हमने मदरसे नहीं बल्कि अल कायदा के दफ्तर गिराए: असम सीएम

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सीएम हेमंत बिस्व सरमा ने दिल्ली में मीडिया से कहा, “सभी ध्वस्त मदरसे, मदरसे नहीं बल्कि अल कायदा के दफ्तर थे। हमने 2-3 को गिराया और अब जनता बाकी को गिराने आ रही है। मुस्लिम समुदाय यह कहकर ध्वस्त करने आ रहा है कि उन्हें ऐसा मदरसा नहीं चाहिए, जहां अल कायदा का काम हो। इससे मदरसे का चरित्र बदल जाता है।”

मंगलवार को गोलपारा में एक मदरसे को लोगों ने खुद गिरा दिया

मंगलवार को राज्य के गोलपारा में एक मदरसे को आम लोगों ने जाकर ढहा दिया। जिले के एसपी वीवी राकेश रेड्डी ने कहा, “स्थानीय लोगों ने मदरसे को ध्वस्त करने की पहल की। इसमें सरकार शामिल नहीं थी। वे हैरान थे कि जिस जिहादी को गिरफ्तार किया गया, वह मदरसे का शिक्षक था। लोगों ने कड़ा संदेश दिया है कि वे जिहादी गतिविधियों का समर्थन नहीं करते हैं।”

इससे पहले असम के बंगाईगांव में जिला प्रशासन ने मंगलवार को एक मदरसे को बुलडोजर से गिरवा दिया था। अफसरों का कहना है कि मदरसा परिसर में आतंकी गतिविधियां चलने की कई शिकायतें मिली थीं। इस मदरसे का संबध कथित तौर पर अलकायदा से था। पिछले 26 अगस्त को असम पुलिस ने एक्यूआईएस और अंसार उल बांग्ला टीम के सदस्य हफीजुर रहमान को गिरफ्तार किया था।

वह इसी मदरसे में पढ़ाता था। मरकाजुल मां आरिफ करियाना नाम से प्रसिद्ध इस मदरसे को तोड़ने से पहले यहां रह रहे सभी 224 बच्चों को वहां से निकाल लिया गया था। प्रशासन का कहना है कि मदरसे का निर्माण भी अवैध रूप से कराया गया था। कुछ दिन पहले पुलिस ने अलकायदा के मॉड्यूल और बांग्लादेश के अंसारुल्लाह टीम का भंडाफोड़ किया था। राज्य के कई मस्जिदों और मदरसों से चरमपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ने किसी अजनबी को शिक्षक के तौर पर नहीं रखने की सलाह भी दी थी।

-एजेंसी