित करता है कि लूलू माल के प्रचार का यह अनोखा तरीका कामयाब हो चुका है।
-हरीश सिंह (लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)
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