नई दिल्ली, मई 3: साहित्यिक नवप्रवर्तन के एक अभूतपूर्व प्रयास के रूप में “आगमन परिमल समारोह” ने अपनी विलक्षण प्रस्तुति और गरिमामयी आयोजन के साथ साहित्य जगत में एक सशक्त छाप छोड़ी। यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, अपितु साहित्यिक चेतना का उत्सव बनकर उभरा, जहाँ शब्दों की सुगंध ने सभी हृदयों को सुवासित कर दिया।
समारोह की संकल्पना और निर्देशन में श्री निशांत जैन के नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण एवं सभी सदस्यों के सतत सहयोग ने इसे विशिष्ट ऊँचाइयाँ प्रदान कीं। आयोजन में देशभर से पधारे प्रख्यात एवं नवोदित कवियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक समरस, समावेशी और सृजनात्मक रंग प्रदान किया।
मंच संचालन की ज़िम्मेदारी श्रीमती ममता लाड़ीवाल एवं श्री जितेन्द्र यादव ने अत्यंत कुशलता एवं भावप्रवणता के साथ निभाई। कार्यक्रम की प्रत्येक कड़ी—स्वागत, परिचय, काव्यपाठ, लेखक सम्मान, स्मृति चिन्ह वितरण एवं जलपान—में सहभागियों की सक्रिय भागीदारी सराहनीय रही।
मुख्य आकर्षण के रूप में बाल कलाकारों की नृत्य प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया, वहीं नवीन पुस्तकों के भव्य विमोचन ने साहित्यिक जगत को नवसृजन की ओर प्रेरित किया।
उल्लेखनीय है कि इस गरिमामयी आयोजन में श्री निशांत जैन (आगमन अध्यक्ष) सहित अनुराधा पांडेय, संजीव निगम “अनाम”, भास्कर आनंद “अबीर”, ममता लड़ीवाल, मनीषा जोशी, जितेंद्र यादव, संजय शुक्ला, अमरीश शर्मा, आरती वर्मा, अर्नित त्यागी, चहक शर्मा, दिवाकर चौबे, ज्योति जुुल्का, कविता पाल, नितेश ठाकुर, ऋचा गिरी, श्रुति जोशी, श्याम, प्रताप सिंह, सुशील सिंह, स्वाति शर्मा, तारीक अब्र, उर्वी उद्दल, वंदना मोदी गोयल, विनोद कुमार वर्मा, गौरी शर्मा, रविजेंद्र रमय “रघरुमज”, मनीषा आँवले चौगांवकर, सुनीता मलिक सोलंकी, संजीव कुमार, उषा सिंह, प्रियांका कथेरिया, सुरेन्द्र शर्मा, डॉ. हेमंत यादव, पुष्पा रानी, अनवर जमाल, ऋतु असूजा, अनवर अंसारी, मधु गुप्ता, सपना अग्रवाल, सुमन नागर और वीडियो और फोटोग्राफी के लिए अक्षय समेत 50 से अधिक कवियों, लेखकों एवं साहित्यप्रेमियों ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की।
समापन सत्र में सभी आमंत्रित साहित्यकारों को आकर्षक स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया, जिससे यह आयोजन सभी के हृदय-पटल पर एक अमिट छवि छोड़ गया।
“आगमन परिमल समारोह” निःसंदेह साहित्यिक समर्पण, सौहार्द और सहयोग की उज्ज्वल मिसाल बनकर सामने आया है। आगमन मंच का यह संकल्प है कि भविष्य में भी ऐसे आयोजनों के माध्यम से साहित्य की लौ सतत प्रज्वलित रहे।
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