केंद्रीय मंत्री ने बताया, देशभर में खुलेंगे 401 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय

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इस राज्य में वर्तमान में करीब चार एकलव्य मॉडल रेजीडेंशियल विद्यालय चल रहे हैं. इन स्कूलों की खासियत ये है कि यहां पढ़ाई के साथ खेलकूद को बराबर अहमियत दी जाती है. यहां बच्चों के सर्वांगीण विकास पर काम होता है. जिससे कि उन्हें आगे चलकर बेहतरनी रोजगार मिले. एकलव्य विद्यालयों में तीरंदाजी का खेल जरूरी खेलों में शामिल है. देश के 701 एकलव्य स्कूलों में तीरंदाजी का खेल को अनिवार्य भी किए जाने की सूचना मंत्री ने दी.

क्यों बने थे ये स्कूल

एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) भारत में निःशुल्क आवासीय विद्यालयों की एक सीरीज है. इनकी स्थापना एक सरकारी पहल के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण मिडिल और हाई स्कूल शिक्षा प्रदान करना है. EMR भारत में हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए शैक्षिक अंतराल को कम करने का प्रयास है. इनकी स्थापना आदिवासी और गैर-आदिवासी छात्रों के बीच शैक्षिक मानकों में अंतर को पाटने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी.

शुरुआत वर्ष 1997-98 में की गई

ईएमआरएस की शुरुआत वर्ष 1997-98 में की गई थी. स्कूल न केवल शैक्षणिक शिक्षा पर बल्कि छात्रों के सर्वांगीण विकास पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं. प्रत्येक स्कूल में 480 छात्रों को पढ़ाने की क्षमता है, यहां छात्रों को कक्षा VI से XII तक पढ़ाया जाता है. अब तक, संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान के तहत राज्य सरकारों को स्कूलों के निर्माण और आवर्ती खर्चों के लिए अनुदान दिया जाता था.

किस जगह बनाए जाते हैं ये स्कूल

2022 तक यह निर्णय लिया गया है कि 50% से अधिक एसटी आबादी और कम से कम 20,000 आदिवासी व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में एक ईएमआरएस होगा. एकलव्य विद्यालय नवोदय विद्यालय के समान होंगे और उनमें खेल और कौशल विकास में प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा स्थानीय कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए विशेष सुविधाएं होंगी.

Compiled: up18 News