मणिपुर की महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए भारत सरकार की कोशिशों का अमेरिका ने किया समर्थन

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अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा- दो महिलाओं पर हुए हमले का वीडियो देखकर हम स्तब्ध हैं। हम घटना में पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदनाए जताते हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए भारत सरकार की कोशिशों का समर्थन करते हैं।

US विदेश मंत्रालय ने कहा, हर समुदाय के लोगों और संपत्ति की रक्षा हो

पटेल ने कहा- भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार शर्मनाक है। हम पहले भी कह चुके हैं कि मणिपुर मामले में हम शांतिपूर्ण समाधान के पक्ष में हैं और उम्मीद करते हैं कि हर समुदाय के लोगों और उनकी संपत्ति की रक्षा की जाएगी।

अमेरिकी राजदूत बोले, भारत ने मदद मांगी तो हम तैयार

इससे पहले भारत में मौजूद अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा था कि ये भारत का आंतरिक मामला है। वो जहां भी ऐसी हिंसक घटनाएं देखते हैं तो उन्हें दुख पहुंचता है। इससे पहले 6 जुलाई को भी अमेरिका ने भी मणिपुर की हिंसा पर चिंता जाहिर की थी।

तब एरिक गार्सेटी ने कहा है कि अगर भारत मदद मांगता है तो हम उसके लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा था- हम जानते हैं कि ये भारत का आंतरिक मसला है, हम जल्द से जल्द शांति की उम्मीद करते हैं। मणिपुर के हालातों पर हमें कोई रणनीतिक चिंता नहीं है, हमें सिर्फ लोगों की चिंता है।

ब्रिटेन की संसद में उठा मणिपुर का मुद्दा

ये मुद्दा ब्रिटेन की संसद में भी उठाया जा चुका है। ब्रिटेन में धार्मिक आजादी से जुड़े मामलों की स्पेशल राजदूत और सांसद फियोना ब्रूस ने 20 जून को ‌BBC पर मणिपुर हिंसा की ठीक से रिपोर्टिंग न करने के आरोप लगाए थे। ब्रूस ने ब्रिटेन के निचले सदन में सवाल किया था कि मणिपुर में मई से कई सौ चर्च जलाए गए हैं, 100 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।

50 हजार से ज्यादा लोगों को घर छोड़ना पड़ा है। न सिर्फ चर्च, बल्कि उनसे जुड़े स्कूलों को भी निशाने पर रखा गया है। ब्रूस ने कहा कि इससे साफ होता है कि ये सब प्लानिंग के तहत किया जा रहा है और धर्म इन हमलों में बड़ा फैक्टर है।

Compiled: up18 News