नई दिल्ली। आज 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस (World Soil Day) के अवसर पर ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने कहा कि मिट्टी के जैविक (ऑर्गेनिक) तत्वों को फिर से पहले जैसा बनाने के लिए जल्द कदम उठाए जाने चाहिए।
सद्गुरु ने ज़ोर देकर कहा कि मिट्टी को खेती के लायक बनाए रखने के लिए, उसमें कम से कम 3% जैविक सामग्री होनी चाहिए।
सद्गुरु ने ट्विटर पर कहा, “जीवित मिट्टी, जिससे हमारा शरीर बनता है, विनाश की ओर बढ़ रही है। इस चीज़ पर जल्दी ध्यान देना ही वह सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है, जिसे सभी देशों को निभाना होगा। #ConsciousPlanet आइए इसे कर दिखाएँ”।
सद्गुरु ने कहा कि दुनिया को रेगिस्तान बनने से बचाने के लिए, मिट्टी में मौजूद अलग-अलग जीवों (बायोडायवर्सिटी) को बचाना – आज दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। “हमें दूसरी चीज़ों के बजाए, अब मिट्टी पर ध्यान देना होगा।” उन्होंने कहा।
इसके एक हिस्से के रूप में, सद्गुरु मिट्टी को बचाने के लिए एक आंदोलन शुरू करेंगे। इस आन्दोलन का नाम है “कॉन्शियस प्लैनेट”। “फिलहाल, ऐसा लग रहा है कि जलवायु बदलाव और पर्यावरण – ये सभी चीज़ें अमीर और ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के खेल हैं। ये स्थिति बदलनी चाहिए। हम जिस खतरे का सामना कर रहे हैं, उसके बारे में व्यक्तिगत तौर पर हर इंसान को जागरूक होना होगा।”
“पर्यावरण के मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनना चाहिए। हमें पर्यावरण के मुद्दों के लिए चिंता करने वाली सरकारें चुननी होंगी।” सद्गुरु ने कहा। उन्होंने वर्ष 2017 में “नदी अभियान” और वर्ष 2019 में “कावेरी पुकारे” आंदोलन भी शुरू किया था।
संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन (ज़मीन को रेगिस्तान बनने से बचाने के लिए कार्यरत संस्था) ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े साझा किए हैं। “हर साल, 75 अरब टन उपजाऊ मिट्टी, ज़मीन की क्वालिटी कम होने की वजह से नष्ट हो जाती है। इसी तरह से, हर साल 1.2 करोड़ हेक्टेयर भूमि, सिर्फ़ मिट्टी के रेत बनने और सूखा पड़ने के कारण बर्बाद हो जाती है। यह उतनी ज़मीन है, जो 2 करोड़ टन अनाज पैदा कर सकती है,” यूएनसीसीडी (UNCCD) ने कहा है।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने यह भी बताया है कि दुनिया में सिर्फ़ 80-100 फसलों, या 45-60 वर्षों के लिए ही खेती के लायक मिट्टी बची है। पिछले 30 वर्षों में धरती के अंदर जीने वाले 80% कीड़े गायब हो गए हैं, और यह भविष्यवाणी की जा रही है कि 45 से 50 वर्षों के अंदर, धरती पर हर हाल में एक भोजन संकट होगा। इससे दुनियाभर की आबादी पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाएगी, और सभी दुःख झेलेंगे।
आजकल कार्बन, गैसों के उत्सर्जन (एमीशन) और प्रदूषण को पर्यावरण के बुनियादी मुद्दे माना जा रहा है। सद्गुरु हम सभी को प्रेरित कर रहे हैं कि हमें पर्यावरण के मुद्दों और नागरिक (सिविक) मुद्दों के बीच फ़र्क करना होगा। वे कह रहे हैं कि नागरिक मुद्दों को ज़रूरी जागरूकता और कानूनों को लागू करके सुलझाया जा सकता है। उनका तर्क है कि ‘मिट्टी का विनाश’ ही असली मुद्दा है।
Living Soil, our very body, is moving towards extinction. Addressing this with utmost urgency is the most important Responsibility that all nations have to fulfill. #ConsciousPlanet. Let Us Make It Happen. – Sg #WorldSoilDay#SaveSoil @UNCCD @UNEP @FAO pic.twitter.com/c3oG2qWcJb
— Sadhguru (@SadhguruJV) December 5, 2021
उन्होंने कहा कि “मिट्टी एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्बन सिंक है। मिट्टी ही धरती पर सबसे ज़्यादा पानी सोखती है, और सभी जीवों का आधार है। पूरी धरती पर, औसतन 36-39 इंच ऊपरी मिट्टी, धरती के 87% प्राणियों के जीवन का आधार है। हमने जो शरीर धारण किया है, वो भी मिट्टी है। अगर मिट्टी समृद्ध और अच्छी नहीं होगी, तो यह शरीर और कोई भी दूसरा जीव अच्छे से नहीं जी सकता।