● त्रिपाठी जी की नई आलोचनात्मक कृति का हुआ लोकार्पण
● दारा शुकोह पर मैनेजर पांडेय की किताब हुई लोकार्पित
● कल होगा निर्मल वर्मा और गगन गिल की किताबों का लोकार्पण
नई दिल्ली. विश्व पुस्तक मेला में शुक्रवार को राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल जलसाघर में विश्वनाथ त्रिपाठी की नई किताब के लोकार्पण के साथ ही उनका जन्मदिन मनाया गया। जलसाघर में विश्वनाथ त्रिपाठी नई आलोचनात्मक कृति ‘हरिशंकर परसाई : देश के इस दौर में’ और हरिशंकर परसाई के अप्रकाशित व्यंग्य संग्रह ‘भोलाराम का जीव’ का लोकार्पण त्रिपाठी जी के हाथों हुआ। इस दौरान त्रिपाठी जी ने अपने जीवन से जुड़े आत्मीय संस्मरण साझा किए।
उन्होंने कहा, “आज तक मैंने कभी अपनी किसी किताब का लोकार्पण नहीं कराया है, यह तो अशोक जी का प्रेम और आत्मीयता है कि मैं उनका अनुरोध अस्वीकार नहीं कर पाया। राजकमल से मेरा लंबे अरसे से संबंध रहा है जो नित नए-नए प्रतिमान रच रहा है। मुझे ओमप्रकाश जी याद आते हैं, उन्होंने जिस आस के साथ इस प्रकाशन की शुरूआत की थी अशोक जी ने उसे बरक़रार रखा है। मेरी बहुत सी किताबें यहाँ से प्रकाशित है, राजकमल से किताबें प्रकाशित होना किसी सम्मान और पुरस्कार से कम नहीं हैं। मेरे जन्मदिन पर इस आयोजन के लिए मैं अभिभूत हूँ।”
इस दौरान राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, “जब मैंने प्रकाशन व्यवसाय में कदम रखा था उस समय से ही त्रिपाठी जी का स्नेह और आशीर्वाद लगातार मुझे मिलता रहा है। आज त्रिपाठी जी का जन्मदिन भी है। हम यह कामना करते हैं कि वह शतायु हों और उनका स्नेह हम सबको ऐसे ही मिलता रहे।”
मंचासीन वक्ताओं में प्रो. नीरज कुमार ने कहा “गुरूजी की आलोचना साहित्य के पाठक तैयार करती है। इन्हें पढ़कर यह सीखा जा सकता है कि रचना को कैसे पढ़ा जाए।” कर्ण सिंह चौहान ने कहा “गुरूजी के भीतर सिद्धांत भी है, वाक् भी है अंग विच्छेप की पहुँच भी है। ऐसा हिंदी साहित्य में अन्यत्र पाना दुर्लभ है।” वहीं प्रो. अनिल राय ने कहा “समाज में व्यंग्य की क्या आवश्यकता है, यह बहुत ही सारगर्भित तरीके से इस पुस्तक में देखने को मिलता है।”
बसंत त्रिपाठी के कविता संग्रह ‘घड़ी दो घड़ी’ पर बातचीत
इससे पहले, शुक्रवार को जलसाघर में आयोजित कार्यक्रम के पहले सत्र में बसंत त्रिपाठी के कविता संग्रह ‘घड़ी दो घड़ी’ पर बातचीत हुई। इस सत्र में संजीव कौशल ने उनसे बातचीत की। परिचर्चा के दौरान संजीव कौशल ने कहा “इस संग्रह की कविताओं में मनुष्य की बेचैनी देखने को मिलती है जो एक बेहतर दुनिया का स्वप्न देखते हैं।” वहीं पर कवि ने कहा “मेरे मन में जो बिंब आए उसी की संवेदना और छटपटाहट को मैंने इस संग्रह में प्रस्तुत किया है। इसमें मैंने किसी महात्मा की तरह रास्ता नहीं दिखाया बल्कि आज के समाज में मनुष्य जो टुकड़े-टुकड़े में जीवन जी रहा है, उसकी जो वैचारिक उलझने हैं, मनुष्य न हो पाने की उलझने हैं उसी को दिखाने का प्रयास किया है।” इस मौके पर बसंत त्रिपाठी ने नए संग्रह से कुछ कविताओं का पाठ भी किया।
गरिमा श्रीवास्तव की पुस्तक ‘देश ही देश’ का लोकार्पण
दूसरे सत्र में गरिमा श्रीवास्तव की किताब ‘देह ही देश’ का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में अभय दूबे और निशा नाग की विशिष्ट उपस्थिति रही। वहीं पर सत्र का संचालन पवन साव ने किया। परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने कहा कि यह डायरी युद्ध की उस विभीषिका को दर्शाती है जो स्त्रियों की देह पर लड़े गए हैं। वहीं पर लेखक ने कहा “इस पुस्तक की रचना के दौरान मैंने उनसे बातचीत की जिनके बारे में मैं नहीं जानती थी। मैंने उनसे सहज बातचीत की है, हालाॅंकि यह यात्रा मेरे लिए सरल नहीं था। मुझे कई जगह तिरस्कार और अपमान भी झेलने पड़े क्योंकि उत्पीड़क अपनी बात बताने को तैयार नहीं थे। इस यात्रा के दौरान मैंने यही पाया कि हर जिस्म दुःखी है, हर आत्मा झूठी है।”
