मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 ( Transplantation of human organs act 1994) के तहत भारत में किडनी या अन्य किसी भी अंग की खरीद और बिक्री पर प्रतिबंध है. अगर कोई व्यक्ति इस काम को करता है तो उसको सजा देने का प्रावधान है. अंगों का कारोबार करने में पांच से 10 साल तक की सजा हो सकती है. हालांकि अधिनियम 1994 के अध्याय II के तहत कोई भी व्यक्ति अपनी मौत से पहले अपनी किडनी या किसी अंग को दान कर सकता है. डोनर की मानसिक और शारीरिक फिटनेस को सत्यापित करना होगा. इसके बाद वह उसके अंग को जरूरतमंद मरीज को दान किया जा सकता है.
इस बीच महाराष्ट्र के नांदेड में एक अजीब मामला सामने आया है. यहां कलेक्ट्रेट के बाहर पोस्टर लगे हैं. जिसमें साहूकार का कर्ज चुकाने के किडनी बेचने की बात लिखी हैं. जांच में पता चला है कि यह पोस्टर किसी महिला ने लगाएं हैं. महिला ने कर्ज चुकाने के लिए किडनी बेचने की गुहार लगाई है. मामले की जांच पुलिस कर रही है. तो ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भारत में किडनी बेची और खरीदी जा सकती है?
तो इसका जवाब है कि भारत में किडनी की खरीद बिक्री नहीं की जा सकती, लेकिन एक व्यक्ति डोनर के रूप में अपनी किडनी को दान कर सकता है. राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के नियमों की तहत किडनी दान की जा सकती है. एक व्यक्ति की किडनी का ट्रांसप्लांट दूसरे मरीज में किया जा सकता है. इंसान की अगर दोनों किडनी स्वस्थ है तो वह एक दान कर सकता है. ब्रेन डेड व्यक्ति की किडनी भी दान की जा सकती है. इसके लिए उसके परिजनों की परमिशन की जरूरत होती है. अस्पताल (NOTTO) के नियमों के तहत जरूरतमंद मरीज में मृतक के अंग को ट्रांसप्लांट कर सकते हैं.
वास्तविकता यह है कि स्वास्थ्य संसाधन और सेवा प्रशासन के आंकड़ों के मुताबिक, ऑर्गन डोनेशन के इंतजार में हर दिन 17 लोगों की मौत हो जाती है. देश में 2 लाख मरीजों को किडनी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 7 हजार ही उपलब्ध है. इसका कारण यह है कि लोग अंगदान करने से बचते हैं.
अंगदान के दौरान किसी भी तरीके का पैसे का लेनदेन नहीं होना चाहिए. अगर किसी डोनर ने पैसे लेकर अंगदान किया है या व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिजनों ने अंगदान के लिए पैसे लिए हैं तोतो ये गैर कानूनी माना जाता है. इसमें सजा के अलावा 50 लाख रुपये तक का जुर्माना तक सकता है.
– एजेंसी
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