केजरीवाल vs एलजी: दिल्ली में जारी रहेगी अधिकार की जंग, अभी भी फंसा रहेगा पेंच

अन्तर्द्वन्द

पांच पॉइंट में समझें विवाद में कब क्या हुआ?

दिल्ली सरकार और एलजी के बीच विवाद की शुरुआत हुई थी 2015 में, इसी साल 21 मई को होम मिनिस्ट्री ने एक नोटिफिकेशन जारी कर ब्यूरोक्रेसी की नियुक्ति का अधिकार एलजी को दिया था.

26 मई को इसके खिलाफ एक जनहित याचिका दायर हुई. इसके ठीक दो दिन बाद दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी.

29 मई को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए एलजी से कहा. 10 जून 2015 को हाईकोर्ट ने फैसले में नोटिफिकेशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. 2016 में 4 अगस्त को आए फैसले में हाईकोर्ट ने एलजी को ही दिल्ली सरकार का प्रमुख माना था.

2017 में 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संविधान बेंच को भेजा. 4 जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एलजी को फैसलों में कैबिनेट की सलाह लेनी होगी.

2019 में डिवीजन बेंच ने अलग-अलग फैसला सुनाया. दो जजों का मत अलग-अलग होने के चलते इसे बड़ी बेंच के पास भेजा गया. 18 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.

पांच मुद्दे जिन पर फंसेगा पेंच

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली सरकार के पास सिर्फ जमीन, पुलिस और पब्लिक ऑर्डर को लेकर निर्णय लेने का अधिकार नहीं होगा, इसके बाद यदि ये समझा जा रहा है कि सरकार के पास सभी IAS को बदलने की पावर होगी तो ऐसा नहीं है.

फैसले में साफ कहा गया है कि लॉ एंड ऑर्डर यानी पुलिस एलजी के अधिकार में आएंगे. इंडियन एक्सप्रेस में एक वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट्स के हवाले से लिखा गया गया है कि पुलिस गृह विभाग के अंडर में आती है और गृह विभाग और एलजी के बीच सेतु का नाम सचिव करता है जो IAS अधिकारी होता है.

दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी के चेयरमैन एलजी होते हैं, पूर्व ब्यूरोकेट्स के मुताबिक ऐसे में उनके अंडर तैनात होने वाले अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग केंद्र सरकार के हाथ रह सकती है.

डीडीए वीसी के अलावा एमसीडी कमिश्नर और NDMC कमिश्नर IAS अधिकारी होता है, पूर्व ब्यूरोक्रेट्स के हिसाब से इनकी नियुक्ति का अधिकार भी केंद्र सरकार के पास रह सकता है.

सबसे बड़ा मामला दिल्ली में मुख्य सचिव की नियुक्ति का होगा. दरअसल दिल्ली सरकार का मुख्य सचिव ही सीएम और एलजी के बीच एक तरह के सेतु का काम करता है. 2015 में भी इस पद पर नियुक्ति को लेकर खासा बवाल हुआ था. एक वरिष्ठ ब्यूरोकेट्स के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति केंद्र सरकार के हाथ में रहेगी.

दिल्ली की क्राइम ब्रांच को लेकर भी मामला फंस सकता है. दरअसल अन्य प्रदेशों में एंटी करप्शन ब्रांच पर राज्य सरकार का अधिकार है, लेकिन दिल्ली में ये एलजी को रिपोर्ट करती है. जबिक विजिलेंस दिल्ली सरकार के नियंत्रण में आती है.

Compiled: up18 News