विश्‍व के सबसे बडे मंदिर अंकोर वाट में नहीं हुई 500 सालों से पूजा

Religion/ Spirituality/ Culture

इसके विपरीत भारत के केरल में त्रावणकोर में हिन्दू राजाओं द्वारा हम बहुत कुछ सीख सकते हैं । त्रावणकोर के राजाओं ने तिरुवनंतपुरम् में अनंतपद्मनाभ मंदिर निर्माण किया और स्वयं को पद्मनाभ दास नाम दिया । इस अवसर पर त्रावणकोर के राजा स्वयं को भगवान के सेवक के रूप में राज्य संभालते थे; इसीलिए इतने वर्ष हो गए तब भी तिरुवनंतपुरम् में मंदिर जागृत हैं और वहां प्रतिदिन पूजा और उपासना हो रही है । आज भी सहस्रों भक्तों को अनुभूति आती है और विश्‍वभर के भक्त इस मंदिर की ओर आकर्षित होते हैं ।’

कमाई के लिए अंकोर वाट मंदिर को म्‍लेच्‍छ गतिविधियों का केंद्र बना रही है कंबोडिया सरकार 

यद्यपि कंबोडिया बौद्ध राष्ट्र है, तब भी यहां की सरकार माओवाद पर आधारित है । बौद्ध धर्म के उत्कर्ष के लिए और धन अर्जित करने के लिए वहां की सरकार कुछ भी करने के लिए तैयार है, यह हमें अंकोर वाट मंदिर देखने पर ध्यान पर आया ।

कंबोडिया में प्रत्येक वर्ष अंकोर वाट मंदिर देखने १० लाखों से अधिक पर्यटक आते हैं । यहां आने पर पर्यटक कम से कम एक सप्ताह रहते हैं । कंबोडिया की सर्वाधिक आमदनी पर्यटकों से होती है ।

वर्तमान में कंबोडिया सरकार ऐसा दिखाने का प्रयत्न कर रही है कि अंकोर वाट मंदिर, हिन्दुओं का मंदिर नहीं है । यहां बुद्ध की ६ – ७ बडी मूर्तियां हैं । इन मूर्तियों के मंदिर पर्यटक अपनी इच्छानुसार पूजा कर सकते हैं । मंदिर में अनेक बौद्ध भिक्कू भी होते हैं । मंदिर के परिसर में मांस बिक्री, कीडों की भेल और ऑक्टोपस , सर्प और मेढक की पकौडी बनाकर बेचना, यह तो सामान्य हो गया है ।

Compiled: up18 News


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