अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास और ऑफिस ने पहली बार जारी की इंडो पैसिफिक स्टैटजिक रिपोर्ट, चीन की कड़ी आलोचना

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आधिकारिक निवास और ऑफिस ने पहली बार इंडो पैसिफिक स्टैटजिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट को जारी करते हुए कहा गया है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के व्यहार के कारण महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक चुनौतियों से जूझ रहा है। इतना ही नहीं, अमेरिका ने साफ शब्दों में कहा है कि भारत उसका महत्वपूर्ण दोस्त और रणनीतिक साझेदार है। अमेरिका और भारत दक्षिण एशिया में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक साथ काम करते रहेंगे। इस रिपोर्ट में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक नीतियों की कड़ी आलोचना भी की गई है। बड़ी बात यह है कि बाइडेन प्रशासन ने अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों की भी सराहना की है।

भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को जारी रखेगा अमेरिका

शुक्रवार को जारी की गई रणनीतिक रिपोर्ट राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व वाले प्रशासन की पहली क्षेत्र विशिष्ट रिपोर्ट है।

रिपोर्ट में हिंद-प्रशांत में अमेरिका की स्थिति को दृढ़ता से मजबूत करने, क्षेत्र को मजबूत करने और इस प्रक्रिया में भारत के उदय एवं क्षेत्रीय नेतृत्व का समर्थन करने के लिए राष्ट्रपति के दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया है। व्‍हाइट हाउस ने कहा, हम एक रणनीतिक साझेदारी का निर्माण करना जारी रखेंगे जिसमें अमेरिका और भारत दक्षिण एशिया में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक साथ और क्षेत्रीय समूहों के माध्यम से काम करते हैं, स्वास्थ्य, अंतरिक्ष और साइबर स्पेस जैसे नए क्षेत्र में सहयोग करते हैं।

भारत दक्षिण एशिया और हिंद महासागर में समान विचारधारा वाला देश

व्‍हाइट हाउस ने कहा कि हमारे आर्थिक और प्रौद्योगिकी सहयोग को मजबूत करते हैं तथा एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत में योगदान करते हैं। हम मानते हैं कि भारत दक्षिण एशिया और हिंद महासागर में एक समान विचारधारा वाला भागीदार और नेतृत्वकर्ता है, जो दक्षिण पूर्व एशिया में सक्रियता से जुड़ा हुआ है। साथ ही भारत क्वाड और अन्य क्षेत्रीय मंचों की प्रेरक शक्ति और क्षेत्रीय विकास और विकास के लिए एक इंजन है। एक सवाल के जवाब में वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले चार प्रशासनों ने भारत के साथ संबंध सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि भारत कई मायनों में ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों की तुलना में बहुत अलग स्थान रखता है।

चीन की पैदा की गईं महत्वपूर्ण चुनौतियों से जूझ रहा भारत

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने के अनुरोध पर बताया कि भारत महत्वपूर्ण चुनौतियों से जूझ रहा है। व्‍हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि भारत को बहुत महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के व्यवहार का भारत पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है। हमारे दृष्टिकोण से हम अन्य लोकतंत्र के साथ काम करने के लिए जबरदस्त अवसर देखते हैं- एक ऐसे देश के साथ जिसकी समुद्री परंपरा है, जो वैश्विक साझा मुद्दों और क्षेत्र में महत्वपूर्ण मुद्दों को आगे बढ़ाने के महत्व को समझता है।

बाइडेन प्रशासन ने ट्रंप के समय की नीतियों की सराहना की

अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ जुड़ाव को मजबूत करने के महत्व और चुनौतियों की जबरदस्त सराहना हुई है और यह मान्यता है कि भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और पिछले प्रशासन के बेहतर काम को जारी रखने की इच्छा है ताकि उस रिश्ते को व्यापक और गहरा किया जा सके। वरिष्ठ प्रशासक ने कहा कि पूर्ववर्ती अमेरिकी प्रशासन, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला पिछला प्रशासन भी शामिल है, ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है।

अमेरिका बोला, चीन इंडो-पैसिफिक में प्रभाव जमाना चाहता है

ऑस्ट्रेलिया में क्वाड मंत्री स्तरीय वार्ता चल रही है, ऐसे में यह रणनीतिक रिपोर्ट जारी की गई है। ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को क्षेत्र में चीन की उग्र भूमिका पर चिंता व्यक्त की। रणनीतिक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपनी आर्थिक, कूटनीतिक, सैन्य और तकनीकी ताकत को जोड़ रहा है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव जमाना चाहता है तथा दुनिया की सबसे प्रभावशाली शक्ति बनना चाहता है। इसमें कहा गया है कि चीन का दबाव और आक्रामकता दुनिया भर में फैली हुई है, लेकिन यह हिंद-प्रशांत में सबसे गंभीर है।

चीन कर रहा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन

ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक दबाव से लेकर भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर संघर्ष तक, ताइवान पर बढ़ते दबाव और पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागर में पड़ोसियों को डराने-धमकाने तक इस क्षेत्र में हमारे सहयोगी और भागीदार चीन के इस नुकसानदायक व्यवहार को झेल रहे हैं। रणनीतिक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रक्रिया में, चीन नौवहन की स्वतंत्रता सहित मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय कानून के साथ उन सिद्धांतों को भी कमजोर कर रहा है जिससे हिंद-प्रशांत में स्थिरता और समृद्धि आई है।

-एजेंसियां


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