सावन के माह शिव भक्त अकौआ के फल और फूल की तलाश में होते हैं। कुछ लोगों को ये आसानी से मिल जाता है तो तमाम इसे पैसों में खरीदते हैं। इसे जानवर भी नहीं चरते है एवं यह बंजर भूमि में भी आसानी से उग आता है। इसके फल से गर्म तासीर की कोमल चिकनी रूई निकलती है। इसमें विषाक्त दूध भरा होता है। यह पेड़ शिव को अति प्रिय है। इसमें गणेश जी का भी वास कहा जाता है। यह श्याम व श्वेत दो प्राकर का होता है। श्वते मदार का तान्त्रिक रूप में विशेष प्रयोग किया जाता है। इसे विधि पूर्वक पूजा करके घर में रखा जाए तो विशेष हितकारी होता है। शुभ मुहूर्त में लाकर ही इसकी पूजा प्रारम्भ करें। पूजा करते समय गणपति मन्त्र का उच्चारण अवश्य करें।
तान्त्रिक अभिकर्म
यदि किसी जातक पर तान्त्रिक अभिकर्म किया हुआ है तो मदार का एक टुकड़ा अभिमन्त्रित करके कमर में बाॅध लेंने से तान्त्रिक क्रिया निष्फल हो जाती है।
सौभाग्य वृद्धि के लिए
इसकी जड़ को अभिमन्त्रित करके दांयी भुजा पर बांधने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ में अगर गणेश जी का सौभाग्य वर्धक स्त्रोत का जाप किया जाये तो अत्यन्त लाभ होता है।
गंभीर रोग नाशक
यदि कोई व्यक्ति गंभीर रोग से ग्रसित हो किन्तु रोग पकड़ में न आये तो रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र में आक व अरण्ड की जड़ लायें फिर गंगाजल से धोकर उस पर सिन्दूर का लेपन करें तथा गूगल की धूप दें। इसके बाद गणेश मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप कर रोगी के सिर के उपर से 7 बार उतार कर किसी सुनसान जगह में संध्याकाल में जमीन में गाड़ दें। ये उपाय करने से रोग भी पकड़ में आयेगी और उसका यथा शीघ्र समाधान भी होगा।
घर की रक्षा हेतु
श्वेत मदार का पौधा रविपुष्य योग में घर के दरवाजे पर लगा दें। जब-तक यह पौधा लगा रहेगा, घर में किसी भी आधि-व्याधि, नजर-टोना, तन्त्र-मन्त्र के दुष्प्रभाव और अवांछित तत्व व बुरी आत्माओं, दुर्भागय और दुष्ट-ग्रहों की वृद्धि का प्रभाव आपके परिवार पर नहीं पड़ेगा।
सन्तान सुख
रविवार को पुष्य नक्षत्र में मदार की जड़ को बंध्या स्त्री अपनी कमर में बाॅध लें तो उसे सन्तान का सुख अवश्य मिलेगा।
फीलपांव के उपचार हेतु
मदार का पौधा जो रोगी के निवास से उत्तर की ओर उगा हो, उसकी जड़ रविवार के दिन लाकर लाल धागे के सहारे रोगी के पैर में बाॅधने से फीलपांव शीघ्र दूर हो जाता है।
-एजेंसी