यूपी के चर्चित बिकरू कांड के दो साल बीत चुके हैं, लेकिन उसकी यादें लोगों के जहन में आज भी ताजा हैं। बिकरू कांड को लेकर शासन की तरफ से एक बड़ी कार्रवाई की गई है। कुख्यात अपराधी विकास दुबे के मददगार रहे 6 पुलिस कर्मियों को न्यूनतम वेतनमान में नौकरी करने का दंड मिला है, जिसमें चार दारोगा और दो सिपाही शामिल हैं। दोषी पुलिस कर्मियों की विभागीय जांच एडिशनल पुलिस कमिश्नर मुख्यालय की देखरेख में चल रही थी। एडिशनल पुलिस कमिश्नर मुख्यालय जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी थी।
दुर्दांत अपराधी विकास दुबे ने बीते 02 जुलाई 2020 की रात अपने गुर्गों के साथ मिलकर सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बिकरू कांड के बाद यूपी एसटीएफ ने विकास दुबे समेत 6 बदमाशों को एनकांउटर में मार गिराया था। इस मामले में 36 आरोपी जेल में बंद हैं। बिकरू कांड के बाद तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा पर मुखबिरी के आरोप लगे थे। दोनों जेल में बंद हैं। वहीं, एसआईटी की जांच में विनय तिवारी और दारोगा केके शर्मा दोषी पाए गए थे। चार दारोगा और दो सिपाहियों की भूमिका को लेकर एडिशनल पुलिस कमिश्नर मुख्यालय कर रहे थे।
बिकरू कांड के बाद शासन ने एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी की जांच में कई पुलिस कर्मी दोषी पाए गए थे। रिपार्ट में पुलिस कर्मी विकास दुबे की मदद करते थे। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में ऐसे दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की संस्तुति करने को कहा था। इसी क्रम में दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही थी।
चार दारोगा और सिपाही दोषी
एडिशनल पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने दारोगा अजरह इशरत, दारोगा कुंवर पाल सिंह, दारोगा विश्वनाथ मिश्रा, दारोगा अवनीश कुमार सिंह, सिपाही अभिषेक कुमार और सिपाही राजीव कुमार को न्यूनतम वेतनमान की सजा दी गई है।
न्यूनतम वेतनमान मानी जाती है बड़ी सजा
विकास दुबे के मददगार पुलिसकर्मियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। न्यूनतम वेतनमान का मतलब है कि जो भी वेतन बढ़ोत्तरी या प्रमोशन मिला है, वह सब शून्य हो जाएगा। फिर से पहले वेतन पर नौकरी करनी होगी। इसे विभाग की बड़ी सजा माना जाता है।
-एजेंसी