योगी सरकार का बड़ा फैसला, यूपी में बदले पावर ऑफ अटॉर्नी के नियम

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क्या हुआ है फैसला

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कल ही लखनऊ में मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया कि अब प्रदेश में अचल संपत्ति की बिक्री के लिए 50 रुपये के स्टाम्प पेपर पर पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं होगा। अब पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए भी बकायदा रजिस्ट्री करानी होगी। इसके लिए भी अब उसी तरह से स्टाम्प ड्यूटी चुकाना होगा, जैसे कि रजिस्ट्री के लिए चुकाते हैं। हां, इससे परिवार के सदस्यों को छूट मिली है। यदि परिवार के सदस्य आपस में पावर ऑफ अटॉर्नी या मुख्तारनामा करते हैं तो महज 5000 रुपये का शुल्क ही चुकाना होगा।

परिवार में कौन-कौन शामिल

सरकार ने परिवार की भी व्याख्या कर दी है। सरकार ने तय कर दिया है कि पावर ऑफ अटॉर्नी के मामले में परिवार के दायरे में कौन-कौन आएंगे। इनमें पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्रवधू, पुत्री, दामाद, भाई, बहन, पौत्र, पौत्री, नाती, नातिन शामिल हैं। इन्हें पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए प्रचलित दर पर स्टाम्प ड‌्यूटी नहीं चुकानी होगी।

क्यों उठाया गया है यह कदम

उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल का कहना है कि इस समय पावर ऑफ अटॉर्नी बनाने में स्टाम्प ड‌्यूटी की चोरी हो रही है। इसी कर चोरी को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। किसी कसी मामले में करोड़ों रुपये के जायदाद को पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए ही बेच दिया जाता है।

क्या होती है पावर ऑफ अटॉर्नी

पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी बहुत ही पुराना और प्रचलित शब्द है। यदि कोई व्यक्ति किसी करणवश अपनी प्रॉपर्टी, व्यवसाय से सम्बंधित मामले, बैंकिग लेन-देन या कानूनी मामले आदि में सटीक निर्णय लेने में असमर्थ है तो वह अपने स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को अपनें अधिकार दे सकता है। किस व्यक्ति द्वारा जब इस तरह के अधिकार किसी अन्य व्यक्ति को जिस कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत दिया जाते हैं, तो उसे पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी कहते हैं।

Compiled: up18 News