नवरात्रि में माता शक्‍ति को सोलह श्रृंगार से पूजने से बढ़ती है सुख और समृद्धि

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ऋग्वेद सहित पुराणों और स्मृति ग्रंथों में भी सोलह श्रृंगार का जिक्र हुआ है। कहा गया है कि ऐसा करने से सिर्फ सुदंरता ही नहीं सौभाग्य भी बढ़ता है। पुरातन काल से ही महिलाओं को श्रृंगार करने की सलाह दी जाती रही है। योगियों और ऋषि-मुनियों ने इनका महत्व बताया है। आज कुछ रिसर्च में भी ये बातें सामने आई हैं कि श्रृंगार की चीजें सेहत ठीक रखने में मददगार होती है। इनसे हार्मोन्स कंट्रोल होते हैं।

देवी के लिए सोलह श्रृंगार

देवी पुराण के मुताबिक नवरात्रि के दौरान मां को प्रसन्न करने के लिए उनका सोलह श्रृंगार किया जाता है। माता के श्रृंगार में लाल चुनरी, चूड़ी, इत्र, सिंदूर, बिछिया, महावर, मेहंदी, काजल, फूलों का गजरा, कुमकुम, बिंदी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र, पायल, नथ, कान की बाली और कमर के लिए फूलों की वेणी का इस्तेमाल किया जाता है।

16 श्रृंगार में शामिल नहीं है लिपिस्टिक और आई लाइनर

मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र पर्व में सोलह श्रृंगार करने चाहिए और देवी को भी ये श्रृंगार की चीजें चढ़ानी चाहिए। लेकिन, लिपिस्टिक, पाउडर, आई लाइनर और नेल पॉलिश जैसी चीजें देवी को नहीं चढ़ानी चाहिए। केमिकल से बने इन कॉस्मेटिक्स का जिक्र ग्रंथों में भी नहीं किया गया है।

माता के श्रृंगार का महत्व

नवरात्रि में माता को सोलह श्रृंगार चढ़ाना शुभ होता है। इससे सुख और समृद्धि बढ़ती है और अखंड सौभाग्य भी मिलता है। देवी को सोलह श्रृंगार चढ़ाने के साथ ही महिलाओं को भी खुद सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से मन प्रसन्न होता है और देवी कृपा भी मिलती है।

मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार में फूलों का ऋंगार भी एक है। इसे काफी शुभ माना जाता है। कहते हैं फूलों की महक मन को ताजगी देती है। घर में सकारात्मकता का विकास होता है। ऐसी मान्यता है कि इससे घर में सुख और समृद्ध‍ि आ‍ती है और अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलता है। यही वजह है कि भारतीय संस्कृति में सोलह श्रृंगार को जीवन का अहम और अभिन्न अंग माना गया है। नवरात्र‍ि में मां को सोलह श्रृंगार का चढ़ावा चढ़ाने के अलावा महिलाओं को भी इस दौरान सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए।

ऋग्वेद में भी सौभाग्य के लिए सोलह श्रृंगारों का महत्व बताया गया है। सोलह श्रृंगार में मौजूद हर एक श्रृंगार का अलग अर्थ है। बिन्‍दी को भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से जोड़कर देखा जाता है। वहीं, सिंदूर सौभाग्‍य और सुहाग की निशानी होती है। महावर और मेहंदी को प्रेम से जोड़कर देखा जाता है। काजल बुरी नजर से बचाता है। मां का सोलह श्रृंगार करने से घर और जीवन में सौभाग्‍य आता है। जीवन में खुशियां ही खुशियां आती हैं और जीवनसाथी का स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा बना रहता है।

-एजेंसी


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