संपत सरल का नया व्यंग्य संग्रह लोकार्पित
अगले सत्र में संपत सरल के नये व्यंग्य संग्रह ‘निठल्ले बहुत बिजी हैं’ का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में रमाशंकर सिंह ने लेखक से बातचीत की। कार्यक्रम के दौरान व्यंग्यकार संपत सरल ने नए संग्रह से अंशपाठ किया जिससे श्रोताओं में हॅंसी का ठहाका फूट पड़ा। परिचर्चा के दौरान रामाशंकर सिंह ने बताया कि यह संग्रह तीन भागों में वर्गीकृत है जिसमें पहले सरकार, नागरिक और अन्य चीजों के बारे में है, दूसरे भाग में लेखक की बात है तो वहीं तीसरे भाग में यह दिखाया गया है कि इस समय सरकार कैसी प्रतिक्रियाएं दे रही है।” संपत सरल ने कहा कि हम अब एक ऐसे समय में आ गए हैं कि समाज से हँसी बिलकुल गायब हो चुकी है। मेरा यह किताब लिखने का मकसद यही है कि लोग हँसते रहे। इस हँसी के साथ ही मैं एक संदेश भी समाज को देना चाहता हूँ।
पल्लवी त्रिवेदी के लव नोट्स का लोकार्पण
कार्यक्रम के अगले सत्र में पल्लवी त्रिवेदी की कई किताब ‘जिक्रे यार चले : लव नोट्स’ का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में सुदीप्ति ने लेखक से बातचीत की। इस दौरान सुदीप्ति ने कहा कि इस किताब के तल में प्रेम का समूचा संसार है! ये वैसे ही हैं, जैसे रहती है, चाहे वह जो रूप-रंग ले ले। इस पुस्तक में प्रेम की संरचना पानी की आण्विक संरचना H₂O की सी ही है – दो अणु मोह – एक अणु समर्पण, एक अणु पीड़ा। वहीं बातचीत में लेखक ने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ग़ज़ल ज़िक्रे यार चले का गायन किया। पल्लवी त्रिवेदी ने कहा “सबके लिए प्रेम व्यवहार और उनकी अपेक्षाऍं अलग होती हैं। हम यह तय नहीं कह सकते कि कोई व्यक्ति कैसे व्यवहार करेगा क्योंकि सबकी परिस्थितियाँ अलग होती हैं।”
मैनेजर पाण्डेय की किताब का हुआ लोकार्पण
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में मैनेजर पाण्डेय की किताब ‘दारा शुकोह : संगम-संस्कृति का साधक’ का विश्वनाथ त्रिपाठी जी के हाथों लोकार्पण हुआ। इस मौके पर त्रिपाठी जी ने कहा कि मैनेजर पांडेय जी वैसे तो उम्र में मुझसे करीब दस साल छोटे थे। लेकिन उनका स्वास्थ्य कभी स्थिर नहीं रहा। इसी वजह से वह बहुत जल्दी दुनिया से चले गए। वहीं संचालक धर्मेन्द्र सुशान्त ने किताब का परिचय देते हुए कहा कि यह किताब मैनेजर पांडेय की एक बड़ी योजना का हिस्सा है। वह दारा शुकोह के जीवन और देश की सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने के लिए दिए गए योगदान पर और भी काम करना चाहते थे लेकिन उनके असामयिक निधन के कारण वह योजना अधूरी रह गई।
कल होगा निर्मल वर्मा और गगन गिल की किताबों का लोकार्पण
राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल जलसाघर में कल 17 फरवरी (शनिवार) को दोपहर 03:30 बजे निर्मल वर्मा और गगन गिल की किताबों का लोकार्पण होगा। वहीं कार्यक्रम के अन्य सत्रों में शैलजा पाठक की किताब ‘कमाल की औरतें’; विनय कुमार की किताब ‘आत्मज’; प्रत्यक्षा की किताब ‘अतर : दुनिया में क्या हासिल’; देवेश की किताब ‘मेट्रोनामा : हैशटैग वाले किस्से’; विनीत कुमार की किताब ‘मीडिया का लोकतंत्र’; सौम्य मालवीय की किताब ‘एक परित्यक्त पुल का सपना’ का लोकार्पण होगा।
वहीं आरती के कविता संग्रह ‘मूक बिम्बों से बाहर’; सुमन केशरी की किताब ‘कविता के देश में’; विजय गौड़ के उपन्यास ‘अलोकुठि’; सोरित गुप्तो की किताब ‘महामारी का रोजनामचा’ और नेहा नरुका के कविता संग्रह ‘फटी हथेलियां’ पर बातचीत होगी।
-हिमांशु जोशी