आगरा: नफीस योजना के माध्यम से अब जीआरपी भी एक क्लिक के साथ ही अपराधियों का पूरा इतिहास खंगाल सकेगी। जीआरपी आगरा कैंट पर नही नफीस योजना को अमलीजामा पहना दिया गया है। इसके तहत नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम लगाया गया और एक्सपर्ट की भी तैनाती कर दी गयी है। नफीस योजना की जानकारी सीओ जीआरपी दरवेश कुमार ने दी।
यूपी पुलिस भी हाई टेक हो रही है। अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए हर मजबूत कदम उठाया जा रहा है। इसी के तहत नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो ने नफीस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है। इस योजना के तहत अपराधियों की कुंडली इस प्रोजेक्ट में सेव की जा रही है। जो अपराधी पकड़ा जाएगा उसके सिर्फ इस सॉफ्टवेयर में जाकर फिंगर प्रिंट मेच कराने होंगे और फिर उसका आपराधिक इतिहास है या नही सब सामने आ जायेगा।
सीओ जीआरपी दरवेश कुमार ने बताया कि इस योजना की शुरुआत यूपी के 75 जिलों में की गई है। यूपी के अधिकतर सिविल पुलिस के थाने, जीआरपी थाने और एसटीएफ में इस योजना की शुरुआत हुई है। जीआरपी में 12 जगह पर एसटीएफ में 9 जगह पर पुलिस ट्रेंनिग स्कूल में 11 जगहों पर इस योजना का सिस्टम लगाया गया है। इस योजना के माध्यम से अपराधियों का पूरा आपराधिक इतिहास मालूम हो सकेगा।
सीओ जीआरपी ने बताया कि अगर किसी अपराधी की क्राइम हिस्ट्री जाननी है तो अपराधी के फिंगर प्रिंट लेकर नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो दिल्ली और लखनऊ जोनल ऑफिस से रिक्वेस्ट करनी पड़ेगी जिसके बाद वो उन अपराधियों का पुराना रिकॉर्ड देंगे।
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