प्रवचन: गुणग्राही बन कर अच्छा ही देंखे और करेंः जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज

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आगरा ।नेपाल केसरी जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि जो जैसा होता है, उसे वैसा ही दिखता है। इसलिए गुणग्राही बन कर अच्छा ही देखो। अवगुणों को न देख कर सभी में सद् गुणों को देखें, तभी मानव जीवन सफल हो सकता है ।

राजामंडी के जैन स्थानक में हो रहे वर्षावास के दौरान प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने कहा कि जो गुणी व्यक्ति होगा, उसे सभी में गुण दिखाई देंगे। जो दोष से भरा होगा, उसे दूसरों में दोष ही दोष दिखाई देंगे। इसलिए दृष्टि को गुणग्राही बनाएं, इसी को सम्यक दृष्टि कहते हैं।

जैन मुनि ने कहा कि आचार्य मांगतुंग अनुभवी साधक हैं। जितने भी एक व्यक्ति में गुण हैं, वे सभी उनमें विद्यमान हैं। जैन मुनि ने कहा कि जहां न पहुंचे रवि, वहां न पहुंचे कवि। जहां न पहुंचे कवि, वहां पहुंचे अनुभवी।

जैन मुनि ने कहा कि गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में कौरव और पांडव साथ-साथ विद्याध्ययन करते थे। एक बार गुरु द्रोणाचार्य ने एक-एक कागज और पैन युधिष्ठर व दुर्योधन को दिया। कहा कि वे आसपास के शहर में जाएं और अच्छे और बुरे लोगों के नाम लिख कर लाएं। जब वे दोनों लौट कर आए तो उन्होंने देखा कि युधिष्ठर की सूची में केवल अच्छे लोगों के नाम थे और बुरे लोगों की सूची में केवल अपना नाम लिखा था। वहीं दूसरी ओर दुर्योधन के कागज में बुरे लोगों के ही नाम लिखे थे, अच्छे लोगों में केवल अपना नाम लिखा था। मुनिवर ने कहा कि जो जैसा होता है, उसको वैसा ही दिखता है। बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कौय, जो घट झांको आपनो, मुझसे बुरा न कोय। दुर्योधन के मन में केवल दोष भरा है तो केवल बुरे ही लोग दिखाई दिए। उसने अपने मन को नहीं झांका।

जैन मुनि ने कहा है कि वीतरागी व्यक्ति प्रशंसा व सम्मान की आकांक्षा नहीं करते। वे तो समाज को श्रेष्ठ बनाने में ही अपना हित समझते हैं।

जैन मुनि ने बताया कि एक बार अंधकार से ब्रह्माजी से सूर्य की शिकायत की कि वह उसके अस्तित्व को खत्म कर देता है। उसे कभी आगे नहीं बढ़ने देता। अंधकार ने ब्रह्माजी से न्याय करने की गुहार की। ब्रह्माजी ने सूर्य को बुलाया। कहा कि तुम अंधकार के साथ अन्याय क्यों करते हो। सूर्य ने कहा कि आप अंधकार को बुलाओ तो सही। मैंने उसे कभी देखा ही नहीं, तब मैं उसके अस्तित्व के लिए खतरा कैसा पैदा कर सकता हूं। जैन मुनि कहा कि अच्छे लोगों के सामने बुरे लोग कभी टिक ही नहीं सकता। इसलिए गुणग्राही बनें, सभी में केवल गुण ही गुण देंखे, इसी में जगत का कल्याण है।

मानव मिलन संस्थापक नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र मुनि,बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में गुरुवार को 27 वीं गाथा का लाभ स्वाति विक्रम भंडारी परिवार कोलकाता एवम विजय रानी अनिल परिवार लोहामंडी ने लिया। नवकार मंत्र जाप की आराधना उषा लोढ़ा परिवार ने की।

गुरुवार की धर्मसभा में दिल्ली एवम कोलकाता से आए श्रद्धालु उपस्थित थे।गुरुवार के अनुष्ठान में राजेश सकलेचा, विवेक कुमार जैन, राजीव जैन, संजीव जैन, अजय जैन पूर्व पार्षद, अमित जैन, संजय सुराना आदि उपस्थित थे।

-up18news