शरीर के ल‍िए क्यों ज़रुरी होता है विटामिन डी3 , जरूरी तथ्य

Health

रंग-  अगर त्वचा का रंग काला या सांवला है तो त्वचा का मेलानीन सूर्य की किरणों को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है और जिसके कारण विटामिन डी बनने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है।

असल में हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम और विटामिन डी3 की जरूरत होती है और किडनी कैल्सीटेरॉल नाम का एक हार्मोन उत्पादित करता है जो हड्डियों को ब्लड से सही मात्रा में कैल्शियम लेने में सहायता करता है, इसलिए किडनी के सही तरह से काम न करने पर विटामिन डी3 (Vitamin D3) अपना काम नहीं कर पाती है। जिसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

अक्सर ये भी होता है कि रक्त से वसा की कोशिकायें विटामिन डी3 (Vitamin D3) को सोख लेती है जिसके कारण विटामिन डी की कमी हो जाती है, यानि बॉडी मास इंडेक्स जितना ज्यादा होगा शरीर में विटामिन डी की कमी उतनी ही होगी।

किस उम्र में कितने विटामिन डी की होती है ज़रुरत

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च  (Indian council of medical research) के अनुसार भारतीयों के लिए RDA (Recommended Dietary Allowance) की मात्रा* उम्र के हिसाब से जो होनी चाहिए वह निम्नलिखित है-

1-50 साल : 5 माइक्रोग्राम्स (200 IU)

50 साल या उससे ज्यादा : 10 माइक्रोग्राम (400 IU)

गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माँ : 5 माइक्रोग्राम (200 IU)

विटामिन डी3 की कमी के आम लक्षण

विटामिन डी3 के कमी के कुछ प्राथमिक लक्षण भी होते हैं। जो वैसे तो इतने आम होते हैं कि इसकी कमी के बारे में समझना मुश्किल हो जाता है। विटामिन का मूल काम कोशिकाओं का विकास, प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाना, सूजन कम करना और नॉर्मल बोन मिनरल डेन्सिटी को मेंटेन (BMD) करना है।

बार-बार बीमार पड़ना – विटामिन डी के कमी के कारण इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है जिसके कारण बार-बार सर्दी-खांसी या फीवर या लंग डिज़ीज होने का खतरा बढ़ जाता है।

बहुत ज्यादा थकान महसूस होना- थकान महसूस होना तो सबसे आम लक्षण होता है क्योंकि शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। इसके कारण हमेशा नींद या  किसी भी काम को करने की ऊर्जा नहीं रहती है।

पीठ,  मांसपेशियों या हड्डियों में दर्द होना –जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि विटामिन डी हड्डियों को स्वस्थ रहने में मदद करता है इसलिए विटामिन डी की कमी से जोड़ो में या पीठ में या मसल्स में दर्द महसूस होता है।

हड्डियों के टूटने की संभावना-  विटामिन डी हड्डियों को मजबूत करने में अहम् भूमिका निभाता है। इसलिए विशेषकर वृद्धावस्था में इसकी कमी के कारण हड्डियां बार-बार टूटने लगती हैं।

रिकेट्स या सूखा रोग – वैसे तो आजकल इस रोग के होने की  संभावना ना के बराबर हो गई है लेकिन इसकी हद से ज्यादा कमी के कारण बच्चों में  सूखा रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।

विटामिन डी3 की कमी से होने वाली बीमारियां-

ऑस्टियोपोरोसीस या फ्रैक्चर (Osteoporosis and fracture)

विटामिन डी3 ब्लड से कैल्शियम सोखने में अहम् भूमिका निभाता है। तो आप समझ ही सकते हैं कि विटामिन डी3 की कमी का सबसे ज्यादा असर हड्डियों पर पड़ता है जिसके कारण हड्डियों के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।

मांसपेशियां कमजोर होना और बार-बार गिरना

विटामिन डी3 की कमी के कारण (Causes of Vitamin D3 Deficiency) मांसपेशियों में न सिर्फ दर्द होता है बल्कि वह कमजोर भी हो जाते हैं क्योंकि  मांसपेशियों के कार्य को बेहतर बनाने में विटामिन डी3 काम करता है।

उच्च रक्त चाप और दिल की बीमारी

कई अध्ययनों में ये बताया गया है कि विटामिन डी3 की कमी (Vitamin D3 Deficiency) से दिल का दौरा पड़ने की संभावना रहती है। इसलिए रक्त चाप को हमेशा नियंत्रण में रखने की जरूरत होती है।

कैंसर

शायद आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि जितना ब्लड में विटामिन डी होगा उतना कोलोन कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है ।

विटामिन डी3 की कमी का पता लगाने के लिए कौन-सा टेस्ट करेंगे

विटामिन डी3 की कमी (Vitamin D3 Deficiency ) का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट करने की जरूरत होती है। इसके लिए ब्लड टेस्ट करने के लिए लैब भेजा जाता है और फिर 24 घंटे में रिपोर्ट आ जाती है। ब्लड लेने में पांच मिनट से ज्यादा समय नहीं लगता है।

– एजेंसी