सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की तरफ से चुनाव आयोग को सौंपे गए इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारियों में यूनिक नंबर को शामिल नहीं किए जाने पर नाराजगी जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से कहा कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड नंबर यानी यूनिक नंबर भी शेयर करे।
दरअसल, दो वकीलों प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया और कहा कि एसबीआई ने यूनिक नंबर मुहैया नहीं कराया है, इस कारण बहुत सी बातों का पता नहीं चल पाएगा।
तो आइए जानते हैं कि प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल आखिर किस यूनिक नंबर की बात कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से इलेक्टोरल बॉन्ड का कौन सा नंबर साझा करने को कहा है। सवाल है कि आखिर इस नंबर के सामने आने से क्या पता चल जाएगा?
एसबीआई का जवाब जान लीजिए
द क्विंट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस नंबर को सिर्फ एक सिक्योरिटी फीचर बताया था। एसबीआई ऑफिसर के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि यह ऐसा नंबर नहीं है जिससे पता चल सके कि कोई खास बॉन्ड किसने और किसके लिए खरीदा है। ध्यान रहे कि वित्तीय वर्ष की हर तिमाही के पहले 10 दिन तक इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री एसबीआई की चुनिंदा शाखाओं से की जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए न केवल इसकी ब्रिकी पर रोक लगा दी है बल्कि उसी ने एसबीआई को इसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है।
क्या है वो यूनिक नंबर
सुप्रीम कोर्ट ने जिस यूनिक नंबर की बात की है वो दरअसल हर इलेक्टोरल बॉन्ड पर अंकित होता है। यूनिक नंबर हर बॉन्ड पर अलग-अलग होता है। न्यूज़ वेबसाइट द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई जो इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करता है, उस पर दर्ज एक नंबर नंगी आंखों से नहीं दिखता लेकिन उसे अल्ट्रावायलेट किरणों (यूवी लाइट्स) में देखा जा सकता है। ये नंबर ‘अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों और संख्याओं’ से मिलकर (अल्फान्यूमेरिक) होते हैं।
यूनिक नंबर से क्या-क्या पता चलेगा
यूनिक नंबर को अक्सर मैचिंग कोड कहा जाता है। दवा किया जा रहा है कि इस नंबर से ही पता चलता है कि आखिर कोई खास बॉन्ड किसने खरीदा और किसके लिए खरीदा। मतलब अगर यूनिक नंबर हाथ लग जाए तो साफ-साफ पता चल जाएगा कि किस कंपनी, संस्था या व्यक्ति ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया है।
अभी एसबीआई ने जो जानकारियां चुनाव आयोग को दी हैं, उससे यह पता नहीं चल पा रहा है कि किस पार्टी को किससे कितना चंदा मिला है। बस इतना पता चला है कि किस कंपनी ने कितनी कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं और किस-किस पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड्स के कितने पैसे मिले हैं।
-एजेंसी
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