तिमनगढ़ दुर्ग का रहस्य: यहां लोग आते है पारस पत्थर की तलास में

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तिमनगढ़ राजस्थान के करौली ज़िले में स्थित एक दुर्ग है। तीमंगढ़ किला , हिण्डौनसिटी के पास मासलपुर तहसील के अन्दर स्थित है। ये किला 1100 ई में बनवाया गया था जो कि गोरी और क़ुतुबद्दीन एबक द्वारा नष्ट कर दिया गया। इस किले को 1244 ई में राजा तीमंपल जो राजा विजय पाल के वंशज थे द्वारा दोबारा बनवाया गया था। 1196 से 1244 के बीच इस किले पर मुहम्मद गौरी ने कब्ज़ा कर रखा था। लोगों का मानना है कि आज भी किले के पास स्थित सागर झील में पारस पत्थर है जिसके स्पर्श से कोई भी चीज सोने की हो सकती है।

तिमण गढ़ दुर्ग का निर्माण महाराजा तिसमान ने करवाया था। जो दूसरी शताब्दी के बहुत ही शक्तिशाली शासक थे। उनका साम्राज्य आधुनिक हरियाणा, पंजाब, पश्चिम उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तथा सिंध तक फैला हुआ था।

विजयपाल की मृत्यु के बाद उनके 10 पुत्रों में तीमनपाल सबसे बड़े थे अतः तीमन पाल अपने पिता की मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी हुए उसने विजय मंदिर घाट पर आक्रमण करके अब्बूवर्कर से अपने पिता का खोया हुआ दुर्ग फिर से प्राप्त किया

1244 ईसवी में राजा तीमनपाल ने अपने पूर्वज द्वारा निर्मित इस किले को दोबारा बनवा कर इसका उद्धार किया राजा तिमान पाल के के नाम पर ही इस किले का नाम तिमनगढ़ पड़ा इस किले में बने मंदिरों की दीवारों छतों और स्तंभों पर सुंदर मनमोहक ज्यामितीय कलाकारी से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि अपने समय में यह किला कितना सुंदर और कितना वैभवशाली रहा होगा लेकिन यह दुर्ग अधिक समय तक अपना अस्तित्व बचाकर नहीं रख सका

इसके उजड़ने के पीछे एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार इस किले को एक नटनी ने श्राप से नष्ट किया था आज भी इस किले में अष्टधातु की प्राचीन मूर्तियां, मिट्टी की विशाल और छोटी मूर्तियों को इस किले के मंदिर के नीचे छुपाया गया है इस मंदिर के स्तंभों पर अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी बनाई गई है जो प्राचीन कला का एक बेमिसाल नमूना है राजस्थान के अन्य किलो की तुलना में तिमनगढ़ किले की वास्तुकला अद्वितीय है और पर्यटकों को आकर्षित करती है

किले में 80 से अधिक प्राचीर है मुख्य द्वार को ‘जगनपोल’ के नाम से जाना जाता है असामाजिक तत्वों ने पैसे और मूर्तियों को निकालने के लिए इस किले को खंडहर बना दिया है मुगल शासन के दौरान इस किले पर मुगलों का नियंत्रण और शासन था तिमनगढ़ किले की वास्तुकला भारत के अन्य किलो से बिल्कुल अलग है यह किला देश के प्राचीन इतिहास की अनूठी निशानी है इस किले की सबसे खास बात यह है कि इसमें 5 प्रवेश द्वार हैं

इस किले का राजा पारस पत्थर से लोहे को बदलने में बदलता था यही कारण है कि यह राजा अपनी प्रजा से कर के रूप में नगद रुपैया ना लेकर लोहा लिया करता था और उसे सोने में बदल लेता था स्वर्ण को सुरक्षित रखने के लिए किले के गर्भ में अनेकों तलघर बने हैं जहां सवर्ण रूपी खजाना रखा जाता था तिमनगढ़ किले की तलहटी में सागर झील स्थित है

लोगों का मानना है कि सागर झील के तल पर पारस पत्थर मौजूद है जिसके स्पर्श से कोई भी चीज सोने की हो सकती है उसी पारस के लिए इस किले को खोदकर देखा गया और इस तलाश में किले की सभी प्राचीन संपदाओं को लूट कर बेच दिया गया पारस पत्थर जिसके बारे में यह कहना मुश्किल है कि उसका अस्तित्व है भी या नहीं उस पारस की लालसा में यहां के असली पारस, यहां की धरोहर को मिटा दिया गया

जब आसपास के राजाओं को पारस पत्थर के बारे में पता चला तो उन्होंने उसे पाने के लिए कई बार तिमनगढ़ पर आक्रमण किया था परंतु वह हर बार सफल रहे थे जब तिमनगढ़ के राजा को यह पता चला कि वह इस युद्ध में मरने वाला है तो उसने मरने से पहले उस पारस पत्थर को सागर झील में फेंक दिया था राजा की मृत्यु के कुछ समय बाद ही महल वीरान हो गया था और यह पारस पत्थर महल में ही कहीं गुम हो गया ।

राजाओं ने महल को खोदकर इस पत्थर को ढूंढने की कोशिश की थी परंतु वह सब असफल रहे कई लोग पारस पत्थर की खोज में रात को इस महल में खुदाई करते हैं कई लोग जादू टोना का भी सहारा लेते हैं आसपास के लोगों का मानना है कि कई बार यहां लोग इस पत्थर की तलाश में आए और वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे क्योंकि पारस पत्थर की सुरक्षा एक जिन्न करता है ।

तिमनगढ़ किले को श्राप

एक नटनी थी जो रस्सी पर चलने का करतब दिखाती थी कहा जाता है कि एक बार राजा ने उस नटनी को एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर रस्सी के सहारे जाने के लिए कहा था राजा ने कहा यदि तुम यह कारनामा करने में सफल रही तो मैं तुम्हें अपने राज्य का आधा हिस्सा दे दूंगा इसके बाद नटनी ने राजा की शर्त को मान लिया और उसने रस्सी पर चलना शुरू कर दिया

जब राजा के बेटों को यह बात पता चली तो उन्होंने सोचा कि हमारे पिताजी हमारे हिस्से का राज्य उस नटनी को दे देंगे इस बात से वह क्रोधित होकर पहाड़ी पर पहुंचे और उन्होंने एक तरफ से रस्सी को काटना शुरू कर दिया रस्सी कटने से वह नटनी चट्टान पर जाकर गिर जाती है और वह मरने से पहले राजा को श्राप देती है कि तुम्हारा राज्य बर्बाद हो जाएगा इसके बाद राजा के साथ वही हुआ उसका पूरा राज्य है तहस-नहस हो गया।

-एजेंसी