हिजाब पहनकर स्टेज पर चलना इतना बड़ा जुर्म नहीं कि कार्रवाई की जाए: मुफ्ती शहाबुद्दीन

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मौलाना ने कहा कि हिजाब एक धार्मिक लिबास है, इसे बहस का मुद्दा न बनाया जाए। जिन लड़कियों ने हिजाब पहनकर नुमाइश की है, उसमें कोई मर्द शामिल नहीं था। वो सिर्फ महिलाओं का ही कार्यक्रम था। हिजाब पहनकर स्टेज पर चलना-फिरना इतना बड़ा जुर्म नहीं कि उन बच्चियों के खिलाफ कानूनी और शरई कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि लोगों को गंभीरता से विचार करना चाहिए कि ये लड़कियां शरीयत का ज्ञान नहीं रखती हैं और इनके माता पिता भी बहुत ज्यादा शरीयत के ज्ञानी नहीं है। ऐसी सूरत में इन लड़कियों के साथ इनके परिवार वालों को समझाने और शरई बात बताने की जरूरत है, न कि इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की।

फैशन ने खत्म की हिजाब की सादगी

मौलाना ने कहा कि लड़कियों ने अपने पूरे जिस्म को बहुत कायदे के साथ हिजाब से ढक रखा था, मगर आजकल हिजाब लिबास की डिजाइनिंग अलग-अलग तरह की गई है जिसमें हिजाब की सादगी खत्म होकर फैशन का रूप ले लिया है इसलिए महिलाओं और डिजाइन बनाने वाली कंपनियों को एहतियात से काम लेने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि इस्लाम ने महिलाओं को आजादी के साथ रहने, खाने-पीने और सुरक्षा प्रदान किए जाने के वसूल बताए हैं। इन्हीं वसूलों में एक हिजाब लिबास भी आता है। हिजाब को सियासी मुद्दा न बनाया जाए। उन्होंने बताया कि बीते दिनों कनार्टक में इसी तरह का एक मुद्दा बन चुका है, जिसका नतीजा सिवाय बदनामी के और कुछ नहीं मिला।

ये था मामला

मुजफ्फरनगर के श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलेज में कार्यक्रम हुआ था। फैशन स्पलैश 2023 के अंतिम दिन बुर्कानशीं छात्राओं का रैंप पर कैटवॉक करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ था। इस पर सपा सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क ने इस्लाम विरोधी काम बताते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के एतराज का समर्थन किया था।

Compiled: up18 News