उत्तराखंड के हर एक मंदिर, पहाड़, सरोवर, ताल, नदी का संबंध पौराणिक कथाओं से हैं। साथ ही वे पहाड़ों पर स्थित होने के कारण सैलानियों व ट्रेकर्स के बीच रोमांच का केंद्र भी हैं। इन्हीं में से एक हैं केदारनाथ मंदिर से 8 किलोमीटर ऊपर स्थित वासुकी ताल।
जी हां, सही सुना आपने, वासुकी ताल केदारनाथ से भी ऊपर स्थित है जिसका ट्रेक कुल 24 किलोमीटर का है। इस ताल का संबंध भगवान विष्णु से है, इसलिए इसे वासुकी ताल के नाम से जाना जाता है।
वासुकी ताल का इतिहास
मान्यता हैं कि रक्षाबंधन के पावन अवसर पर स्वयं भगवान विष्णु ने इस सरोवर में स्नान किया था। तब से इस स्थल की महत्ता भक्तों के बीच बढ़ गयी।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इस सरोवर में स्वयं वासुकी नाग के दर्शन होते हैं। वासुकी नाग को सभी नागों का राजा माना जाता है।
सावन के महीने में केदारनाथ में स्थित शिवलिंग पर ब्रह्मकमल चढ़ाये जाते हैं। यह ब्रह्मकमल वासुकी ताल के आसपास ही मिलते हैं। केदारनाथ मंदिर के पुजारियों के द्वारा इस ताल तक पहुंच कर ब्रह्म कमल लाये जाते हैं जिन्हें केदारनाथ के शिवलिंग पर चढ़ाया जाता हैं।
वासुकी ताल कहां स्थित है
वासुकी ताल उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में सोनप्रयाग के पास स्थित है। समुंद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 4,135 मीटर (13,565 फीट) है। इसकी चढ़ाई वही से शुरू होती है जहाँ से केदारनाथ की चढ़ाई शुरू होती है।
वासुकी ताल का ट्रेक
यदि आप वासुकी ताल होकर आना चाहते हैं तो इसके ट्रेक के बारे में जानना भी आवश्यक हैं। इसका ट्रेक गौरीकुंड से शुरू होता है जो केदारनाथ होता हुआ आगे जाता है। इसलिए जो भक्तगण केदारनाथ के दर्शन करने आते हैं उनमे से कुछ भक्त आगे वासुकी ताल भी होकर आते हैं।
गौरीकुण्ड से वासुकी ताल की दूरी 24 किलोमीटर हैं व इसे आप एक दिन में पूरा नही कर सकते हैं। इसके लिए आप सबसे पहले गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर जाए जो कि 16 किलोमीटर का ट्रेक है। इस ट्रेक में आपको सभी प्रकार की सुविधाएँ जैसे कि मेडिकल, खाने-पीने की दुकाने, विश्रामगृह, शौचालय इत्यादि मिलेंगी।
इसके साथ ही आप चाहे तो केदारनाथ तक का ट्रेक पैदल कर सकते हैं या फिर इसे करने के लिए पालकी, घोड़ा, टट्टू, पिट्ठू इत्यादि कई तरह की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं। इन सभी के अलावा, आप गुप्तकाशी के पास फाटा एयरबेस से हेलिकॉप्टर लेकर सीधे केदारनाथ मंदिर भी पहुँच सकते हैं।
केदारनाथ पहुँचने के बाद वहां के मंदिर के दर्शन करे। वहां पास में स्थित आदि शंकारचार्य की समाधि, भीमशिला व श्री भैरवनाथ मंदिर के दर्शन करना ना भूले। वासुकी ताल का ट्रेक एक दिन में पूरा नही किया जा सकता है क्योंकि वहां ऊपर रुकने की कोई सुविधा उपलब्ध नही हैं।
इसलिए उस दिन केदारनाथ मंदिर के पास में ही स्थित केदारनाथ बेसकैंप में मंडल निगम के द्वारा जो कैम्पस या कमरे दिए जाते हैं, वहां रुके और अगले दिन सुबह-सुबह वासुकी ताल के लिए निकले। केदारनाथ से वासुकी ताल की दूरी 8 किलोमीटर है।
आप केदारनाथ से सुबह जल्दी वासुकी ताल के लिए निकले ताकि दिन छिपने से पहले वापस केदारनाथ पहुंचा जा सके। यह कुल 16 किलोमीटर का ट्रेक हो जाएगा लेकिन ध्यान रखे दिन छिपने से पहले तक केदारनाथ बेसकैंप पहुँच जाए क्योंकि रात में यह क्षेत्र ट्रेक के लिए सुरक्षित नही माना जाता है। दरअसल केदारनाथ का यह संपूर्ण क्षेत्र केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत आता है जिसमे कई जंगली भालू देखे जा सकते हैं।
इसलिए आप सुबह-सुबह वासुकी ताल के लिए निकल जाए। एक बात का और ध्यान रखे, केदारनाथ तक के ट्रेक में आपको जो सभी प्रकार की सुविधाएँ मिल रही थी वह वासुकी ताल के ट्रेक में नही मिलेंगी। केदारनाथ से वासुकी ताल बहुत कम लोग ही जाते हैं और यहाँ सुविधाएँ नाममात्र ही हैं या यूँ कहे कि हैं ही नही।
इसलिए आप अपने खाने-पीने का सामान साथ में लेकर चले। वासुकी ताल जाने के लिए शुरूआती 4 किलोमीटर का ट्रेक सही हैं लेकिन उसके बाद 3 किलोमीटर के लिए सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ती हैं। कुल 7 किलोमीटर का ट्रेक करके आप वासुकी पहाड़ी के शिखर पर पहुँच जाते हैं। फिर यहाँ से लगभग 1 किलोमीटर नीचे जाकर आप वासुकी ताल तक पहुँच जाएंगे।
-एजेंसी